
- जनभागीदारी से हारा कोरोना
- अब पूरे देश में लागू होगा मप्र का कोरोना कंट्रोल मॉडल
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर से सिद्ध कर दिया कि जन सहयोग और भागीदारी से बड़े से बड़ा और कठिन से कठिन जंग जीती जा सकती है। शहरों से लेकर गांवों में फैली कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर को मप्र में जिस जनभागीदारी से हराया है उसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रशंसा कर चुके हैं। अब पूरे देश में मप्र का कोरोना कंट्रोल मॉडल लागू होगा।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र सहित देशभर में कोरोना की दूसरी लहर जिस तेजी से फैली उसे देखकर ऐसा लगा कि हालात बदतर हो जाएंगे। लेकिन पहली लहर से प्रदेश को बचाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने के लिए शासन-प्रशासन के सहयोग के साथ ही जनभागीदारी की नीति अपनाई। इस कोरोना काल में शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की तरह नहीं बल्कि परिवार के मुखिया की तरह दिखे। कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए राज्य शासन द्वारा जन-भागीदारी के साथ संचालित अभियानों एवं नवाचारों के सु-परिणामों से एक बार फिर मप्र पूरे देश में मॉडल बन कर उभरा है। कोरोना जैसे अदृश्य शत्रु से लडऩे में जो रणनीति मप में अपनाई गई, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है और अन्य राज्यों को इसका अनुसरण करने के लिए भी कहा है। आज की स्थिति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मप्र में कोरोना के नियंत्रण एवं व्यवस्थाओं के लिए किए जा रहे नवाचारों तथा प्रदेश में जन-सहयोग से हो रहे समन्वित प्रयासों से कोरोना संक्रमण की स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। मप्र की कोरोना पॉजिटिविटी दर जो 1 मई को 20.3 प्रतिशत थी, 21 मई तक घटकर 6 प्रतिशत से नीचे हो गई है। एक्टिव केसेस की संख्या के हिसाब से मप्र 21 अप्रैल को देश में 7वें नंबर पर था। आज की स्थिति में बेहतर सुधार के साथ प्रदेश 15वें नंबर पर आ गया है।
एकजुट होकर लड़ाई लड़ी गई
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना जैसी घातक बीमारी से एक जुट होकर जो लड़ाई लड़ी गई उसमें सभी वर्गों की सहभागिता रही है। यह कार्य अकेले शासन स्तर पर नहीं किया जा सकता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए अनेक ऐसे कार्यक्रम और नवाचार किए गए जिससे समाज के हर वर्ग ने सक्रिय भूमिका निभाई। इसी का परिणाम है कि हम प्रदेश में संक्रमण की चेन को तोडऩे में सफल रहे हैं। राज्य शासन द्वारा निरंतर बढ़ाई गई उपचार की व्यवस्थाओं में समाज सेवी संगठन भी स्व-प्रेरणा से सहयोग के लिए आगे आए। अनेक जिलों में सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से सर्व सुविधायुक्त कोविड केयर सेंटर बन कर तैयार हुए। वे साथ ही कई जिलों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे जीवनदायी उपकरण भी उपलब्ध करवाए गए। मप्र्र के लिए यह खुशी का प्रसंग है कि मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में कोरोना जैसी भयानक विपत्ति के समय प्रदेश की जनता सामूहिक रूप से राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। प्रदेश में मैं भी कोरोना वॉलेंटियर्स अभियान ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया। देखते ही देखते एक लाख से अधिक कोरोना वॉलेंटियर्स स्व-प्रेरणा से काम करने आगे आए। इन्होंने शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जिस