- स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी
- विनोद उपाध्याय

मप्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों की कमी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा रही है। इसको देखते हुए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में बड़े स्तर पर भर्तियां करने की घोषणा की थी। लेकिन विडंबना यह है कि घोषणा के करीब सालभर बाद भी भर्ती प्रक्रिया अधर में है। वहीं दूसरी तरफ साल दर साल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या के अनुपात में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ नहीं होने से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। इससे कई बार मरीजों को मजबूरी में प्रायवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल जून में स्वास्थ्य विभाग में 46 हजार से ज्यादा कर्मचारियों, पैरामेडिकल स्टाफ और विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती का निर्णय लिया था। सालभर होने को है, लेकिन अब तक सिर्फ एक भर्ती परीक्षा हो पाई है। डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला कैबिनेट के फैसले के बाद से हर हफ्ते-पंद्रह दिन में विभागीय बैठकों में भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा कर अधिकारियों को समयबद्ध ढंग से भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश देते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही कर्मचारी चयन मंडल और मप्र लोक सेवा आयोग भर्ती परीक्षा आयोजित करेगा। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला का कहना है कि भर्ती की प्रक्रिया जारी है। कर्मचारियों की भर्ती चरणबद्ध ढंग से की जाएगी। दस हजार कर्मचारियों की भर्ती के लिए कर्मचारी चयन मंडल को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके अलावा 350 डॉक्टरों की भर्ती के लिए एमपी-पीएससी विज्ञापन जारी कर चुका है।
विधानसभा में भी गरमाता रहता है मुद्दा
विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक अस्तपालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी का मुद्दा उठाते रहते हैं। गत मार्च में हुए विधानसभा के बजट सत्र में भाजपा विधायक रीति पाठक ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा था, हमारे सीधी के जिला चिकित्सालय में 36 स्वीकृत पदों में से केवल 12 पदों पर विशेषज्ञ डॉक्टर काम कर रहे हैं, जबकि 24 पद रिक्त हैं। ऐसे में अस्पताल कैसे चलेगा? उन्होंने कहा था कि सीधी जिला एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत गंभीर है। अस्पतालों में कर्मचारियों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी पूरी करने के लिए डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने पिछले साल 11 जून को स्वास्थ्य विभाग में 46 हजार 491 नए पदों का सूजन कर उन पर भर्ती के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रस्ताव के अनुसार अस्पतालों में पैरामेडिकल स्टाफ, तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी की भर्ती की जानी है। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सदन में बताया कि प्रधानमंत्री ने देश में 75 हजार मेडिकल की नई सीट बढ़ाने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश में भी 5 से 7 हजार तक एमबीबीएस की सीट बढ़ेंगी। यहां मैनपावर की कमी को दूर करने के लिए सरकार 3900 पदों पर पीएससी के माध्यम से डॉक्टरों की नई भर्ती करने जा रही है। इसके साथ ही 4300 पदों पर पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की जाएगी। करीब 16000 पद आउटसोर्स के माध्यम से भी भरे जाएंगे। इधर सदन में कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों ने आउटसोर्सिंग की भर्ती में आरक्षण नियम न लागू होने का मुद्दा उठाया। कांग्रेस विधायकों का कहना था कि आउटसोर्स की जो भर्ती हो रही है, उसमें भी सभी जाति वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
कैबिनेट में भी लिया गया भर्ती का निर्णय
कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था कि इनमें से 18,653 पदों की पूर्ति 3 वर्ष में की जाएगी। शेष 27,828 पदों की पूर्ति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से होगी। इसके अलावा कैबिनेट में विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पड़े 1214 पदों में से 607 पद सीधी भर्ती से भरने और शेष पद मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरने का निर्णय लिया गया था। कर्मचारी चयन मंडल ने फरवरी में नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के 2267 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग में भर्ती के लिए अन्य कोई परीक्षा नहीं हुई। सरकार ने पिछले साल जुलाई में आने वाले पांच साल में ढाई लाख पदों पर भर्ती का निर्णय लिया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गत नवंबर में अफसरों को निर्देश दिए थे कि दिसंबर, 2024 तक एक लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए। इसके बाद से अब तक कर्मचारी चयन मंडल ने सिर्फ तीन विभागों स्वास्थ्य, महिला-बाल विकास एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित कराई हैं। मप्र सरकार ने नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं को आकांक्षी युवा नाम दिया है, लेकिन विधानसभा के बजट सत्र में बेरोजगारी से संबंधित सवाल के जवाब के मुताबिक, सरकार के पास बेरोजगारों की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले युवा ही सरकार की नजर में नौकरी के आकांक्षी हैं। मार्च, 2025 की स्थिति में रोजगार पोर्टल पर 29 लाख से अधिक बेरोजगार युवा रजिस्टर्ड है।