
- ट्रांसमिशन लॉस कम करने और बिजली आपूर्ति स्थिर रखने की कवायद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली वितरण कंपनियों द्वारा 25 साल से पुराने ट्रांसफार्मर को बदला जा रहा है, ताकि बिजली की बचत की जा सके और लोड लॉस (ऊर्जा हानि) को कम किया जा सके। नए और ऊर्जा-कुशल ट्रांसफार्मर की जीवन-चक्र लागत कम होती है और ये पीक लोडिंग (अधिकतम लोड की स्थिति) में बिजली की बचत करते हैं, जिससे बिजली के बिलों में कमी आती है और आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ती है। पुराने ट्रांसफार्मर इसलिए बदले जा रहे हैं कि पुराने ट्रांसफार्मर की तुलना में नए ट्रांसफार्मर अधिक ऊर्जा-कुशल होते हैं, जो ऊर्जा हानि को कम करते हैं। ये ट्रांसफार्मर बिजली को उत्पादन केंद्रों से लोड केंद्रों तक स्थानांतरित करते समय होने वाली ऊर्जा हानि (लोड लॉस) को कम करने में मदद करते हैं। ट्रांसफार्मर प्रौद्योगिकी में हुए सुधारों से नए ट्रांसफार्मर ऊर्जा दक्षता में पर्याप्त वृद्धि करते हैं, जिससे ऊर्जा लागत कम होती है। नए ट्रांसफार्मर आपूर्ति की विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं, जिससे बार-बार होने वाली बिजली कटौती से बचा जा सकता है। लंबी अवधि में, ऊर्जा-कुशल ट्रांसफार्मर अपनी जीवन-चक्र लागत को प्रभावी बनाते हैं, जो बेहतर पीक लोडिंग, कम बिजली बिल और अधिक विश्वसनीय बिजली आपूर्ति में तब्दील होती है।
ऊर्जा संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (एमपीपीटी सीएल) ने एक बड़ा अभियान शुरू किया है। कंपनी ने अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क को अधिक टिकाऊ, ऊर्जा दक्ष और सुरक्षित बनाने के लिए तकनीकी सुधार लागू किए हैं। इसके अंतर्गत पुराने उपकरणों को बदला जा रहा है, सबस्टेशनों को हरित ऊर्जा से जोडऩे की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं और बिजली खपत कम करने के उपाय अपनाए जा रहे हैं। इससे बिजली कंपनियों का ट्रांसमिशन लॉस कम होगा और बिजली आपूर्ति भी स्थिर रहेगी। सबसे अहम सुधार 25 साल से अधिक पुराने ट्रांसफॉर्मरों को बदलने का है। इन पुराने ट्रांसफॉर्मरों में लोड लॉस अधिक था, जिससे ऊर्जा की बर्बादी होती थी। वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 220/132 केवी, 120 एमवीए ट्रांसफॉर्मरों की जगह उच्च क्षमता वाले 160 एमवीए ट्रांसफॉर्मर लगाए हैं। इसी तरह (132/33 केवी) ट्रांसफॉर्मरों को बदलकर उनकी जगह 50/63 एमवीए क्षमता वाले नए ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए गए हैं।
ऊर्जा बचत के लिए कई अन्य उपाय
नए ट्रांसफॉर्मरों के कारण ट्रांसमिशन लॉस कम होगा, ग्रिड की विश्वसनीयता बढ़ेगी और बिजली आपूर्ति और अधिक स्थिर होगी। इससे न सिर्फ कंपनी को फायदा होगा, बल्कि उपभोक्ताओं तक बेहतर गुणवत्ता वाली बिजली भी पहुंच सकेगी। वहीं बिजली खपत करने के उपाय भी किए जा रहे हैं। इसके तहत पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने सबस्टेशनों पर पहले पारे और हैलोजन लैंप हटाकर हाई प्रेशर सोडियम वेपर लैंप लगाए थे। अब इन्हें भी पूरी तरह एलईडी लैंप से बदल दिया गया है। एलईडी के उपयोग से लगभग 50 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत हो रही है। कंट्रोल पैनल, चार्जर, ट्रांसफॉर्मर और स्ट्रीट लाइटिंग में भी पारंपरिक बल्बों की जगह एलईडी का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही रोशनी को नियंत्रित करने के लिए व्यवस्था बनाई गई है। आवश्यकतानुसार अधिकतम चार घंटे तक ही सबस्टेशनों को पूरी क्षमता से रोशन किया जाता है, जबकि गैर-जरूरी लाइटें बंद रहती हैं। पुराने ज्यूमैटिक ड्राइव मैकेनिज्म वाले सर्किट ब्रेकर की जगह स्प्रिंग चार्जिंग मैकेनिज्म अपनाया गया है, जिससे अतिरिक्त बिजली खपत पूरी तरह रुक गई है।
रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने की पहल
प्रदेश में ऊर्जा संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। टिकाऊ विकास की दिशा में एमपीपीटीसीएल ने रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने की पहल की है। अब तक 45 ईएचवी सबस्टेशनों में सौर पैनल लगाए जा चुके हैं। नए 132 केवी सबस्टेशनों पर 15 किलोवाट और 220 केवी सबस्टेशनों पर 25 किलोवाट की क्षमता के रूफ टॉप सोलर प्लांट स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। इनसे सबस्टेशनों की सहायक इकाइयों को आवश्यक बिजली मिलेगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। अनुमान है कि इससे प्रतिवर्ष हजारों यूनिट बिजली बचाई जा सकेगी, जिसका सीधा असर पर्यावरण संरक्षण पर पड़ेगा। वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में कंपनी 603 सर्किट किमी ईएचवी (एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज) ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने और 2908 एमवीए ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसमें 132 केवी का नया सब-स्टेशन स्थापित किया जाएगा। साथ ही 20 नए ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे तथा 18 मौजूदा ट्रांसफॉर्मरों का उन्नयन किया जाएगा। राज्य में बिजली उत्पादन, लोड ग्रोथ, उद्योगों की मांग और राष्ट्रीय ग्रिड से बेहतर कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने 14वीं योजना अवधि के लिए 4867 सर्किट किमी ईएचवी लाइनों और 9608 एमवीए क्षमता बढ़ाने का कार्यक्रम बनाया है।