
- रवि खरे
वोटर आईडी से पासपोर्ट तक: फर्जी दस्तावेज से भारत में जिहादी खेल रहे खतरनाक खेल
हमसे और आपसे ज्यादा भारतीय तो बांग्लादेशी घुसपैठिये बन गए हैं। ये न सिर्फ फर्जी वोटर बनकर सत्ता के खेल में शामिल हो रहे हैं, बल्कि आतंक की नर्सरी भी चला रहे हैं। ये घुसपैठिये बांग्लादेश से आकर फर्जी पहचान पत्र, वोटर कार्ड, बैंक अकाउंट और पासपोर्ट तक बनवा ले रहे हैं और जिहाद के नाम पर खतरनाक खेल भी खेल रहे हैं। विशेष मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) पर मचे सियासी शोर के बीच यह सच इतना खतरनाक है, जिसे जानकर आप भी दहशत में आ जाएंगे। पश्चिम बंगाल से घुसपैठ कर उस राज्य के साथ-साथ पड़ोसी असम से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जिहाद का व्याकरण रच रहे हैं। वह भी मस्जिद, मदरसे और इमामों की आड़ में। कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे एसआईआर ही नहीं, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अहमियत भी स्पष्ट हो जाती है। ये घुसपैठिये सिर्फ संसाधन ही नहीं लूट रहे, बल्कि देश के नीचे एक ऐसा डायनामाइट बिछा रहे हैं, जिसे पहचाना नहीं गया तो परिणाम घातक हो सकते हैं। इस चक्रव्यूह को गैरजिम्मेदार राजनीति मजबूत कर रही है। कुछ किरदारों और केस स्टडी के जरिये इस साजिश की परतें उधेड़ते हैं। बांग्लादेश के नारायणगंज का रहने वाला रहमतुल्लाह शेख आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन का सरगना है। भारत में बुरहान शेख बनकर घुसा। फर्जी वोटर कार्ड, पैन कार्ड के साथ पासपोर्ट तक के लिए आवेदन किया।
चिंता: एंटीबायोटिक नुकसानदायक, फिर भी डॉक्टर लिख रहे
21वीं सदी की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को माना जा रहा है। लेकिन भारत में डॉक्टर वायरल बीमारियों के लिए भी एंटीबायोटिक लिख रहे हैं। हाल ही में साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस समस्या की गहराई को उजागर किया है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने इस अध्ययन में भारत के कर्नाटक और बिहार के 253 कस्बों में मरीजों का इलाज कर रहे 2,282 प्राइवेट डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन का विश्लेषण किया और फिर उनसे बातचीत भी की। टीम ने पाया कि 70 फीसदी डॉक्टरों ने बच्चों के वायरल दस्त में भी एंटीबायोटिक लिख दी जबकि राष्ट्रीय स्तर पर एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर दिशा निर्देश मौजूद हैं और दस्त में इस तरह की दवाओं की सलाह नहीं देते। इसके अलावा, 62 फीसदी डॉक्टर जानते थे कि एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए, फिर भी उन्होंने मरीज को दवा लिखी। शोधकर्ताओं ने कहा है कि अगर केवल इन डॉक्टरों को एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर जागरूकता पर ध्यान दिया जाए तो महज गलत प्रिस्क्रिप्शन में सिर्फ 6 फीसदी की कमी आ सकती है लेकिन अगर डॉक्टर वही लिखें जो वे जानते हैं (यानी ‘नो-एंटीबायोटिक’) तो गलत प्रिस्क्रिप्शन 30 फीसदी तक घट सकते हैं।
23 माह से जेल में बंद सपा नेता आजम खां आज हो सकते हैं रिहा
सीतापुर की जेल में आजम खां 23 माह से बंद हैं। इस दौरान वह कभी भी रामपुर की कोर्ट में नहीं पहुंचे। इस दौरान वह कभी भी रामपुर कोर्ट में नहीं पहुंचे। उन पर 104 मामले दर्ज थे, जिनमें 12 में फैसला सुनाया जा चुका है। इनमें पांच में सजा और सात में बरी कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा समय में 59 मामले सेशन कोर्ट, जबकि 19 मामले मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहे हैं। भाजपा सरकार में सपा नेता आजम खां पर 104 मामले दर्ज हुए थे। दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सजा मिलने के बाद सपा नेता आजम खां 18 अक्तूबर 2023 को जेल गए थे। उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम भी गए थे। आठ माह बाद पत्नी तजीन फात्मा और 17 माह बाद बेटा अब्दुल्ला आजम जमानत मिलने पर जेल से बाहर आए थे।
ट्रंप बोले- गर्भावस्था में टायलनॉल से बच्चों में हो सकता है ऑटिज्म
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि गर्भावस्था के दौरान टायलनॉल दवा का सेवन करने से बच्चों में ऑटिज्म की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस दावे का अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ट्रंप ने व्हाइट हाइस में सुझाव कि गर्भवती महिलाओं की पूरी गर्भावस्था के दौरान टायलनॉल नहीं लेना चाहिए। उन्होंने टीकों को लेकर भी आधारहीन चिंता व्यक्त की। स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के नेतृत्व मेक अमेरिका हेल्दी अगेन अभियान चलाया जा रहा है। हाल के वर्षों में ऑटिज्म के मामलों में आई तेजी के कारण ट्रंप प्रशासन पर जवाब देने के लिए भारी दबाव है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटिज्म के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण इसकी नई परिभाषा है, जिसमें अब हल्के लक्षण वाले मामले भी शामिल हैं। साथ ही अब पहले की तुलना में बेहतर और अधिक सटीक निदान हो पा रहा है।
