मप्र में पौधारोपण का होगा वैज्ञानिक सर्वे

  • मिशन की सफलता का आंकलन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
केंद्र सरकार के ग्रीन इंडिया मिशन के तहत मप्र में पिछले दो वर्षों में किए गए पौधारोपण का वैज्ञानिक सर्वे होगा। राज्य वन अनुसंधान संस्थान को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। दरअसल, मप्र में बीते दो सालों में 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लाखों पौधे लगाए गए हैं। एसएफआरआई के वैज्ञानिक इन पौधों की बढ़त, लंबाई और स्वास्थ्य का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही आसपास के वातावरण में आए बदलावों का भी आंकलन किया जाएगा।
जानकारों के अनुसार, यह शोध पौधरोपण से हुए वास्तविक पर्यावरणीय बदलावों को समझने में मदद करेगा। इससे यह भी पता चलेगा कि ग्रीन इंडिया मिशन का लक्ष्य कितना पूरा हुआ है। सर्वे के लिए प्रदेश के 18 वन मंडलों को चुना गया है। इनमें सिवनी, शिवपुरी, धार, झाबुआ, बड़वानी, सेंधवा, उत्तर बैतूल, दक्षिण पन्ना, उमरिया, औबेदुल्लागंज, रायसेन, दक्षिण सागर, नर्मदापुरम, सतना, बालाघाट, शिवपुरी, सीहोर और बैतूल शामिल हैं। एसएफआरआई की सीनियर रिसर्च अफसर ऋचा सेठ के नेतृत्व में 9 टीमें यह सर्वे कर रही हैं। सर्वे की रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। यह रिपोर्ट दीर्घकालिक पर्यावरण सुधार में पौधरोपण की प्रभावशीलता को भी दर्शाएगी। एसएफआरआई के जिम्मेदारों की माने तो ग्रीन इंडिया मिशन का उद्देश्य केवल पर्यावरणीय उत्थान ही नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक लाभ भी है। इस मिशन के तहत पौधारोपण से ग्रामीणों की जीवनशैली में कितना सुधार हुआ है। इस बात का मूल्यांकन किया गया है। जैसे स्थानीय समुदायों के रोजगार और जीवन स्तर पर कितना सकारात्मक प्रभाव डला है। इस रिपोर्ट के आधार पर मिशन के कामकाज और इसके प्रभाव को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
छह साल में रोपे 26 करोड़ से अधिक पौधे
मप्र में छह साल में 24,34,21,064 पौधे रोपे गए हैं। साल 2021-22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं इनके संरक्षण पर 17.98 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। इसी तरह साल 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। पौधारोपण के छह महीने बाद इनकी निगरानी और गणना भी हुई। पौधों की निगरानी तीन साल तक की जाती है। हर छह महीने में पौधों की गणना होती है। गणना में देखा जाता है कि लगाए गए पौधों में से कितने फीसदी बचे। अब इस पौधारोपण का समग्र मूल्यांकन हो रहा है। साल 2017-18 में 5,88,39,400 पौधरोपण हुए।
जंगल की सभी परिस्थितियों का अध्ययन
गौरतलब है कि प्रदेश में वन क्षेत्र को बढ़ाने हर साल पौधारोपण हो रहा है। इस पौधारोपण का अब नई तकनीक से मूल्यांकन किया जाएगा। यह मूल्यांकन चार चरणों में होगा। मूल्यांकन का काम राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के वैज्ञानिकों और वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारियों, फील्ड स्टाफ एवं प्रोजेक्ट स्टाफ द्वारा किया जाएगा। पहले पौधारोपण के मूल्यांकन में सिर्फ जीवित प्रतिशत एवं ग्रोथ का ही अध्ययन किया जाता था, अब मूल्यांकन में जंगल की सभी परिस्थितियों का अध्ययन होगा। प्रदेश में हर साल 3 से 4 करोड़ पौधे रोपे जा रहे हैं। इसके बाद भी ओपन वनक्षेत्र बढ़ रहा है। वन विभाग में वनीकरण एवं वनों की उत्पादकता में वृद्धि की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पौधारोपण हो रहा है। ये पौधारोपण परियोजनाएं लगभग 7 वर्ष की होती हैं। इन पौधारोपणों की परियोजना अवधि समाप्त होने पर इनका समग्र मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है। यह मूल्यांकन कार्य प्रदेश के 64 वन मंडलों में किया जा रहा है। यह चार चरणों में किया जाएगा।

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