जिम्मेदारी के साथ अपना दायित्व निभाया है, वह तारीफे काबिल है। गांव-गांव में कोरोना संक्रमण से बचाव का संदेश देना, ग्रामीणों को वैक्सीन का महत्व बताना और उसके लिए प्रेरित करना, जरूरतमंदों को भोजन कराना, मरीजों के उपचार में सहयोग करना और जिला प्रशासन के साथ मिलकर कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए गए, जो अभी भी जारी हैं। प्रदेश की अधिकांश ग्राम पंचायतों ने स्व-प्रेरणा से निर्णय लेकर सभी गांवों में जनता कफ्र्यू लगाया। ग्रामीणों द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण संकल्प से अनेक गांव ऐसे हैं, जिनमें कोरोना प्रवेश ही नहीं कर पाया। उपचार की व्यवस्थाओं के साथ राज्य सरकार ने दिन प्रति दिन कोरोना टेस्टिंग के प्रतिशत को भी बढ़ाया। 20 मई को रिकार्ड 78,262 टेस्ट किए गए। मुख्यमंत्री का कहना है कि कोरोना टेस्ट हर नागरिक का अधिकार है। जो भी चाहेगा उसका नि:शुल्क टेस्ट कराया जाएगा। एग्रेसिव टेस्टिंग के लिए शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग यूनिट भी कार्य कर रही है। साथ ही शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे किल कोरोना अभियान-3 में घर-घर जाकर सर्वे का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के सर्वे में सुपरवाईजरी टीम ने संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर 2 लाख 56 हजार 793 को मेडिकल किट प्रदान की गई और 5,687 व्यक्तियों को कोविड केयर सेन्टर एवं 47 हजार 131 संदिग्ध व्यक्तियों को फीवर क्लीनिक रेफर किया गया। अभियान में 3,040 पॉजीटिव प्रकरणों का चिन्हांकन हुआ। शहरी क्षेत्र में किल कोरोना अभियान-3 के तहत लगभग 2 करोड़ 12 लाख जनसंख्या का सर्वे लक्षित किया गया हैं, 872 कोविड सहायता केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इन कोविड सहायता केन्द्रों पर एक लाख 16 हजार 146 संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर 85 हजार 299 को मेडिकल किट प्रदान की गई हैं और 21 हजार 219 संदिग्ध व्यक्तियों को फीवर क्लीनिक रेफर किया गया हैं। अभियान में 1,911 पॉजीटिव प्रकरणों का चिन्हांकन हुआ है।
तेजी से कम हो रहा संक्रमण
राज्य शासन के समन्वित प्रयासों, प्रबंधन एवं चिकित्सकीय सुविधाओं की बढ़ोत्तरी से प्रतिदिन स्वस्थ और संक्रमण मुक्त होने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। इससे प्रदेश का रिकवरी रेट 87.66 प्रतिशत तक पहुंच गया है। प्रदेश में एक दिन में जितने लोग स्वस्थ हुए हैं, उनमें से 82.2 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं जो होम आइसोलेशन में और 4.4 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं जो कोविड केयर सेंटर में थे। इस प्रकार 86.6 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जो अस्पताल जाये बिना होम आइसोलेशन और कोविड केयर सेंटर में ही स्वस्थ हो रहे हैं। शेष 13.4 प्रतिशत मरीज अस्पतालों से संक्रमण मुक्त होकर सकुशल अपने घर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना में प्रदेश के शासकीय अस्पतालों और कोविड केयर सेन्टर में प्रदेश का कोई भी नागरिक भर्ती होकर नि:शुल्क इलाज करा सकता हैं। इस कम्पोनेन्ट के तहत आज की स्थिति में 15 हजार 112 मरीज उपचाररत हैं। प्रदेश के चार जिलों इन्दौर, भोपाल, देवास और उज्जैन के प्राइवेट चिकित्सा महाविद्यालय के अस्पतालों में अनुबंधित बिस्तरों पर प्रदेश का कोई भी नागरिक भर्ती होकर नि:शुल्क उपचार करा सकता हैं। अभी इस कम्पोनेन्ट के तहत 2396 मरीज उपचाररत हैं। आयुष्मान