- प्रणव बजाज

वीडी शर्मा ने फिर शुरू की मुलाकात पॉलिटिक्स
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने एक बार फिर मुलाकातों का सिलसिला शुरू किया है। इस बार उनका प्रत्येक मंत्री के बंगले जाकर चाय, नाश्ता अथवा लंच करने का कार्यक्रम है। पिछले हफ्ते वे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बंगले पर पहुंचे थे। चाय नाश्ते के साथ लंबी चर्चा की। वहीं इस बार शनिवार को वे प्रदेश सरकार के मंत्री रामकिशोर कांवरे और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के निवास पर पहुंचे। उन्होंने दोनों नेताओं से करीब एक घंटे तक पार्टी के संगठनात्मक गतिविधियों को लेकर बातचीत की। बता दें कि वीडी शर्मा ने सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल और कार्यकर्ताओं को सत्ता में बैठे नेता ज्यादा सुने इस उद्देश्य से लेकर हर मंत्री के निवास पर जाना तय किया है। सांसद शर्मा जब मंत्री कांवरे से मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के निवास पर पहुंचे तो उनके साथ दोपहर का भोजन किया। दोनों नेताओं के बीच रीवा में चल रही पार्टी की गतिविधियों को लेकर भी चर्चा हुई। ज्ञात हो कि पूर्व में उप चुनावों के दौरान भी वीडी ने रोज किसी न किसी पार्टी कार्यकर्ता के घर जाकर भोजन करने का सिलसिला चलाया था।
बुरे फंसे पूर्व मंत्री हुकुमसिंह कराड़ा
प्रदेश में पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान जल संसाधन विभाग की परियोजनाओं में 877 करोड़ रुपए के अग्रिम भुगतान को लेकर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इससे तत्कालीन कमलनाथ सरकार में जलसंसाधन मंत्री रहे हुकुम सिंह कराड़ा बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। दरअसल पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी का कामकाज पहले ही जांच के दायरे में है। ऐसे में अब अधिकारियों के बहाने कांग्रेस नेताओं की घेराबंदी तेज की गई है। ज्ञात हो कि नियमों की अनदेखी कर कमलनाथ सरकार में कंपनियों को अग्रिम भुगतान किया गया था तब उनके करीबी माने जाने वाले आईएएस अधिकारी एवं गोपाल रेड्डी एसीएस थे। बाद में कमलनाथ ने उन्हें मुख्य सचिव नियुक्त किया था। शिवराज सरकार ने मामले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को पत्र भेजा था। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद अब ईओडब्ल्यू पूरे मामले में अधिकारियों से पूछताछ करेगी। साथ ही पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा को भी निशाने पर लेने की तैयारी है।
मप्र में फिल्म शूटिंग की परमीशन अब ऑनलाइन मिलेगी
मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार एवं फिल्मांकन के दौरान क्षेत्रीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए मप्र फिल्म पर्यटन नीति लागू की गई है। विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला के अनुसार भारत सरकार की मुहिम के अंतर्गत मप्र टूरिज्म बोर्ड ने राज्य में शूटिंग की अनुमति की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टलfilmcell.mponline.gov.in का निर्माण किया है। इस पोर्टल का प्रथम चरण जनवरी से संचालित किया जा रहा है। फिल्म इंडस्ट्री की अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। शुक्ला ने बताया कि फिल्म निर्माण से संबंधित व्यक्तियों के सुझाव एवं वर्तमान के आधार पर पोर्टल को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही फिल्म निर्माताओं को शूटिंग सुविधा एवं नीति के उद्देश्यों को लागू करने के लिए मप्र पर्यटन बोर्ड के अंतर्गत फेलिसिटेशन सेल को नोडल एजेंसी के रूप में गठित किया गया है। यह सेल राज्य में शूटिंग की अनुमति, लोकेशन शुल्क निर्धारण, नवीन पर्यटन स्थलों के विकास एवं फिल्म निर्माण के माध्यम से रोजगार की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।
नगरीय निकाय आरक्षण का फैसला 21 जून को
प्रदेश में नगरीय निकायों में महापौर, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर आरक्षण का फैसला 21 जून को हो जाएगा। दरअसल आरक्षण पर लगी याचिका पर अंतिम सुनवाई अब 21 जून को होना कोर्ट में नियत है। बता दें कि कोर्ट ने याचिका के बाद दो नगर निगम मुरैना और उज्जैन और 79 नगर पालिका, नगर पंचायतों में नियमों का पालन न करने पर आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही शासन से जवाब मांगा था। उसके बाद मामले में सरकार की ओर से जवाब पेश करते हुए कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 243 (व) नगरपालिका अधिनियम की धारा 29 में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के जो अध्यक्ष चुने जाने हैं उनके पदों के आरक्षण का अधिकार और शासन को दिया गया है। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए जो पद आरक्षित किए जाते हैं वह मतगणना के आधार पर तय किए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि जो पद एक बार आरक्षित हो गया वह वापस आरक्षित नहीं हो सकता। नगर निगम के महापौर, नगर पालिका एवं नगर पंचायतों के अध्यक्षों के पद आरक्षण में कोई चूक नहीं हुई है।