सुनीता के बाद मप्र में कुछ और माओवादी कर सकते हैं समर्पण

 माओवादी
  • बड़े नेताओं के समर्पण और उनकी अपील का असर

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बालाघाट में 31 अक्टूबर को 22 वर्ष की महिला माओवादी सुनीता सियाम के समर्पण के बाद मध्य प्रदेश में कुछ और माओवादी जल्द ही आत्मसमर्पण कर सकते हैं। दरअसल, बालाघाट और मंडला में सक्रिय कुछ माओवादी दलम छोड़ चुके हैं। वे लगभग एक माह से दिखाई नहीं दिए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि ये भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं। सुनीता ने पुलिस को बताया है कि महाराष्ट्र में समर्पण करने वाले सोनू और रूपेश से प्रभावित होकर उसने यह कदम उठाया है। महाराष्ट्र में ही समर्पण करने वाले भूपति ने वीडियो जारी कर माओवादियों को समर्पण करने की अपील की है। वीडियो में उसने कहा कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं, इसलिए हमें कानून के दायरे में रहकर अब काम करना होगा। माना जा रहा है कि इसका माओवादियों पर बड़ा असर हुआ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि माओवादियों ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को एक जोन (एमएमएसी) में रखा है। माओवादियों के संगेख्न में सबसे नीचे श्रेणी में गांव या एरिया कमेटी होती है। सुनीता इसकी सदस्य थी। वह सेंट्रल कमेटी सदस्य (सीसीएम) रामदेर के गार्ड के रूप में काम कर रही थी। सूत्रों के अनुसार रामदेर ने सुनीता को बताया था कि सोनू दादा, रुपेश दादा व उनके साथियों ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस के सामने समर्पण कर दिया है। इसके बाद से ही मप्र में सक्रिय माओवादी समर्पण करने पर विचार कर रहे हैं। पुलिस से पूछताछ में सुनीता ने यह जानकारी दी है। बता दें कि पहली बार प्रदेश में किसी महिला माओवादी ने समर्पण किया है। छत्तीसगढ़ के बीजापुर की रहने वाली सुनीता वर्ष 2022 में माओवादी संगठन से जुड़ी थी। उस पर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस की खुफिया जानकारी के अनुसार, प्रदेश में लगभग 60 माओवादी सक्रिय हैं, जिनमें आधे से अधिक महिलाएं हैं।

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