
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में सरकारी अफसरों की उदासीनता का यह आलम है कि वे सरकार के निर्देशों का भी पूरी तरह से पालन नहीं करते हैं। यही वजह है कि कई योजनाएं य्या तो पिछड़ जाती हैं या वे अपना मूर्त रूप नहीं ले पाती है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में निशक्तजनों के लिए आरक्षित पदों को नहीं भरे जाने का सामने आया है। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2013 में एक प्रकरण का निराकरण करते हुए राज्य सरकार पर नि:शक्तजनों के पदों को नहीं भरे जाने पर न्यायालय की अवमानना का प्रकरण लगाया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने इन पदों को भरने के लिए वर्ष 2014 में विशेष भर्ती अभियान चलाया था। तब से लेकर अब तक राज्य सरकार द्वारा पंद्रह बार के लिए आरक्षित पदों को भरने विशेष भर्ती अभियान चला चुकी है लेकिन आठ वर्ष की लंबी अवधि गुजर जाने के बाद भी निःशक्तजनों के पद नहीं भरे गए। दरअसल ऐसे में राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को अलग-अलग जिलों की ढेरों शिकायतें मिली हैं इन शिकायतों में कहा गया है कि आरक्षित रिक्त पदों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में इन पदों की पूर्ति के लिए विशेष भर्ती अभियान के तहत वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से किए जाने के निर्देश जारी किए गए थे।
अगले वर्ष तक के लिए बढ़ाई गई तिथि
हालांकि इसके लिए चलाए गए विशेष भर्ती अभियान की समय सीमा वर्तमान वर्ष में 30 जून 2021 को समाप्त हो रही थी। ऐसे में अब सरकार ने एक बार फिर इसकी तिथि को आगे बढ़ाते हैं इसे अगले वर्ष 30 जून 2022 तक विशेष भर्ती अभियान चलाकर इन पदों को भरने का फैसला लिया है। यही नहीं जीएडी ने प्रदेश के सभी विभागों राजस्व मंडल, सभी विभागाध्यक्ष, संभाग आयुक्त, कलेक्टर्स और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं। इन निर्देशों में कहा गया है कि नि:शक्तजनों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में आरक्षित पदों को भरा जाए। नि:शक्तजनों के के जिन पदों को भरा जाना है उनमें बहरे और कम। सुनने वाले, दृष्टि बाधित और कम दृष्टि, लोकोमोटर डिसेबिलिटी जिसमें सेरेब्रल पाल्सी, बौद्धिक दिव्यांगता, स्पेसिफिक लर्निंग, कुष्ठ रोग मुक्त, एसिड अटैक पीड़ित, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, ऑटिज्म, डिसेबिलिटी, मानसिक बीमारी, बहु विकलांगता और बौनापन आदि से पीड़ित व्यक्ति शामिल है।