सोयाबीन उत्पादक किसानों पर दोहरी मार

सोयाबीन
  • सरकार भावांतर से भरेगी किसानों का घाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  मध्य प्रदेश में सरकार की पहली प्राथमिकता खेती-किसानी है। सरकार की हमेशा कोशिश रहती है कि प्रदेश में किसानों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस कड़ी में एक बार फिर सरकार किसानों के लिए ढाल बनने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों का कल्याण मध्य प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सोयाबीन उत्पादक किसानों को किसी भी हालत में घाटा नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को सोयाबीन का उचित मूल्य दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोयाबीन के लिए एमएसपी प्रति क्विंटल 5328 रुपये घोषित की है। किसान संघों के सुझाव पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष सोयाबीन के किसानों को भावांतर का लाभ दिया जाएगा।
दरअसल, प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक किसानों पर इस साल दोहरी मार पड़ रही है। एक तो ज्यादा बारिश के कारण फसलें पिट गईं। वहीं, यलो मोजेक बीमारी के कारण भी प्रदेश में सोयाबीन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कृषि मंडियों में सोयाबीन का भाव 4,000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है। सोयाबीन का भाव कम होने से किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है। किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि मंडियों में कम भाव पर बिक रहे सोयाबीन से होने वाले घाटे की भरपाई करने को लेकर मप्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। मप्र सरकार भावांतर भुगतान योजना के जरिए किसानों को नुकसान की भरपाई करेगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,328 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। मप्र में इस साल सोयाबीन का रकबा करीब 51.90 लाख हेक्टेयर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा सोयाबीन की फसल का एमएसपी 5,328 रुपए निर्धारित किया गया है। मप्र के सोयाबीन उत्पादक किसानों को भी यही रेट दिया जाएगा। किसानों को भावांतर भुगतान योजना से उनके खाते में बोनस का पैसा दिया जाएगा।
भावांतर योजना में पंजीयन शीघ्र शुरू होगा
 किसान पहले की भांति मंडियों में सोयाबीन का विक्रय करेगा। अगर एमएसपी से कम कीमत पर सोयाबीन बिकता है तो किसानों के घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत सरकार द्वारा की जाएगी। फसल के विक्रय मूल्यों और न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी के अंतर की राशि सीधे सरकार देगी। उन्होंने कहा कि भावांतर योजना में किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जा रही है। यदि मंडी में औसत गुणवत्ता की कृषि उपज का विक्रय मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो, लेकिन राज्य सरकार द्वारा घोषित औसत मॉडल भाव से अधिक हो तो किसान को केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य और वास्तविक बिक्री मूल्य के अंतर की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। यदि मंडी में कृषि उपज का विक्रय मूल्य राज्य सरकार द्वारा घोषित औसत मॉडल भाव से भी कम हो तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य और घोषित औसत मॉडल भाव के अंतर की क्षतिपूर्ति दी जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पूर्व में भी फसलों की क्षति पर किसानों को राहत राशि प्रदान की गई है। किसान हितैषी निर्णय पहले भी लिए गए हैं। बाढ़ से प्रभावित किसानों को भी सहायता दी गई। सकंट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार सदैव खड़ी है। पीले मोजेक से हुए नुकसान के लिए भी सर्वे करवाया जा रहा है। किसानों को प्रभावित फसलों के लिये आवश्यक राहत प्रदान की जाएगी।
फिर लागू होगी भावांतर योजना
मध्य प्रदेश के किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा भावांतर भुगतान योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत, न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि उपज मंडी समिति में मॉडल विक्रय दर के अंतर की राशि, सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद किसान के बैंक खाते में जमा की जाती है। मप्र में 2017 में यह योजना लागू की गई थी। हालांकि बाद में सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। मध्य प्रदेश के इतिहास में अब तक सिर्फ एक बार पिछले साल एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी हुई थी। पिछले साल कांग्रेस और आरएसएस से जुड़े संगठन भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसान सडक़ों पर उतर गए थे। बढ़ते विरोध के बीच 10 सितंबर, 2024 को सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी के संबंध में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की मंजूरी दी गई और उसी रात केंद्रीय कृषि मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया गया। कृषि मंत्रालय ने 11 सितंबर की सुबह एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। 25 सितंबर, 2024 से सोयाबीन खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हुए थे और 25 अक्टूबर से सोयाबीन का उपार्जन शुरू हो गया था, लेकिन इस साल अब तक मप्र सरकार द्वारा केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजे जाने के कारण किसान संशय में थे कि सरकार एमएसपी पर सोयाबीन खरीदेगी या नहीं। अब सरकार ने किसानों को भावांतर भुगतान योजना से उनके खाते में बोनस का पैसा देने का निर्णय लिया है। पिछले साल मप्र में 25 अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी हुई दा हुई थी। प्रदेश में 2.12 लाख किसानों से 6.22 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया था। पिछले साल सोयाबीन की एमएसपी 4,892 रुपए प्रति क्विंटल थी। इस साल 45 से 50 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उत्पादन अनुमानित है।

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