
- मप्र में चिकित्सा शिक्षा पर सरकार का फोकस
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। स्वास्थ्य हो या चिकित्सा शिक्षा मप्र सरकार ने खासा काम किया है। लोगों को घर के नजदीक इलाज मुहैया कराने का प्रयास हो रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने एक बड़ी लकीर खींची है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज बड़ी संख्या में खुल रहे हैं। प्रदेश में निजी कॉलेज भी बड़ी संख्या में खुल रहे हैं। यही नहीं प्रदेश में सरकारी की अपेक्षा निजी कॉलेजों में सीटों की संख्या अधिक है। जानकारी के अनुसार लेकिन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी की सीट संख्या अनुपातिक रूप में निजी मेडिकल कॉलेजों से कम है। यानी पिछले कुछ सालों में निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी की सीटें बढ़ी हैं। गौरतलब है कि मप्र से चिकित्सकों की पौध तैयार करने के लिए विगत एक से डेढ़ दशक में लगातार प्रयास हुए हैं और यह आगे भी जारी भी हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ साथ सरकार ने जिलों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों की भी सौगात दी है। खास बात यह है कि 79 साल पहले स्थापित ग्वालियर का शासकीय गजराराजा मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस सीट संख्या के मामले में भोपाल और इंदौर के चार निजी कॉलेजों से पीछे है। उल्लेखनीय है कि शासकीय और निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस, बीडीएस सहित पीजी डिग्री-डिप्लोमा की सीटें मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा संबंधित संस्थान में सुविधा और उपलब्ध संसाधनों के हिसाब से तय की जाती हैं। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में प्राप्त अंकों के आधार पर पहले प्रतिष्ठित एवं शासकीय महाविद्यालयों की सीटें च्वाइस फिलिंग के माध्यम से भरी जाती हैं। इसके बाद छात्र द्वारा मांगे गए निजी महाविद्यालय में सीट संख्या और उसके अंक प्रतिशत के आधार पर प्रवेश मिलता है।
अभी और बढ़ेंगी सीटें
विगत वर्षों में केन्द्र सरकार ने निजी के साथ-साथ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में भी एमबीबीएस की सीट बढ़ाई हैं। मप्र में 18 शासकीय मेडिकल कॉलेज और 9 प्रायवेट मेडिकल कॉलेज हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के लिए एक छात्र की प्रति सत्र की फीस 14-15 लाख और उससे अधिक भी है। जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 5-6 लाख रुपये तक में 5.5 वर्ष की पूरी डिग्री हो जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के चलते बड़ी संख्या में छात्रों को सरकारी में प्रवेश नहीं मिल पाता, ऐसी स्थिति में इन्हें महंगे निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ता है। खास बात यह है कि ट्यूशन फीस और परीक्षा फीस के अलावा भी प्रायवेट कॉलेज छात्रावास, गणवेश सहित अन्य गतिविधियों के नाम से अलग से भी पैसा वसूलते हैं। मप्र के पांच अन्य स्थानों पर भी शासकीय मेडिकल कॉलेज खोलने की सरकार की योजना है।
सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की 2055 सीटें
मप्र में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस की 2055 और पीजी की 953 सीटें हैं। इनमें जीएमसी भोपाल में एमबीबीएस की 250 और पीजी की 172 सीटें हैं। वहीं एमजीएम, इंदौर एमबीबीएस की 250, पीजी की 250, जीआरएमसी, ग्वालियर में एमबीबीएस की 200, पीजी की 163, एनएसबीएमसी, जबलपुर एमबीबीएस की 180, पीजी की 186, एसएसएमसी, रीवा एमबीबीएस की 150, पीजी की 106, बीएमसी, सागर एमबीबीएस की 125, पीजी की 55, शा.चि. महाविद्यालय, दतिया एमबीबीएस की 120, पीजी की 18, शा.चि. महाविद्यालय, विदिशा एमबीबीएस की 180, शा.चि. महाविद्यालय, रतलाम एमबीबीएस की 180, पीजी की 03, शा.चि. महाविद्याल, खण्डवा एमबीबीएस की 120, छिंदवाड़ा, आईएमसी एमबीबीएस की 100, शा.चि. महाविद्यालय, शहडोल एमबीबीएस की 100, शा.चि. महाविद्यालय, शिवपुरी एमबीबीएस की 100, शा.चि. महाविद्यालय, सतना एमबीबीएस की 150, शा.चि. महाविद्यालय, नीमच मबीबीएस की 100,वीकेएसएमसी, नीमच एमबीबीएस की 100, शा.चि. महाविद्यालय, सिवनी एमबीबीएस की 100 सीटें हैं।
निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की 1750 सीटें
प्रदेश में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1750 और पीजी की 776 सीटें हैं। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल में एमबीबीएस की 250, पीजी की 88 सीटें हैं। वहीं अरविंदो, इंदौर एमबीबीएस की 250, पीजी की 145, आडी गार्डी, उज्जैन एमबीबीएस की 150, पीजी की 107, इण्डेक्स, इंदौर एमबीबीएस की 250, पीजी की 131, एलएनएमसी, भोपाल एमबीबीएस की 250, पीजी की 104, चिरायु, भोपाल में एमबीबीएस की 150, पीजी की 69, अमलतास, देवास एमबीबीएस की 150, पीजी की 52, आरकेडीएफ, भोपाल एमबीबीएस की 150, पीजी की 80, एमएलसीटी, इंदौर एमबीबीएस की 150 सीटें हैं।