से सम्बद्ध समस्त अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड की पात्रता रखने वाले परिवार के सभी सदस्यों का नि:शुल्क उपचार किया जा रहा हैं। इस कम्पोनेन्ट के तहत 5,037 मरीज उपचाररत हैं। कोविड-19 उपचार करने वाले 603 निजी चिकित्सालयों में से 188 निजी चिकित्सालय आयुष्मान योजना से पूर्व से सम्बद्ध हैं। निजी चिकित्सालयों के आयुष्मान से संबद्ध होने के 333 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिसमें से 262 को सम्बद्ध भी किया जा चुका हैं। मुख्यमंत्री चौहान की रणनीति कोरोना से स्वस्थ होने तक ही नहीं है, अपितु पोस्ट कोविड केयर की भी पूरी व्यावस्था प्रदेश में की जा रही है। ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी जिसका इलाज अत्यंत खर्चीला है, के उपचार की नि:शुल्क व्यवस्था की जा रही है। जिन मरीजों में पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशन हैं, उनके उपचार एवं देखभाल के लिए कुछ कोविड केयर सेंटर्स को पोस्ट कोविड केयर सेंटर्स के रूप में भी इस्तमाल किया जा रहा है। प्रदेश के 52 जिलों में 374 कोविड केयर सेंटर्स प्रारंभ किए जा चुके हैं, जिनमें कम लक्षणों वाले रोगियों को रखा जा रहा है। इनमें वर्तमान में कुल 22 हजार 745 बेड्स हैं। इनमें 3525 ऑक्सीजन बेड्स स्थापित किए गए हैं।
हर वर्ग की चिंता
कोरोना ने अनेक परिवारों को कभी न भूलने वाला दर्द दिया है। इसने कई परिवारों को पूरी तरह समाप्त कर दिया है तो हजारों परिवार ऐसे भी हैं जिनके सिर से मुखिया का साया उठ गया है। छोटे बच्चों को छोडक़र माता-पिता दोनों चले गए तो कई जगह मासूम बच्चों के साथ मां अकेले बच गई है। भरण-पोषण का पूरा दारोमदार उसके कंधे पर आ गया है। चाहे सरकारी कर्मचारी हों या आम आदमी, सब पर यह विपदा समान रूप से कहर बरपा रही है। सहानुभूति के शब्द जितने कहे जाएं लेकिन यह सच है कि इससे दुखों पर पहाड़ खत्म नहीं होता। इसके लिए जरूरी है कि संबल और सहयोग के लिए सरकार और समाज दोनों खड़े हों। हमारी सामाजिक संरचना में यह कोई रस्म नहीं बल्कि जिम्मेदारी है। अच्छी बात यह है कि मप्र सरकार ने इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है। पहली बार कोरोना योद्धा का दायरा बढ़ाकर उन छोटे सरकारी या अद्र्धसरकारी या सहकारी कर्मचारियों को भी जोड़ा गया है जो किसी भी रूप में इसकी परिभाषा में नहीं आते थे। यह एक तथ्य है कि कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोडऩे के लिए दिन-रात मैदानी मोर्चा संभाल रहे कर्मचारी भी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। शिक्षक, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, सहकारी संस्थाओं के साथ कई अन्य विभागों के अनेक कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे के प्रयास में जिंदगी की जंग हार गए। उनके न रहने पर परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है लेकिन इनमें से अधिकतर संवर्गों की मदद का कोई इंतजाम नहीं था। उन्हें न कोरोना योद्धा की सुविधाएं मिल पा रही थीं और न कोई अन्य सहायता। चौतरफा संकट से घिरे इन परिवारों की सुध अब राज्य सरकार ने ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इन परिवारों के लिए पहली बार सरकार ने नीतिगत व्यवस्था करके अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण पेश किया है।
संवेदनशील अभिभावक की भूमिका में
