भगवान राम पर लिखी शायरी नहीं रास आ रही कट्टरपंथियों को

 शायरी
  • मशहूर शायर डॉ. अंजुम बाराबंकवी कर रहे गजलों का संग्रह तैयार  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मशहूर शायर डॉ. अंजुम बाराबंकवी द्वारा लिखी जा रहीं भगवान श्रीराम पर  गजलें कट्टरपंथियों को रास नही आ रही हैं। मुस्लिम समुदाय इसे गैर शरई मानते हुए फतवा लाने की तैयारी में हैं। इसके बाद भी अंजुम बेफिक्र होकर 51 राम गजलों का  संग्रह तैयार कर रहे हैं। वे अपने संग्रह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार के रुप में देने की इच्छा रखते हैं। भोपाल में बरसों से बसे शायर डॉ. अंजुम बाराबंकवी का पैतृक निवास अयोध्या के नजदीक ही है। इसी के चलते वे अपने आसपास के क्षेत्र को भगवान श्रीराम के एहसासों से जुड़ा हुआ मानते हैं। इन्हीं कल्पनाओं के साथ उन्होंने राम गजल को आकार दिया है। दशरथ वंदन पर आधारित एक गजल डॉ. अंजुम बाराबंकवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित की थी। इस पत्र के जवाब में पीएमओ से एक प्रशंसा भरी चि_ी भी भेजी है। इसमें शायर की कल्पना की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने इन प्रयासों को समाज में एक नई चेतना और ऊर्जा लाने वाला कदम बताया है।
नाराजगी भी आश्चर्य भी
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने शायर की इस कल्पना को गैर शरई करार दिया है। उनका कहना है कि इस्लाम में एक अल्लाह के वजूद की बंदगी की ताकीद की गई है। अल्लाह के साथ किसी और को जोड़ना शर्क माना गया है, जो माफ न होने वाली गलतियों और गुनाह में शामिल है।
डॉ. अंजुम बोले- लिखेंगे पूरा संग्रह
फतवे और साहित्य जगत की उलाहना से बेफिक्र डॉ अंजुम बाराबंकवी कहते हैं किसी के कहने से न कभी कोई कृतित्व किया है और न किसी की नाराजगी से इस पर विराम लगने वाला है। वे कहते हैं कि भगवान श्रीराम के वजूद को नकारा नहीं जा सकता, उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को लेकर पहले भी साहित्य में बहुत कुछ कहा गया है। मुस्लिम शायरों ने भी इस बारे में बहुत कुछ लिखा है। डॉ अंजुम ने बताया कि वे अब तक श्रीराम को केंद्र में लिखकर करीब 8 गजलें लिख चुके हैं। सिलसिला अभी जारी है और वे 51 राम गजल का एक संग्रह तैयार करने में जुटे हैं। यह पूरी होने के बाद इसकी प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नजराने के तौर पर देने की उनकी ख्वाहिश है।
इस तरह की है उनकी गजलें
– जंगल को आप भूल से हलके में मत गिनें
– चौदह बरस रहा है ये घर बार राम का
– रावण के जैसा अंत हुआ उसका दर्दनाक
– अब तक किया है जिसने भी इंकार राम का

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