
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बिजली महंगी होने को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। सूत्रों की माने तो बिजली महंगी करने का मामला अभी फिलहाल टल सकता है। इसकी बड़ी वजह निकाय चुनाव को माना जा रहा है। दरअसल प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से नगरीय निकाय चुनाव टल रहे हैं। वहीं दावा किया जा रहा है कि अगले महीने में इस चुनावों की घोषणा हो सकती है। ऐसे में सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है कि चुनाव से पहले बिजली महंगी की जाए। इससे उपभोक्ताओं की नाराजगी बढ़ सकती है।
हालांकि नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है लेकिन टैरिफ घोषित करने को लेकर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में अप्रैल से बिजली के नए टैरिफ प्लान को लागू करने की आयोग की मंशा अधूरी ही रह गई। बता दें कि इस मामले में आयोग की मंशा थी कि वित्तीय वर्ष 2021-22 का बिजली टैरिफ अप्रैल से लागू कर दिया जाए। चूंकि प्रदेश में पिछले तीन साल से परिस्थितियां ऐसे रहीं कि पहले लोकसभा व विधानसभा चुनाव और इसके बाद कोरोना महामारी के संकट के कारण बिजली का नया टैरिफ प्लान समय पर लागू नहीं हो पाया। वहीं बिजली कंपनियों की हालत लगातार खराब हो रही थी। ऐसे में बिजली कंपनियों ने फरवरी 2021 को टैरिफ पिटीशन आयोग को सौंपी थी। इसमें 2,629 करोड़ रुपए के घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरों में 6.23 प्रतिशत अनुमानित वृद्धि की अनुमति मांगी गई थी। वही आयोग ने मार्च में जनसुनवाई भी कर ली थी। मार्च में हाईकोर्ट ने टैरिफ पिटीशन पर स्टे लगा दिया था। यह से हल ही में पिछले सप्ताह हटाया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पिटीशन स्वीकृत होने की एक सौ बीस दिन में टैरिफ आदेश जारी करना होता है। आयोग जिस दिन टैरिफ का ऐलान करेगा उसके एक सप्ताह बाद उसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
लाइनों का रखरखाव नहीं होने से उपभोक्ता हो रहे परेशान
लाइनों का बेहतर मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से उपभोक्ताओं को रोजाना बिजली गुल होने की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल बिजली कंपनियों के पास लाइनों के मेंटेनेंस करने के लिए पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है। हालात यह हैं कि 11 और 33 केवी के 474 बिजली फीडर का रखरखाव करने के लिए सिर्फ 26 कर्मचारी ही हैं। जबकि एक फीडर पर आठ लाइन स्टाफ जरूरी है। ऐसे में यहां रोजाना 6 से 8 घंटे तक बिजली आपूर्ति बंद करने के बावजूद लाइन व खंभों से पेड़ों की टहनियां तक नहीं हट पा रही है। इस कारण से करीब बीस हजार से ज्यादा उपभोक्ता परेशान हो रहे हैं। यही नहीं जोन स्तर पर जो उपभोक्ता की शिकायत निवारण करने की टीम बनाई गई है उसे ही लाइन के रखरखाव का जिम्मा भी दिया हुआ है। ऐसे में एफओसी के दो लाइन कर्मचारी उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण भी करते हैं और बिजली लाइन का मेंटेनेंस भी करते हैं। यही वजह है कि कमजोर मेंटेनेंस होने से शहर के करीब सवा तीन सौ क्षेत्रों में बिजली लाइनों और खंभों से पेड़ों की डालियां तक नहीं हटाई जा सकीं है।