प्रदेश की लगभग 8 करोड़ जनता के लिए सदैव अभिभावक की भूमिका में रहने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संकट काल में गरीब एवं जरूरतमंदों के लिए प्रदेश का खजाना खोल दिया। मुख्यमंत्री चौहान ने कोरोना संक्रमण से प्रभावित ऐसे परिवारों के प्रति पूरी संवेदनशीलता अपनाई, जिनके परिवार में कमाने वाला और पालन-पोषण करने वाला सदस्य जीवित नहीं बचा। ऐसे परिवारों के लिए अभिभावक की भूमिका निभाते हुए मुख्यमंत्री ने पांच हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दिए जाने का निर्णय लिया। प्रदेश में गरीब परिवारों को तीन माह का नि:शुल्क राशन दिया जा रहा है। प्रदेश के 6 लाख 10 हजार शहरी पथ विक्रेताओं के खाते में 61 करोड़ की राशि अंतरित की गई। संबल योजना के 16 हजार 844 हितग्राहियों के खातों में 379 करोड़ रुपए की अनुदान राशि का अंतरण किया गया। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 75 लाख किसानों के खातों में 1500 करोड़ रुपए अंतरित किए। प्रदेश की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया तथा सहरिया वर्ग की 2 लाख 18 हजार 593 महिलाओं को 21 करोड़ 85 लाख 93 हजार रुपए की पोषण आहार अनुदान राशि अंतरित की गई। प्रदेश के 27 लाख 35 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 191 करोड़ 44 लाख रुपए की पारिश्रमिक राशि अंतरित की गई। मुख्यमंत्री चौहान ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को संबल योजना में शामिल करने की घोषणा भी की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोविड-19 संकट काल में कर्मचारियों के हित में दो महत्वपूर्ण घोषणाएं करते हुए मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकंपा नियुक्ति योजना और मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना भी लागू की है। मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना समस्त नियमित स्थाईकर्मी, कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले, दैनिक वेतन भोगी, तदर्थ, संविदा, कलेक्टर दर, आउटसोर्स के रूप में कार्यरत शासकीय सेवकों के लिए लागू की गई है। योजना के अंतर्गत इन सेवायुक्तों की कोविड संक्रमण से मृत्यु होने पर उनके परिवार के पात्र एक सदस्य को उसी प्रकार के नियोजन में अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना में राज्य में कार्यरत समस्त, नियमित, स्थाईकर्मी, दैनिक वेतन भोगी, तदर्थ, संविदा, आउटसोर्स, अन्य शासकीय सेवक, सेवायुक्तों की कोविड-19 के कारण आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार को तात्कालिक आर्थिक सहायता के रूप में 5 लाख रूपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना महामारी के काल में जन-जागृति का धर्म निभा रहे प्रदेश के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के सभी अधिमान्य या गैर-अधिमान्य मीडियाकर्मी और संपादकीय विभाग के कर्मचारियों तथा इनके परिवार के सदस्यों के कोरोना से प्रभावित होने पर उनका नि:शुल्क उपचार करवाने का निर्णय भी लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया साथियों के परिवार के कोरोना इलाज की चिंता भी सरकार करेगी।
इसलिए बेहतर है मप्र का मॉडल
