
- बिजली कंपनियों ने ट्रांसमिशन लॉस में किया सुधार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में ट्रांसमिशन लॉस घटकर 2.60 प्रतिशत पर आ गया है। यह अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है। यह लक्ष्य मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए तय किए गए लक्ष्य 2.77 प्रतिशत से भी कम है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि पिछले दो वर्षों में ट्रांसमिशन लॉस 2.61 प्रतिशत था। इस साल इसमें 0.01 प्रतिशत की और गिरावट दर्ज की गई है। यह राज्य की विद्युत कंपनियों की कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। एमपी ट्रांसको ने स्काडा प्रणाली, ग्रिड की लगातार निगरानी और समय पर रखरखाव जैसे उपाय किए। इससे ट्रांसमिशन लॉस घटाने में मदद मिली। कंपनी बिजली नेटवर्क के आधुनिकीकरण और क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है। इस उपलब्धि से बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता बेहतर होगी। उपभोक्ताओं को अधिक स्थिर और निर्बाध बिजली मिलेगी। उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन लॉस कम होने से पर्यावरणीय प्रभाव घटता है। बिजली उत्पादन की लागत भी कम होती है। साथ ही वोल्टेज स्तर और अन्य तकनीकी मानक स्थिर रहते हैं। इससे पूरी बिजली प्रणाली अधिक विश्वसनीय बनती है।
ट्रांसमिशन लॉस से घाटे में चल रहीं प्रदेश की बिजली कंपनियां अब इसमें सुधार कर रही हैं। बिजली कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित से 0.17 फीसदी ट्रांसमिशन लॉस कम किया है। यह पिछले साल से भी कम है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस उपलब्धि के लिए कंपनी के अधिकारी, कर्मचारियों को बधाई दी है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि प्रदेश ने विद्युत ट्रांसमिशन क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ट्रांसमिशन लॉस को ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर तक लाने में सफलता प्राप्त की है। यह उपलब्धि विद्युत कर्मियों की तकनीकी दक्षता, सतत निगरानी, उन्नत प्रबंधन प्रणाली और अत्याधुनिक तकनीकी उपायों के समन्वय से संभव हो सकी है। मध्यप्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 2.77 प्रतिशत लक्ष्य की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में पारेषण हानि को घटाकर 2.60 प्रतिशत तक लाया गया है। यह राज्य की विद्युत कंपनियों की कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
खराब कार्य करने वाले ठेकेदार होंगे ब्लेक लिस्ट
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा अमानक स्तर का विद्युतीय निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदारों के विरुद्ध अब तत्काल कार्रवाई की जाएगी। कंपनी के प्रबंध संचालक क्षितिज सिंघल ने बताया कि कंपनी कार्यक्षेत्र में उपभोक्ता हित की योजनाओं के अंतर्गत विद्युतीय एवं निर्माण कार्यों में गुणवत्ता तथा नियम एवं शर्तों के अनुसार यदि कोई कमी पाई जाती है तो कार्य करने वाली एजेंसी और ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कंपनी द्वारा वृत्त स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है। यदि स्क्रीनिंग कमेटी ठेकेदार अथवा एजेंसी को दोषी मानती है तो कंपनी ऐसे ठेकेदारों, एजेंसी को ब्लेक लिस्ट करेगी। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के महाप्रबंधक द्वारा वृत्त स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन करके ठेकेदारों द्वारा किए गए कार्यों के संबंध में अनियमितता की जांच की जाएगी। जांच में किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर तुरंत सात दिवस के भीतर गुणवत्ता सुधार का नोटिस दिया जाएगा। फिर भी संबंधित ठेकेदार की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ तो वृत्त स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई कर क्षेत्र स्तरीय कमेटी द्वारा ब्लैक लिस्टिंग की कार्रवाही की जाएगी।
ट्रांसमिशन लॉस में कमी से फायदा
किसी भी ट्रांसमिशन प्रणाली में ट्रांसमिशन लॉस के न्यूनतम स्तर पर होने से न केवल पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है, बल्कि विद्युत उत्पादन की लागत भी घटती है। इसके अतिरिक्त यह वोल्टेज स्तर समेत अन्य तकनीकी मानकों को स्थिर रखने में भी सहायता करता है। इससे समग्र बिजली प्रणाली अधिक विश्वसनीय बनती है। एमपी ट्रांसको द्वारा किए गए नवाचारों, स्कॉडा प्रणाली जैसी उन्नत तकनीकी विधियों, विद्युत ग्रिडों की निरंतर निगरानी और समय-समय पर किए गए रख-रखाव के चलते यह सफलता संभव हो सकी है। कंपनी विद्युत नेटवर्क के आधुनिकीकरण और क्षमतावर्धन की दिशा में लगातार प्रयासरत है। यह सफलता न केवल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और उपभोक्ताओं को अधिक स्थिर व निर्बाध बिजली आपूर्ति करने में भी सहायक सिद्ध होगी।