रसूख हो तो सुषमा रानी जैसा!

सुषमा रानी
  • फर्जीवाड़े के कई खुलासों के बाद भी कायम है जलवा  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र आजीविका मिशन में फर्जी दस्तावेजों और फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाली महिला अफसर सुषमा रानी शुक्ला का रसूख कैसा है, इससे समझा जा सकता  है कि नौकरी में रहने के दौरान उन्हें बतौर लखपति दीदी बनाकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच तक साझा कराया जा चुका है। यही नहीं उनके बारे में बीते कई दिनों से हो रहे सनसनीखेज खुलासों के बाद भी शासन से लेकर सरकार तक संविदा  के पद से हटाने तक की हिम्मत नहीं दिखा पा रही है, जबकि उनसे जुड़े मामले में ही दर्जनों सरकारी कर्मचारियों को हटाया जा चुका है। यह हाल तब है जबकि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) हाल ही में मामला दर्ज कर चुका है। उनकी नियुक्ति तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल के द्वारा नियमों को ताक पर रखकर की गई थी। बेलवाल पर भी अब जाकर मामला दर्ज हो सका है। दरअसल बेलवाल को पूर्व मुख्य सचिव का बेहद करीबी माना जाता  है। आईएएस नेहा मारव्या की जांच रिपोर्ट में सुषमा रानी शुक्ला की नियुक्ति का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भी मिशन एवं मंत्रालय के अधिकारियों ने श्रीमती शुक्ला को 1 जुलाई 2023 को शहडोल के पकरिया गांव में आयोजित प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में बतौर लखपति दीदी बनाकर मंच पर बिठा दिया था। हद तो तब हो गई थी जब अधिकारियों ने उन्हें जनजाति वर्ग की बताकर उनके हाथों से प्रधानमंत्री का स्वागत भी करा दिया था।  खास बात यह है कि मिशन एवं मंत्रालय के अधिकारियों के संज्ञान में पहले से ही यह मामला था कि आजीविका मिशन की राज्य परियोजना प्रबंधक सुषमा रानी शुक्ला की नियुक्ति फर्जी है। इसके बाद भी अधिकारियों ने इस तथ्य को छिपाते हुए प्रधानमंत्री के शहडोल के कार्यक्रम में भी शामिल कराया। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में लखपति दीदी के तौर पर पक्ष रखा और लखपति दीदियों की पंक्ति के प्रधानमंत्री के सामने बैठाया। जब प्रधानमंत्री कार्यक्रम में पहुंचे तो जनजाति महिला बताकर पीएम का स्वागत भी कराया था।
चूंकि शहडोल के पकरिया में पीएम का कार्यक्रम विधानसभा चुनाव 2023 से पहले था। कार्यक्रम जनजाति महिलाओं पर केंद्रित था। हालांकि अन्य वर्ग की लखपति दीदी भी कार्यक्रम में पहुंची थीं। जबकि प्रधानमंत्री के दौरे के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव ने इस पर आपत्ति भी ली थी, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के  दखल की वजह से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह भी तथ्य है कि सुषमा रानी शुक्ला की फर्जी नियुक्ति की जांच रिपोर्ट आईएएस नेहा मारव्या ने जून 2022 में शासन को सौंप दी थी। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने रिपोर्ट के आधार पर सुषमा रानी शुक्ला को फर्जी नियुक्ति देने वाले मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। न ही सुषमा रानी शुक्ला की संविदा नियुक्ति समाप्त की और न ही प्रकरण दर्ज कराया गया।
बेलवाल का बढ़ता रहा कार्यकाल
मप्र आजीविका मिशन में सिर्फ सुषमा रानी शुक्ला की नियुक्ति गलत तरीके से नहीं की गईं। अन्य नियुक्तियों भी की गई थी। जिनमें से कुछ भी संविदा नियुक्ति पर पदस्थ हैं। जबकि कुछ की सेवाएं समाप्त कर दी गई। आईएएस नेहा मारव्या की जांच रिपोर्ट में सुषमा रानी शुक्ला फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राज्य परियोजना प्रबंधक के पद पर नियुक्ति देने के मामले में मिशन के तत्कालीन सीईओ ललित मोहन बेलवाल की जिम्मेदारी तय की गई थी। शासन ने इस मामले में बेलवाल पर कोई कार्रवाई तो नहीं की बल्कि उनकी संंविदा अवधि जरुर एक के बाद एक बार बढ़ाई जाती रही।  
जांच सिद्ध करना पड़ा था भारी  
आजीविका मिशन में फर्जी नियुक्ति की निष्पक्ष जांच रिपोर्ट तैयार करना  आईएएस नेहा मारव्या को भारी पड़ चुका है। उन्हें कलेक्टरी से वंचित रखकर लूप लाइन में पदस्थ कर दिया गया था। अब जाकर उन्हें कलेक्टर बनने का मौका तब मिला है जब, पूर्व सीएस सेवानिवृत्त हो चुका है। नेहा ने जून 2022 के शुरुआत में जांच रिपोर्ट शासन को दी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई तक नहीं की गई। इस जांच की वजह से उन्हें  उप सचिव राजस्व बनाया यगा और उन्हें कोई काम तक नहीं दिया गया। करीब ढाई साल तक नेहा मारव्या को मंत्रालय में लगभग बिना काम के ही बैठना पड़ा।
लखपति दीदी कौन
लखपति दीदी योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है। यह महिलाओं के लिए एक खास तरह का स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इस योजना के जरिए सरकार महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाना चाहती है। इस योजना के जरिए सरकार महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाया जाता है। लखपति दीदी योजना में 18 से लेकर 50 साल तक की महिलाएं आवेदन कर सकती हैं। वे महिलाएं जिनके परिवार में किसी की सरकारी नौकरी है तो उन्हें इस स्कीम का लाभ नहीं मिलता है।

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