मप्र के कोरोना मॉडल को पूरे देश में लागू किया जा सकता है। सीएम शिवराज सिंह चौहान के आइडिया को पीएम नरेंद्र मोदी ने सराहा है। इस मॉडल से मप्र में पॉजिटिविटी रेट में तेजी से कमी आई है और रिकवरी रेट भी तेजी से बढ़ा रहा है। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि कोरोना में मप्र लगातार सुधार की तरफ बढ़ रहा है। सीएम शिवराज के आइडिया को पीएम मोदी ने सराहा है। इस मॉडल को देश में लागू करने की बात हो रही है। साउथ में भी इसी मॉडल को लागू किया जा सकता है। पॉजिविटी रेट लगातार घट रहा है। रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि मप्र में कोरोना की स्थिति में लगातार तेजी से सुधार हो रहा है। सरकार ने किल कोरोना अभियान चलाया, ऑक्सीजन सप्लाय किया। कोविड केयर सेंटर खोले, आयुष्मान योजना का लाभ दिया, रैपिड जांच और वैक्सीनेशन को तेजी से बढ़ाया, फीवर क्लीनिक खोले गए। साथ ही तमाम स्वास्थ सुविधाओं को आम जनता के लिए हर स्तर पर बढ़ाया गया। यही वजह है कि इतने कम समय में हालात कंट्रोल में आ गए। उन्होंने कहा गांव में कोरोना नियंत्रण के मप्र के मॉडल को केंद्र और प्रधानमंत्री ने सराहा है। अब इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है।
ट्रेसिंग और टेस्टिंग में जनता का सहयोग
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मप्र सरकार ने जनता को सहभागी बनाकर एक मिसाल पेश की है। ट्रेसिंग और टेस्टिंग में जनता का भरपूर सहयोग मिला है। मप्र ने जिस जनभागीदारी मॉडल से कोरोना संक्रमण को कम करने में सफलता पाई है उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र सरकार, बिहार सरकार सहित कई राज्यों की सरकारों ने सराहा है। प्रधानमंत्री ने कोरोना प्रबंधन में मप्र द्वारा अपनाए गए जन-भागीदारी मॉडल की सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर क्राइसिस मनेंजमेंट कमेटियां बनाई गई हैं। इनमें पक्ष-विपक्ष के सभी राजनैतिक दलों के लोगों को जोड़ा गया है। यह जनता से जुडऩे का सबसे अच्छा तरीका है। जन-प्रतिनिधियों को जोडक़र हम उनकी ऊर्जा का उपयोग कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में कर सकते हैं। कोरोना संक्रमण गांवों में फैल रहा है। वहां इसका सामना बिना जनशक्ति और जन-सहयोग के नहीं किया जा सकता। ग्राम, वार्ड, जिला स्तर पर जन-प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के विरूद्ध लड़ाई में राजनैतिक दल लोगों को जोडऩे की दिशा में अन्य राज्य भी मप्र के समान कार्य करें तो यह प्रभावी सिद्ध होगा। कलेक्टर इंदौर मनीष सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार प्रदेश में कोरोना के विरूद्ध युद्ध में प्रत्येक स्तर पर जनता का सहयोग लिया जा रहा है। जिला, ब्लाक, पंचायत स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियां काम कर रही हैं। इनमें सभी राजनैतिक दलों के सभी स्तर के जन-प्रतिनिधि सम्मिलित हैं। इनकी पहल और सहयोग से ही जनता कफ्र्यू का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिससे संक्रमण की चेन तोडऩे में मदद मिली है। जनता का सहयोग ट्रेसिंग और टेस्टिंग में भी मिला। कलेक्टर मनीष सिंह ने ग्रामीणों द्वारा स्व-प्रेरणा से विभिन्न गतिविधियों में कोरोना बचाव के लिए अपनाई जाने वाली सावधानियों की सराहना करते हुए कहते हैं कि इनके सहयोग के बिना यह लड़ाई आसान नहीं थी। नगरीय क्षेत्र में माइक्रो कंटेनमेंट एरिया, बाजारों की व्यवस्था, औद्योगिक इकाईयों के सीमित संचालन और ग्रामीण स्तर पर जारी किल कोरोना अभियान, कोविड केयर सेंटर, स्टेप डाउन सेंटर तथा टीकाकरण की व्यवस्था के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जन-सहभागिता के परिणामस्वरूप इन व्यवस्थाओं का प्रबंधन बेहतर हुआ और संभावित मरीजों की पहचान तथा उनके सही समय पर इलाज करने में मदद मिली।
चुनौतियों का किया सामना
