
- अतिरिक्त सुरक्षाबल की मांग
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। छत्तीसगढ़ से सटे आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी में अब सात साल बाद एक बार नक्सलियों की आम दरफ्त बढ़ गई है। यही वजह है कि अब इस जिले को भी नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल कर लिया गया है। इसकी वजह से अब मप्र के तीन जिले नक्सल गतिविधियों वाले जिलों में शुमार हो गए हैं। इसके पहले तक प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिले इसमें शामिल थे। उल्लेखनीय है कि आठ साल पहले तक यह जिला नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल था, लेकिन उसके बाद पूरी तरह से इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने में सुरक्षाबल सफल रहे थे, जिसकी वजह से उसका नाम इस सूची में से हटा दिया गया था।
अब बीते कुछ समय से इस जिले में एक बार से नक्सलियों की गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है। यही वजह है कि इस जिले के पुलिस कप्तान द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से अब पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजकर जिले में हॉक फोर्स तैनात करने की मांग की है। उधर, नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों की वजह से केन्द्र सरकार ने भी इस जिले को अब वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों की सूची में शामिल कर लिया है। बताया जाता है कि मप्र के इन जिलों का नक्सलियों द्वारा अपने सुरक्षित ठिकाने के रुप में उपयोग किया जाता है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में वारदात करने के बाद नक्सली इन जिलों में आकर सुरक्षित रुप से छिप जाते हैं। इस तरह का इनपुट बीते लंबे समय से केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों को भी मिल रहा है।
इनपुट में बताया जा रहा है कि इन जिलों के कुछ आदिवासी बाहुल्य गांवों में नक्सलियों को छुपने का ठिकाना स्थानीय गा्रमीणों द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसकी वजह से इन जिलों के गांवों में विकास का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। फिलहाल इन जिलों में नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए पूर्व से एसएएफ की कई कंपनियों द्वारा लगातार जंगलों में सर्चिंग की जा रही है। इसके बाद अब डिंडौरी में जिला पुलिस द्वारा हॉक फोर्स की भी मांग की जाने लगी है। दरअसल इस जिले की सीमा मुंगेली-कवर्धा जोड़ से मिलती है। यही वो इलाका है जहां से नक्सली जिले में आते जाते हैं। इस वजह से स्थानीय स्तर पर पुलिस द्वारा यहां पर विशेष निगरानी की जाती है। इस जिले में फिलहाल कोई वारदात नक्सलियों ने नहीं की है।
दिया जाता है अलग से फंड
दरअसल नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा और अन्य तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त फंड दिया जाता है। इसमें जिले के विकास कामों के लिए भी अलग से फंड मिलता है।