मध्यप्रदेश में दिखने लगा…पौधारोपण का असर

  • अति सघन वनक्षेत्र 356.31 वर्ग किमी बढ़ा
  • गौरव चौहान
पौधारोपण

आज विश्व पर्यावरण दिवस पर मप्र सरकार ने इस मानसून सीजन में एक अनोखी और सराहनीय पहल करते हुए ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान शुरू किया है। यह कार्यक्रम 5 जून से प्रदेशभर के स्कूलों में शुरू किया गया। राज्यभर में इस अभियान के तहत 30 सितम्बर तक 50 लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है। दरअसल प्रदेश में अब तक किए गए पौधारोपण का असर दिखने लगा। ताजा आंकड़ों में प्रदेश का अति सघन वनक्षेत्र 356.31 वर्ग किमी तक बढ़ गया है। प्रदेश में 94689 वर्ग किमी का वनक्षेत्र है। इसमें 61886 आरक्षित और 31098 वर्ग किमी का संरक्षित वन है। इस वनक्षेत्र को अति सघन वन, सामान्य सघन वन और खुले वनक्षेत्र में बांटा गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश के वनक्षपेत्र को हराभरा करने और ओपन फॉरेस्ट को कम करने हर साल 4 से 5 करोड़ पौधे रोपे जाते हैं। इस पौधारोपण का असर अब दिखने लगा है। पिछले सालों की तुलना में प्रदेश में अति सघन वनक्षेत्र भी बढ़ा है और ओपन फॉरेस्ट भी कम हुआ है। दो साल में 76 वर्ग किमी का ओपन फॉरेस्ट कम हो गया है। यानी लगातार हो रहे पौधारोपण से खुला वनक्षेत्र भी अब हराभरा हो गया है। प्रदेश के पर्यावरण के लिए यह सुखद संदेश है। आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास संकेत भोंडवे ने बताया कि आज से प्रारंभ हुए  विशेष पौधरोपण अभियान में अमृत योजना के अंतर्गत वूमन फॉर ट्री अभियान के तहत प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में सघन पौध रोपण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान में एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे सभी नगरीय निकायों के सहयोग से पूर्ण किया जाएगा। आयुक्त ने नगर वनों के निर्माण, जल संरचनाओं के किनारों पर आठ फीट ऊंचे पौधों के रोपण और थीम आधारित उद्यानों की स्थापना जैसे लक्ष्यों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शासकीय भूमि को अतिगिमण से सुरक्षित रखने के लिए पौधारोपण प्रभावी उपाय है।
ओपन फॉरेस्ट घटकर 36543 वर्ग किमी बचा
प्रदेश में साल 2019 में अति सघन वनक्षेत्र 6676 वर्ग किमी का था। साल 2021 में यह वनक्षेत्र 6665 वर्ग किमी का रह गया था। यानी अति सघन वनक्षेत्र भी कम हो गया था। अब अति सघन वनक्षेत्र बढकऱ 7021.31 वर्ग किमी का हो गया है। यानी 356.31 वर्ग किमी का अति सघन वनक्षेत्र बढ़ा है। वहीं साल 2021 में ओपन फॉरेस्ट 36 हजार 619 वर्ग किमी का था, जो अब घटकर 36543 वर्ग किमी का रह गया है। यानी ओपन फॉरेस्ट 76 वर्ग किमी कम हुआ है। साल 2019 से साल 2024-25 तक प्रदेश में 21 करोड़ 78 लाख से अधिक पौधारोपण हुआ। इस पौधारोपण का असर छह साल में नजर आया है, जब प्रदेश में अति सघन वनक्षेत्र बढ़ गया और ओपन फॉरेस्ट कम हो गया है। साल 2024-25 में प्रदेश के वनक्षेत्र में 4 करोड़ 45 लाख से अधिक पौधारोपण हुआ था।
शहरी क्षेत्रों में 26 नगर वन तैयार
वन विभाग की नई कार्ययोजना के मुताबिक 50 लाख हेक्टेयर वनक्षेत्र को हराभरा करने का भी टारगेट है। इसके लिए पांच साल की कार्ययोजना बनाई गई है। नेशनल मिशन फॉर ए ग्रीन इंडिया के तहत वनावरण तैयार किया जाना है। इसमें वनों पर आधारित 30 लाख परिवारों की आजीविका को सुधारने का भी लक्ष्य है। ग्रीन इंडिया मिशन अंतर्गत वर्ष 2017-18 से 2024-25 तक 200 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत हो चुकी है। इससे 29876 हेक्टेयर क्षेत्र को उपचारित कर 7037589 पौधों का रोपण किया गया है। जंगल के अलावा शहरी क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने नगर वन भी तैयार किए जा रहे है। इन नगर वनों में कई तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं। प्रदेश में इस तरह के 100 नगर वन विकसित करने का लक्ष्य वन विभाग ने रखा है। 26 नगर वन तैयार हो चुके हैं और 29 नगर वन बनाए जाने का काम शुरू हो चुका है।

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