
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में मानसून गतिविधियां शुरू होने से पहले ही रेत ठेकेदारों ने हर डंपर पर छह हजार रुपए तक के दामों में वृद्धि कर दी है। यह दाम ऐसे समय बढ़ाए गए हैं, जबकि प्रदेश में एक दिन बाद ही कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन को समाप्त करने की तैयारी है। इसके साथ ही निर्माण कामों में तेजी आने की संभावना है।
मानसून आने के साथ ही अगले माह की अंतिम तारीख से प्रदेश में तीन माह के लिए रेत खदानों को बंद कर दिया जाएगा। इसके चलते रेत ठेकेदारों के साथ ही प्रदेश में सक्रिय रेत माफिया द्वारा सुरक्षित स्थानों पर बड़े पैमाने पर रेत का भंडारण शुरू कर दिया है। इसकी वजह से रेत के दामों में तेजी से वृद्धि हो रही है। दामों में वृद्धि इससे ही समझी जा सकती है कि बीते एक हफ्ते में ही 600 फीट वाले के दाम 20 से 22 हजार रुपये की जगह 26 से 30 हजार रुपये में मिलने लगी है। दरअसल, ठेकेदारों ने अनलॉक होते ही मांग में होने वाली वृद्धि को देखते हुए अभी से घाट से भंडारण स्थल तक रेत की ढुलाई, डंपर भराई और खाली कराई का अतिरिक्त शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। दरअसल जुलाई माह से मछलियों का प्रजनन काल का समय शुरू हो जाता है। इसके साथ ही यही समय नदियों के भराव का भी होता है। इसकी वजह से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के स्थायी आदेश पर हर साल 30 जून से तीन माह के लिए रेत का खनन बंद कर दिया जाता है। इसकी वजह से खनिज निगम ने ठेकेदारों को घाट से पांच से सात किलोमीटर की परिधि में रेत का भंडारण करने की सुविधा दी हुई है। लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए ठेकेदारों ने 15 मई से ही सारे वाहनों को रेत भंडारण में लगा दिया है। इसकी वजह से राजधानी और आसपास के इलाकों में रेत की आवक कम हो गई है। यही वजह है कि डंपर के अलावा 10 दिन पहले तक जो ट्राली 3500 रुपये में आती थी वह भी अब 4000 से 4200 रुपये में मिल रही है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि बारिश शुरू होते ही रेत के दाम और बढ़ना तय है।
रॉयल्टी बढ़ाने का भी असर
रेत के दाम बढ़ने की एक वजह रॉयल्टी की राशि बढ़ना भी है। एक ठेकेदार का कहना है कि दामों में वृद्धि की दूसरी वजह रॉयल्टी की दर में वृद्धि होना भी है। उनका कहना है कि एक सप्ताह पहले 600 फीट पर 10 हजार रुपये रॉयल्टी देनी होती थी, जो अब 13 हजार रुपये कर दी गई है। उनका कहना है कि रॉयल्टी की राशि में कभी भी वृद्धि कर दी जाती है।