मप्र मानव अधिकार आयोग में नियुक्तियों पर विवाद

  • नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति के कारण अटकी अध्यक्ष और न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों का मामला विवादों में फंस गया है। दरअसल, आयोग में नियुक्तियों को लेकर कल शाम को सीएम हाउस में बैठक हुई। बैठक में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्तियों को लेकर एतराज जताया और अपनी असहमति जताई। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष भी मौजूद थे। नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति के बाद अब मानव अधिकार आयोग में सिर्फ प्रशासनिक सदस्य के तौर पर एपी सिंह की नियुक्ति होगी। आपत्ति के कारण न्यायिक सदस्यों के 3 नाम होल्ड कर दिए गए हैं।
मप्र मानव अधिकार आयोग में नियुक्तियों को लेकर हुई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रशासनिक सदस्य के लिए एपी सिंह के नाम पर सहमति दी। सिंह मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस प्रक्रिया को संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ बताते हुए लिखित आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि जरूरत पड़ी तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सिंघार ने आरोप लगाया कि 22 राज्यों की तरह सार्वजनिक विज्ञापन जारी करने की प्रक्रिया यहां नहीं अपनाई गई। इससे योग्य और अनुभवी अभ्यर्थियों को आवेदन का अवसर नहीं मिला और अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व भी नहीं हो पाया। वहीं मप्र में तीन साल से आयोग में अध्यक्ष पद रिक्त है। हालात ऐसे हैं कि जनसमस्याओं से जुड़े चार हजार से अधिक प्रकरण सुनवाई के इंतजार में अटके हुए हैं। आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य होते हैं। इसकी चयन प्रक्रिया शुरुआत से ही विरोध के चलते खटाई में पड़ती दिख रही है।
खास को उपकृत करने पद का नाम बदल दिया गया
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि मानव अधिकार आयोग में न्यायिक सदस्य का पद है लेकिन, व्यक्ति विशेष को उपकृत करने के लिए वर्तमान में पद का नाम बदलकर प्रशासकीय सदस्य के तौर पर एक आवेदन बुलाया गया है। जो आवेदन बुलाए गए हैं, उनमें समाज के चुनिंदा वर्ग के लोगों के ही आवेदन शामिल किए गए हैं। विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए केवल उन्हीं लोगों को रिक्त पदों की सूचना गोपनीय तरीके से देकर उनसे ही आवेदन बुलवाए गए हैं। बैठक में जानो से पहले नेता प्रतिपक्ष ने कहा इस पूरी प्रक्रिया को इतने गोपनीय और छुपाकर क्यों किया जा रहा है? सिंघार ने मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ही व्यक्ति को बार-बार चयनित कर अध्यक्ष का प्रभार क्यों दिया जा रहा है? मानव अधिकार आयोग के एक्ट का खुला उल्लंघन सरकार कर रही है।
तीन साल से खाली है अध्यक्ष पद
आयोग के स्थायी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति लंबे समय से अटकी हुई है। अक्टूबर 2022 में अध्यक्ष जस्टिस एनके जैन सेवानिवृत्त थे। तब से कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में पहले मनोहर ममतानी हुए और फिर राजीव कुमार टंडन को जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन वे भी सितंबर 2024 में सेवानिवृत्त हो गए। वर्तमान में अध्यक्ष और दो सदस्यीय पद खाली हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने लगाए आरोप
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में नियुक्तियों को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की गई। आयोग में रिक्तियों के लिए सार्वजनिक सूचना या विज्ञापन का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। स्वप्रेरणा से प्राप्त आवेदन का हवाला दिया, जो समान अवसर-पारदर्शिता के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल, केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसे निकायों में खुले विज्ञापन और स्पष्ट मानदंड पर बल दिया। समिति को भेजे गए नामों में अजा, अजजा का भी प्रतिनिधित्व नहीं है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि मैंने लिखित में आपत्ति दर्ज कराई है। फिर भी आयोग में नियमों के तहत नियुक्तियां नहीं की और सभी वर्गों के अभ्यर्थियों को आवेदन करने के अवसर नहीं दिए तो हाईकोर्ट जाएंगे।

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