- प्रणव बजाज

सहकारिता मंत्री भदौरिया ने किया अर्थव्यवस्था पुनर्निर्माण का रोडमैप तैयार
प्रदेश के सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री डॉ अरविंद सिंह भदौरिया के मुताबिक कोरोना की वजह से ध्वस्त हुई प्रदेश की व्यवस्था को सहकारिता के माध्यम से पटरी पर लाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवहन, ग्रामीण औद्योगीकरण, श्रम, सेवा एवं उद्यानिकी क्षेत्र में सहकारिता के जरिए व्यवस्था का पुनर्निर्माण किया जाएगा। इसके जरिए गांव में रोजगारों का सृजन भी करेंगे। मंत्री भदौरिया ने कहा कि सब्जी और फल उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, बिचौलिए उनसे औने-पौने दामों में सामग्री की खरीद करते हैं और फिर कई गुना मुनाफा कमाते हैं। इसलिए इस क्षेत्र को सहकारिता से जोड़ने जा रहे हैं। साथ पर्यटन और ग्रामीण परिवहन औद्योगिकीकरण श्रम खनिज सेवा एवं उद्यानिकी के क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से हम बिचौलियों को दूर कर सहकारिता के माध्यम से बेहतर पुनर्निर्माण की ओर प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा रोडमैप तैयार कर लिया है। इस पर जल्द अमल किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री का अड़ियल रवैया काम आया
बीते दिनों प्रदेश में बारिश के आते ही बिजली आपूर्ति की शिकायतों में अचानक बाढ़ सी आ गई थी। ऐसे में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का अड़ियल रवैया ही काम आया। वे न केवल स्वयं सीढ़ी लगाकर बिजली के खंभे पर चढ़ गए बल्कि ट्रांसफार्मर के मेंटेनेंस का काम भी किया। मंत्री तोमर का खंबे पर चढ़ना क्या था बिजली की शिकायतों की संख्या अचानक कमी आ गई। अब विभाग के अधिकारी और कर्मचारी काम के प्रति चौकन्ने रहते हैं। जहां पूर्व में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों को औसतन पंद्रह हजार से अधिक शिकायतें मिल रही थी वहीं अब शिकायतों की संख्या में प्रतिदिन तीन हजार की कमी देखने को मिल रही है। शिकायतों को और अधिक कम करने तथा उपभोक्ता एवं आम जनता को बार-बार कटौती एवं ट्रिपिंग से मुक्ति दिलाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के मुताबिक मेंटेनेंस में विभागीय अधिकारी और तकनीकी कर्मचारियों को जिन उपकरणों की जरूरत है उसकी भी जानकारी मंगाई गई है ताकि शिकायतों का तत्काल समाधान हो सके।
मप्र में राजनीतिक दबाव में कर दिए जाते हैं अफसरों के तबादले
मप्र में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों की तबादलों में पसंद-नापसंद को स्थान मिले यह जरूरी नहीं है, बल्कि कई बार इन अफसरों के तबादले प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव में कर दिए जाते हैं। यही नहीं ऐसे भी कई मामले हैं, जब अफसरों के एक साल के अंदर ही चार से पांच बार तबादले कर दिए गए। बता दें कि प्रदेश की कांग्रेस व भाजपा सरकार ने पिछले एक साल यानी वर्ष 2020 (1 जनवरी से 31 दिसम्बर की अवधि) के बीच 350 से ज्यादा आईएएस के तबादले किए थे, लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी तक डीओपीटी को नहीं भेजी गई। पिछले साल 20 मई को जो रिपोर्ट भेजी गई थी उसमें कांग्रेस शासनकाल में हुए 417 आईएएस के तबादले, नवीन पोस्टिंग और प्रमोशन होने का उल्लेख किया था, जबकि इस बार सामान्य प्रशासन विभाग ने यह रिपोर्ट भेजने में देरी की है। वहीं जीएडी की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी कहना है कि आईएएस के अफसरों के जो भी तबादले होते हैं वे सिविल सेवा बोर्ड के माध्यम से किए जाते हैं और हर साल इसकी डीओपीटी को जानकारी भेजी जाती है।
वन मंत्री को सब कुछ पता फिर भी कुछ पता नहीं
प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह शिव मंत्रिमंडल के ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें विभाग में क्या चल रहा है सब जानकारी रहती है लेकिन फिर भी उन्हें कुछ पता नहीं रहता। दरअसल जब उनसे गंभीर आरोपों में घिरे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एपीसीसीएफ मोहन मीणा के बारे में क्या कार्यवाही चल रही है पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें पता नहीं। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मेरे पास प्रतिवेदन नहीं पहुंचा है। बता दें कि मीणा पर अवैधानिक रूप से बेटे के बैंक खाते में राशि जमा करवाने और महिला प्रताड़ना जैसे आरोप है। मीणा द्वारा मुलताई के पूर्व रेंजर से बेटे की फीस जमा करने के नाम पर राशि की मांग करने का आॅडियो भी वायरल हुआ था। इसके बाद वन बल प्रमुख ने दो सदस्यों का जांच दल गठित किया था। जिस पर जांच दल द्वारा जांच की जा चुकी है। जांच रिपोर्ट वन बल प्रमुख को सौंपने के बाद कार्रवाई की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वन मंत्री ने प्रतिवेदन ना मिलने का हवाला दे दिया है। वन मंत्री ने यह भी कहा कि मेरे पास अभी यह जानकारी नहीं पहुंची है कि जांच में जांच दल को क्या मिला है।