कोरोना ने एक बार फिर मप्र के सामने बड़ी चुनौती पेश की है। माना जा रहा था कि 2021 कोरोना के सफाये का साल होगा, लेकिन मार्च माह में संक्रमितों की बढ़ती संख्या ने इस अनुमान को झुठला दिया है। जिस गति से संक्रमण बढ़ रहा था, उससे साफ था कि यदि सख्ती और सावधानी न बरती गई तो आने वाले कुछ माह कठिनाई में ही बीतने वाले हैं। यह अच्छी बात है कि 2020 की तुलना में राज्य सरकार कोरोना को लेकर ज्यादा सचेत है। उसने समय रहते ऐहतियाती कदम उठाए हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलने लगे हैं। पिछले साल जब कोरोना की शुरुआत हो रही थी, तब मप्र में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। ठीक उसी समय कमलनाथ-दिग्विजय-सिंधिया का सियासी विवाद चरम पर था, जिसके कारण कांग्रेस में विद्रोह की भूमिका बन गई। सत्ता के संघर्ष में उलझे मुख्यमंत्री कमलनाथ कोरोना से लड़ाई में उतना समय नहीं दे सके जितना जरूरी था। जैसे-जैसे सत्ता का संघर्ष बढ़ता गया वैसे-वैसे कोरोना भी पांव फैलाता गया। आखिरकार कमलनाथ की सरकार गिर गई, लेकिन तब तक कोरोना तेजी पकड़ चुका था। बाद में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में गठित सरकार ने कोरोना से लडऩे की इच्छाशक्ति दिखाई। सुरक्षा प्रबंधों के साथ चिकित्सकीय इंतजाम पर ध्यान दिया। सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ कई निजी अस्पतालों से भी अनुबंध किया। लॉकडाउन से लेकर छोटे-छोटे प्रतिबंध लगाए गए, जिसके कारण कुछ माह में कोरोना का विस्तार थमने लगा। साल 2020 के अंत तक संक्रमण दर में आशा के अनुरूप गिरावट दर्ज की गई। नए साल 2021 की शुरुआत में तो लगने लगा था कि मध्य प्रदेश कोरोना के खिलाफ लड़ाई लगभग जीत चुका है, लेकिन यह खुशफहमी ही थी। प्रतिबंधों में दी गई ढील के दौरान लोगों ने अनुशासन तोड़ दिया, जिसका परिणाम भयावह रूप में सामने आ रहा था। लेकिन सरकार की सतर्कता और जनसहयोग के कारण कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भी ढलान की ओर है।
दो-दो मोर्चों पर एक साथ जंग
जनता को जागरूक करने के साथ प्रशासनिक तंत्र को कसने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो तेजी दिखाई उसी का परिणाम है कि मप्र में एक बार फिर सरकार कोरोना के विस्तार को रोकने में सफल हो पाई है। लेकिन सरकार को कोरोना महामारी से लडऩे के साथ-साथ ब्लैक फंगस नामक जानलेवा बीमारी के कहर से निपटने के लिए जंग का एक दूसरा मोर्चा भी खोलना पड़ा है। कोरोना से लड़ रही शिवराज सरकार के सामने अब इस नई बीमारी ब्लैक फंगस ने चुनौती बढ़ा दी है। सरकार ने ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए जिलों के अस्पतालों में अलग-अलग वार्ड बनाए जाने के साथ ही जरूरी इंजेक्शन मुहैया कराने, उसकी कालाबाजारी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री हर दिन समीक्षा बैठक कर रहे हैं। मप्र में स्वास्थ्य विभाग ने हर संभाग के लिए प्रोटोकॉल जारी कर घर-घर सर्वे, इलाज, दवा, निगरानी से लेकर तमाम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिलों के कलेक्टर भी अपने स्तर पर हिदायतें जारी कर रहे हैं। स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने भी एक प्रोटोकॉल जारी कर ब्लैक फंगस को रोकने के लिए निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि कोविड रोगी के साथ संदिग्ध और ठीक हो चुके व्यक्तियों में डायबिटीज की प्रतिदिन निगरानी रखी जाए। किसी भी स्थिति में स्टेरॉयड और ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटी बायोटिक्स का अनावश्यक अनुचित सेवन नहीं कराया जाए। ऑक्सीजन सपोर्टेड रोगियों के लिए ह्यूमिडिफायर बॉटल में स्टराइल अथवा डिस्टिल्ड वाटर का उपयोग किया जाए।