
- मिट्टी और पानी से फैलता है रोग, गलत इलाज से 40 फीसदी रोगियों की हो रही मौत
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मध्यप्रदेश में संक्रामक बीमारी मेलियोइडोसिस को लेकर नेशनल हेल्थ मिशन ने अलर्ट जारी किया है। यह बीमारी मिट्टी और पानी में पाए जाने वाले बर्कहोल्डेरिया स्यूडोमेलाई नामक बैक्टीरिया से फैलती है। बरसात और नमी के मौसम में इसके संक्रमण की संभावना और बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रोग खासतौर पर डायबिटीज, किडनी के मरीजों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। मेलियोइडोसिस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उभरती हुई उपेक्षित बीमारियों की सूची में शामिल किया है। दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य, इसके नए हॉटस्पॉट बनते दिख रहे हैं। एम्स भोपाल की बीते मंगलवार को आई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह सालों में प्रदेश के 20 से अधिक जिलों से 130 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। यह बीमारी अब स्थानिक (एंडेमिक) रूप ले चुकी है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि मेलियोइडोसिस से पीडि़त हर 10 मरीजों में 4 की मौत हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसके लक्षण अक्सर टीबी जैसे लगते हैं, जिससे मरीजों को गलत इलाज मिलता है और संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है।
क्या है लक्षण
मेलिओइडोसिस के लक्षण शुरू में सामान्य बुखार जैसे होते हैं, लेकिन यह धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं। इसमें फेफड़ों में संक्रमण, त्वचा पर फोड़े-फुंसी, और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तक संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। शुरुआती लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, इसलिए सतर्कता बहुत जरूरी है।
बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि खेतों में काम करते समय पूरी सावधानी बरतें। हाथों और पैरों को ढककर रखें, ताकि मिट्टी या गंदे पानी के संपर्क में न आएं। मधुमेह रोगियों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। इसके अलावा, स्वच्छता का ध्यान रखना और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
इस बीमारी से बचने के लिए जागरूकता और सही समय पर इलाज बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आपको बुखार, त्वचा पर फोड़े, या अन्य असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाएं। यदि किसी को 2-3 हफ्तों से अधिक बुखार है, एंटी-टीबी दवा से लाभ नहीं हो रहा या बार-बार फोड़े बन रहे हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ से मेलियोइडोसिस की जांच करवाएं। यही सावधानी जीवन बचा सकती है।
20 जिलों में आ चुके केस
एम्स की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 6 सालों में प्रदेश के 20 से अधिक जिलों से 130 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी अब प्रदेश में स्थानिक (एंडेमिक) रूप ले चुकी है। एम्स ने डॉक्टरों और आम जनता दोनों से अपील की है कि लंबे समय तक ठीक न होने वाले बुखार और टीबी जैसे लक्षणों को हल्के में न लें।
14 नए केस और डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
एम्स भोपाल ने 2023 से अब तक चार विशेष प्रशिक्षण आयोजित किए हैं, जिनमें 50 से अधिक चिकित्सक और माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रशिक्षित हुए। हाल ही में 14 नए केस जीएमसी भोपाल, बीएमएचआरसी, जेके हॉस्पिटल, सागर और इंदौर से रिपोर्ट हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि पहचान की क्षमता बढऩे से केस तेजी से सामने आ रहे हैं।
इन जांच से होगी रोग की पुष्टि
– खून, पस, थूक, यूरिन या सीएसएफ (रीढ़ के तरल) का सैंपल
– ब्लड एगर, मैककॉनकी या ऐशडाउन मीडियम पर कल्चर टेस्ट
– माइक्रोस्कोप में सुरक्षा-पिन जैसे धब्बे
– यह बैक्टीरिया ऑक्सीडेज पॉजिटिव और अमिनोग्लाइकोसाइड्स/पोलिमिक्सिन रेसिस्टेंट होता है।