प्रभारी सीएमओ के भरोसे शहर सरकारें

  • मप्र में स्थाई सीएमओ का टोटा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नगर विकास की जिम्मेदारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी यानी सीएमओ पर रहती है। लेकिन विडंबना यह है कि मप्र में स्थाई सीएमओ का टोटा है। स्थाई सीएमओ नहीं होने से जहां प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी कामकाज संभाल रहे हैं, वहीं कई जगह तो दागदारों को ही सीएमओ बनाने की मजबूरी है। हालांकि दागदारों को सीएमओ बनाने पर सवाल भी उठ रहे हैं, लेकिन सरकार के सामने ऐसा करने की मजबूरी भी है।  मप्र में नगर विकास की जिम्मेदारी संभालने के लिए मुख्य नगरपालिका अधिकारी का टोटा होने का असर यह देखने को मिल रहा है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अपने पसंद के नगर पालिका/नगर पंचायत कर्मियों को सीएमओ का चार्ज दिलवा रखा है। खास बात यह है कि राजनीतिक दबाव के चलते लिपिक, स्वास्थ्य व राजस्व निरीक्षक, अकाउंटेंट सहित तृतीय श्रेणी के कर्मचारी प्रभारी सीएमओ बने हुए हैं। इसका सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। ऐसी कई नगर पालिका और नगर परिषद हैं, जहां प्रभारी सीएमओ अध्यक्ष के प्रभार में फैसले लेते हैं। सीएमओ की इस कमी का राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ रखने वाले कर्मचारी खूब फायदा उठा रहे हैं। यानी कई निकायों में तो ऐसे कर्मचारियों को प्रभारी सीएमओ बना दिया गया है, जिनके ऊपर पूर्व में भी प्रभारी रहते हुए वित्तीय अनियमितता, पद के दुरुपयोग अथवा लापरवाही के आरोप लग चुके हैं।
बड़े प्रोजेक्ट पर पड़ रहा असर
राज्य सरकार ने वॉटर सप्लाई, सीवरेज, स्वच्छ भारत मिशन के साथ ही एक लाख की आबादी वाले निकायों के लिए अमृत योजना और हाउसिंग फॉर ऑल जैसे प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। ऐसे में निकायों में प्रभारी सीएमओ होने से इन प्रोजेक्ट्स की मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही हैं। लेकिन स्थाई सीएमओ की पदस्थापना होने से विकास कार्यों तेजी से हो सकेंगे। तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर कार्रवाई करने का अधिकार सीएमओ के पास होता है, जबकि स्वास्थ्य निरीक्षक, राजस्व निरीक्षक, मुख्य लिपिक, लेखापाल व उप यंत्री पर कार्रवाई करने का अधिकार संचालक को होता है। लेकिन स्थिति यह है कि कुछ नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में तो तृतीय श्रेणी कर्मचारी या दैनिक वेतन भोगी तक प्रभारी सीएमओ बनाए गए हैं। ऐसे कर्मचारियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। इसलिए संचालक, प्रभारी सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई करने से बचते हैं।
2020 में यह दिया गया था निर्देश
गौरतलब है कि 2020 में नगरीय निकायों में क्लर्क और स्वच्छता निरीक्षकों को मुख्य नगर पालिका अधिकारी-सीएमओ नहीं बनाया जाएगा। यह निर्देश सरकार ने जारी कर दिए थे और इन पदों पर उसी संवर्ग के अधिकारी पदस्थ होंगे। इसी के चलते सरकार ने क्लर्क और स्वच्छता निरीक्षकों से 50 निकायों का प्रभार वापस ले लिया था। सीएमओ के पद पर उसी संवर्ग के अधिकारियों की नियुक्ति के आदेश दिए थे, लेकिन फिर दो साल बाद वापस प्रभारी सीएमओ के भरोसे नगरपरिषद चल रही है।

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