कोरोना योद्धाओं को नहीं मिल पा रहा सरकार की योजनाओं का लाभ

कोरोना योद्धाओं

-पिछले साल कोरोना संक्रमण काल में काम करने वाले कई ऐसे सरकारी कर्मी हैं जिनको प्रोत्साहन की राशि नहीं मिल सकी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।
प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर अब नियंत्रण में है। प्रदेश के हर जिले में हर रोज कोरोना का संक्रमण हो रहा है। वहीं पहली लहर के दौरान की गई घोषणाओं का कोरोना योद्धाओं को लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। पिछले साल कोरोना संक्रमण काल में काम करने वाले कई ऐसे सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हैं जिनको प्रोत्साहन की राशि नहीं मिली है। यही नहीं कई कर्मी तो कोरोना योद्धा का हक पाने के लिए संघर्षरत हैं। उन्हें सरकार से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। दरअसल सरकार ने पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान कई घोषणाएं की थी लेकिन इन पर अमल नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि कर्मियों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से वे अब तक परेशान हो रहे हैं। बता दें कि सरकार ने कोरोना संक्रमित मरीज के साथ काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को दस हजार रुपए प्रति माह की विशेष प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया था। इसी तरह यदि कोई कर्मचारी कोरोना संबंधी काम करते हुए कोविड पॉजिटिव होता है तो उसे दस हजार की एकमुश्त राशि दी जाएगी, लेकिन कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद भी अधिकतर कोरोना योद्धा इस राशि का इंतजार आज भी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल पहली लहर के दौरान कुछ ऐसे मामले आए जिन्हें सरकार ने कोरोना योद्धा माना और उनकी मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई।  यह विशेष प्रकरण कैबिनेट की बैठक में चर्चा के दौरान भी आए और यहीं से अनुकंपा नियुक्ति के निर्णय पर कैबिनेट की मुहर लगी।
कोरोना योद्धा योजना
मप्र सरकार ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया है। विभिन्न विभागों के करीब चार हजार से ज्यादा कर्मियों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इस योजना के तहत आश्रित को पचास लाख की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
पिछले साल ये भी निर्णय लिए गए
पिछले साल वित्तीय वर्ष 20-21 में कोरोना की असामान्य परिस्थितियों से निपटने के लिए घोषणा की गई कि जिलों के कलेक्टर्स विधायक निधि की राशि का उपयोग कोरोना टेस्टिंग किट्स, पीपीई किट्स, इंफ्रारेड  थर्मामीटर, फेस मास्क, ग्लव्स, वेंटीलेटर्स के साथ ही अन्य चिकित्सा उपकरणों की खरीद कर सकेंगे। साथ ही किरायेदारों का किराया माफ करने की बात भी सरकार ने की थी लेकिन इस संबंध में कोई पारदर्शी सिस्टम लागू नहीं होने के कारण किराए को लेकर विवाद सामने आते रहे। वहीं प्रदेश के दो दर्जन जिलों में खनिज निधि में हर साल पांच अरब रुपए की राशि इकट्ठा होती है। इस राशि का एक तिहाई हिस्सा यानी लगभग तीस प्रतिशत राशि को इन्हीं जिलों में कोरोना नियंत्रण एवं बचाव के लिए आवश्यक दवाएं, वेंटिलेटर, बेड्स, सैनिटाइजर, मास्क आदि जरूरत के कार्यों में उपयोग के लिए अनुमति दी गई।
बड़ी संख्या में पद रिक्त
बता दें कि प्रदेश सरकार ने कोरोना की पहली लहर से सबक लेते हुए अस्पतालों के उन्नयन और आवश्यक चिकित्सकीय व्यवस्थाएं बनाने का निर्णय लिया था। हालांकि यह काम अधूरा ही रहा लेकिन अस्पतालों में स्टाफ, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ सहित अन्य स्टाफ पर जरूर ध्यान दिया गया। लगभग दो हजार से ज्यादा स्टाफ नर्स पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई है। डॉक्टरों की भी भर्ती हुई। बहरहाल इस सबके बाद भी वर्तमान में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।

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