
- नक्सली चाहते हैं टकराव तो, मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बालाघाट जिले के रुपझर थाना क्षेत्र अंतर्गत दुगलई-कोद्दापार के जंगल में गतदिनों सर्चिंग कर रही टीम पर अचानक से 10 से 12 नक्सलियों ने घात लगाकर फायरिंग करने से सबसे आगे चल रहे हाकफोर्स का जवान शिव कुमार शर्मा गंभीर रुप से घायल हो गए थे। जिसके बाद पुलिस अब नक्सलियों पर नरमी बरतने के बजाय उन्हें जंगल में ही ढेर करने के लिए दस से अधिक सर्चिंग टीम के रुप में नक्सलियों की तलाश में जुट गई है। बालाघाट पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह ने नक्सली हमले में हाकफोर्स के जवान शिव कुमार शर्मा के घायल होने के बाद कहा है कि वे नक्सली उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और बालाघाट के जंगल से नक्सलियों को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने कहा कि 2024 में पुलिस ने एक महिला नक्सली को जिंदा पकडऩे की कार्रवाई की है, लेकिन नक्सली लगता है ऐसी भाषा को मानने को तैयार नहीं है। इसलिए उन्होंने सर्चिंग टीम पर घात लगाकर हमला कर बता दिया है वे लोग टकराव चाहते हैं, तो पुलिस भी इसके लिए तैयार है और किसी भी प्रकार की कोताही पुलिस नक्सलियों के लिए नहीं बरतेगी। पुलिस अधीक्षक नगेन्द्र सिंह ने अगस्त में बालाघाट जिले का पदभार ग्रहण किया था। जिसके बाद उन्होंने मध्यप्रदेश शासन की आत्म समर्पण नीति के तहत नक्सलियों को मुख्य धारा में वापस लौटने के लिए आत्मसमर्पण किए जाने के लिए नक्सलियों से कहा था।
गौरतलब है कि मप्र के कुछ जिलों में नक्सलियों की उपस्थिति देखी जाती है, लेकिन यहां अधिकतर नक्सली छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से आते हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध जबरदस्त कार्रवाई चल रही है। इस वर्ष छत्तीसगढ़ में विभिन्न मुठभेड़ों में 213 नक्सली मारे गए। मप्र में नक्सली छत्तीसगढ़ से ही ज्यादा आते हैं, इस कारण सरकार विशेष रणनीति पर काम कर रही है। इसमें एक अहम कदम यह है कि नक्सलियों की एरिया कमेटी और डिवीजनल कमेटी के सदस्यों की गिरफ्तारी पर पुरस्कार की राशि बढ़ाई जाएगी। अभी एरिया कमेटी के सदस्यों के बारे में सटीक सूचना देने वाले को तीन लाख रुपये का प्रविधान है। डिवीजनल कमेटी के सदस्यों के बारे में सूचना देने पर पुरस्कार राशि पांच लाख रुपये रखी गई है।
बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में नक्सली सक्रिय
उल्लेखनीय है कि बालाघाट में 17 नवंबर को कुंदुल जंगल क्षेत्र में नक्सलियों और पुलिस की मुठभेड़ में पुलिस जवान शिव कुमार शर्मा घायल हो गए थे। नक्सली मौके का लाभ उठाकर भाग गए थे। इनकी संख्या छह बताई जा रही है। इसके बाद डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने बालाघाट जाकर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चा की थी। रणनीति में बदलाव का एक कारण यह भी है कि दूसरे राज्यों में घेराबंदी बढ़ाने के चलते नक्सली मध्य प्रदेश में नए स्थानों में ठिकाना बना सकते हैं। अभी सबसे अधिक नक्सल प्रभावित बालाघाट और उसके बाद मंडला और डिंडौरी जिले हैं। पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में अभी 75 नक्सली हैं। पांच वर्ष पहले तक इनकी संख्या 125 के करीब थी। पिछले पांच वर्ष में 20 नक्सली मारे गए हैं, जबकि एक करोड़ 52 लाख रुपये के इनामी छह नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है।