- आयुष्मान की अतिरिक्त सीईओ रहते सपना लांवशी पर लगे थे आरोप

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
ढाई साल पहले कार में 10 लाख की घूस लेने के चलते विवादों में आईं राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सपना लोवंशी के खिलाफ की गई जांच रिपोर्ट मंत्रालय से गायब बताई जा रही है। सपना लोवंशी का इसी साल आईएएस अवार्ड होना है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) के पास सपना लोवंशी के खिलाफ तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पहुंची ही नहीं है। सपना लोवंशी राज्य प्रशासनिक सेवा की 2007 बैच की अधिकारी हैं। वर्तमान में वे उपायुक्त इंदौर संभाग हैं। ढाई साल पहले जब वे आयुष्मान भारत मप्र की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी थीं, तब दिसंबर 2022 में 10 लाख रुपए का लेनदेन करते एक वीडियो वायरल हुआ था। अस्पताल संचालक से रुपए लेने वाला विमल सपना लोवंशी का देवर बताया गया था। वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने सपना लोवंशी को हटाकर इंदौर का अपर कलेक्टर बना दिया था। हालांकि इससे पहले भी सपना लोवंशी एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ आयुष्मान भारत योजना में घोटाला करने की शिकायत शासन तक पहुंच रहीं थी। वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने आयुष्मान भारत के तत्कालीन सीईओ अनुराग चौधरी, सपना लोवंशी, लेखाधिकारी समेत अन्य को हटा दिया था। साथ ही पूरे मामले की जांच तत्कालीन स्वास्थ्य आयुक्त को सौंप दी थी। स्वास्थ्य आयुक्त जांच रिपोर्ट शासन को सौंप चुके थे, लेकिन अभी तक सरकार ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
जीएडी में पहुंची ही नहीं रिपोर्ट
सामान्य प्रशासन विभाग के सूत्रों ने बताया कि सपना लोवंशी के खिलाफ 10 लाख की कथित घूस मामले की जांच रिपोर्ट विभाग में पहुंची ही नहीं, जबकि इसी साल उनका आईएएस अवार्ड होना है। यदि जांच रिपोर्ट जीएडी तक पहुंचता तो आईएएस अवार्ड में तकनीकी दिक्कत आ सकती है। सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट कहां हैं, यह किसी के संज्ञान में नहीं है। बताया गया कि वीडियो वायरल होने के बाद सपना लोवंशी के खिलाफ तत्कालीन अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी के दबाव में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। यही वजह थी कि 10 लाख की घूस मामले में पुलिस कार्रवाई की वजाए, स्वास्थ्य आयुक्त से जांच कराई थी। जिसमें घूस का तकनीकी पक्ष आया ही नहीं। जांच अधिकारी ने बयान के लिए भी सपना लोवंशी को बार-बार सूचना भेजी थी।
इंदौर में पहली महिला एडीएम बनी
सामान्यत: घूसखोरी के मामले में सरकार अधिकारियों को लूप लाइन में भेजती है। जांच में तथ्य सामने आने के बाद विभागीय जांच, निलंबन भी करती है। सपना लोवंशी मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। सरकार ने उन्हें इंदौर की पहली महिला अपर कलेक्टर बना दिया था। पिछले ढाई साल से इंदौर में ही पदस्थ हैं।