एक दशक में 30 कांग्रेस विधायक बन चुके है भाजपा के माननीय

कांग्रेस-भाजपा
  • पहले भी लगते रहे हैं भाजपा को उपचुनाव में झटके

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का माना जा रहा है। इसकी वजह है दोनों दलों के एक -एक प्रत्याशी को जीत मिलना। अगर, एक दशक में हुए उपचुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा कांग्रेस पर बेहद भारी पड़ी है। 2014 से लेकर 2024 तक मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के कुल 53 उपचुनाव हुए हैं। इनमें से बीजेपी की जीत का स्ट्राइक रेट 62 फीसदी तो कांग्रेस की जीत का स्ट्राइक रेट 38 फीसदी रहा है। इन दस सालों में कांग्रेस छोडक़र  30 विधायक बीजेपी में शामिल हुए, उनकी जीत का स्ट्राइक रेट भी 70 फीसदी रहा।
चुनाव विशेषज्ञ बताते हैं कि उपचुनावों में उसी प्रत्याशी की जीत होती है जिसकी प्रदेश में सरकार होती है। हालांकि, कुछ सीटों पर अपवाद भी है। इसकी वजह ये है कि उस क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा पार्टी की बजाय प्रत्याशियों को देखकर वोट किया गया या फिर कार्यकर्ताओं की नाराजगी और पार्टी प्रत्याशी को लेकर असंतोष रहा है। विजयपुर में ऐसा ही दिखाई दिया है। इससे पहले भी 2020 में 28 सीटों पर हुए चुनाव में कुछ सीटों पर ये ट्रेंड दिखाई दिया था। 2014 से 2018 के बीच प्रदेश में विधानसभा के 13 और लोकसभा के 2 उपचुनाव हुए थे। विधानसभा की 13 सीटों में से बीजेपी ने 8 तो कांग्रेस ने 5 सीटें जीती थीं। इस तरह बीजेपी का स्ट्राइक रेट 62 फीसदी तो कांग्रेस का 38 फीसदी रहा। लोकसभा के 2 उपचुनावों की बात करें तो 1-1 सीट बीजेपी और कांग्रेस के खाते में गई थी। यानी दोनों का स्ट्राइक रेट पचास-पचास फीसदी रहा। 2014 में प्रदेश की तीन विस सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें विजयराघवगढ़ सीट पर कांग्रेस विधायक संजय पाठक इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में उतरे और कांग्रेस के विजेंद्र मिश्रा को हराकर फिर जीते। बहोरीबंद में भाजपा के प्रभात पांडे के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के सौरभ सिंह कुंवर ने बीजेपी के प्रणय पांडे को हराया। यहां सहानुभूति का कार्ड नहीं चला और आगर में मनोहर ऊंटवाल के त्यागपत्र के चलते हुए उपचुनाव में भाजपा के गोपाल परमार जीते।
2018 से 2024 के बीच हुए उपचुनाव
बुधनी और विजयपुर सीट को शामिल कर साल 2018 से 2024 के बीच मध्यप्रदेश में 38 उपचुनाव हुए हैं। इनमें विधानसभा की 37 और लोकसभा की 1 सीट शामिल है। कांग्रेस ने इनमें से 14 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी का स्ट्राइक रेट 63 फीसदी जबकि कांग्रेस का 37 फीसदी रहा। सबसे खास बात ये रही कि 2020 में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद प्रदेश में सत्ता बदल गई थी।
2015 में दो विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव
देवास में भाजपा की गायत्री राजे ने कांग्रेस को हराकर यह सीट जीती। ये उनके पति तुकोजीराव पवार के निधन के चलते रिक्त हुई थी। इसी तरह से गरोठ में भाजपा के चंदर सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस के सुभाष कुमार को हराया। यहां पर बीजेपी विधायक राजेश यादव के निधन से उपचुनाव हुआ था। उधर, रतलाम लोकसभा सीट पर कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीते। उन्होंने निर्मला भूरिया को हराया। इस सीट पर भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया के निधन के चलते उपचुनाव हुआ था। इसके बाद 2016 में विधानसभा की 3 और लोकसभा की 1 सीट पर उपचुनाव हुए। इसमें मैहर के कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी भाजपा में शामिल हो गए थे। उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस के नवीन पटेल को हराया था, जबकि , घोड़ाडोंगरी सीट पर भाजपा के मंगल सिंह धुर्वे ने कांग्रेस के प्रताप सिंह उइके को हराया। बीजेपी विधायक सज्जन सिंह उइके के निधन के चलते सीट खाली हुई थी। उधर, नेपानगर सीट पर भाजपा की मंजू राजेंद्र दादू ने कांग्रेस के अंतर सिंह देवी सिंह बर्डे को हराया। राजेंद्र श्यामलाल दादू के सडक़ दुर्घटना में निधन के बाद उपचुनाव हुआ था। इसी साल हुए शहडोल लोकसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा के ज्ञान सिंह ने कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को हराया। ये सीट भाजपा सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन के चलते रिक्त हुई थी।
कांग्रेस के लिए दो बार के उपचुनाव रहे अनुकूल
2017 में विधानसभा की 3 सीटों पर उपचुनाव में बांधवगढ़ से भाजपा के शिवनारायण सिंह ने कांग्रेस की सावित्री सिंह को हराया था। यह सीट विधायक ज्ञान सिंह के सांसद बनने से खाली हुई थी। इसी तरह से चत्रकूट सीट पर कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी ने भाजपा के शंकर दयाल त्रिपाठी को हराया था। कांग्रेस विधायक प्रेम सिंह के निधन से यहां उपचुनाव हुआ था। उधर, अटेर में कांग्रेस के हेमंत कटारे ने बीजेपी के अरविंद सिंह भदौरिया को हराया था। कांग्रेस विधायक सत्यदेव कटारे के निधन के चलते उपचुनाव हुआ था। इसके बाद 2018 में विधानसभा की 2 सीटों पर उपचुनाव में भी कांग्रेस ने कोलारस: कांग्रेस के महेंद्र रामसिंह यादव ने भाजपा के देवेंद्र कुमार जैन को हराया था। कांग्रेस विधायक राम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई थी। मुंगावली: कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह यादव ने भाजपा के राव देशराज यादव को हराया था। ये सीट कांग्रेस विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के निधन से रिक्त हुई थी। 

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