
- अब मप्र सरकार जापानी करंसी येन में करेगी डील
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। दरअसल, सरकार डॉलर में कर्ज ले रही है और डॉलर में ही कर्ज चुका रही है। डॉलर के लगातार मजबूत होने से विदेशी कर्ज चुकाना महंगा पड़ रहा है। ऐसे में मप्र सरकार अब जापानी करंसी येन में कर्ज लेने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि वर्तमान में अमेरिका में ट्रंप सरकार की वापसी के बाद दुनिया भर में डॉलर में व्यापार का मुद्दा गरमाया हुआ है। ट्रंप चेतावनी दे चुके हैं, भारत सहित अन्य ब्रिक्स देश दूसरी करंसी अपनाएंगे तो अमेरिका उनका साथ छोड़ देगा और उन्हें 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। इस सबके बीच मप्र सरकार डॉलर में कर्ज न लेने पर विचार कर रही है। इस करेंसी में लोन उठाने के कुछ प्रस्ताव वित्त विभाग लौटा भी चुका है। वजह यह है कि रुपए के मुकाबले डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। ऐसे में ऋण की किश्तें और व्याज चुकाना काफी महंगा पड़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए जापानी मुद्रा येन में लोन उठाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। रुपए की तुलना में येन कमजोर करसी है।
कर्ज से चल रहे कई प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि मप्र सरकार हर महीने औसतन 5,000 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है। जानकारी के मुताबिक एशियाई विकास बैंक (एडीबी), वल्र्ड बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक, यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक, जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू आदि के कर्ज से प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के कई प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं। इसमें पीडब्ल्यूडी के तहत मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, नगरीय विकास विभाग की मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी व अन्य विभागों की सडक़, पानी, सीवरेज आदि की योजनाएं शामिल है। इदौर में मेट्रों के लिए एडीबी के साथ ही न्यू डेवलपमेंट बैंक से ऋण लिया जा रहा है। बताया जा रहा है एडीबी, वल्र्ड बैंक से कर्ज डॉलर में लिया गया है। संचालक संस्थागत वित्त राजीव रंजन मीना का कहना है कि विदेशों से डॉलर में लिया गया कर्ज चुकाना महंगा पड़ रहा है। ऐसे में अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। अभी कुछ भी फाइनल नहीं किया गया है।
कम दर पर मिला कर्ज चुकाना पड़ रहा बढ़ाकर
डॉलर में लिया कर्ज चुकाना शासन और उसकी एजेंसियों को भारी पड़ रहा है। दरअसल, पहले जब विदेशी बैंकों लिया गया था। तब एक डॉलर करीब 53 रुपए के बराबर था। अब यह 87 रुपए के पार पहुंच गया है। इसका मतलब यह है कि पैसा 63 रुपए के हिसाब से मिला और लौटाना 87 रुपए प्रति डॉलर पड़ रहा है। कर्ज में लिए प्रत्येक डॉलर के लिए 24 रुपए ज्यादा राज्य की एजेंसियों को चुकाना पड़ रहा है। यही सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ, जापानी करसी येन हमारे रुपए के मुकाबले कमजोर है। वर्तमान में एक येन, 0.56 भारतीय रुपए के बराबर है। इसका मतलब है कि वहां के बैंकों से कर्ज लेने पर राज्य को काफी कम राशि चुकाना होगी। यहां बता दें कि भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए पहले जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) से लोन लेने की बातचीत चली थी। जायका से सैद्धांतिक सहमति भी मिल गई थी। इसके बाद जापानी एजेंसी से कर्ज लेने का विचार ड्रॉप कर दिया गया और यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से
कर्जा लिया गया। यह यूरो करेंसी में मिल रहा है।