मनरेगा की योजनाओं में करोड़ों का खेल!

मनरेगा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस मनरेगा योजना से हिन्दुस्तान की तस्वीर बदलने का दावा किया गया, उसकी जमीनी हकीकत आप देखेंगे तो चौंक जाएंगे। ग्रामीण मजदूरों को गरीबी से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाने वाली मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मप्र में हाल बेहाल है। मजदूरों को 100 दिन का रोगजार दिलाने के नाम पर बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पिछले कई महीने से मजदूरी का पैसा नहीं मिला है। अपने मेहनताने यानी मेहनत की मजदूरी के लिए मजदूर दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ  केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मनरेगा की योजनाओं में करोड़ों रुपए का खेल हुआ है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मप्र मनरेगा की योजनाओं के क्रियान्वयन में हमेशा अन्य राज्यों से आगे रहा है। लेकिन इस दौरान योजनाओं के क्रियान्वयन में करोड़ों रूपए का फर्जीवाड़ा भी किया गया है। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि मप्र सरकार लगातार गांव में लोगों को रोजगार देने के लिए तरह-तरह के प्रयास करती है, जिनमें से एक सबसे बड़ी योजना मनरेगा है। जहां मनरेगा के तहत लोगों को गांव में ही रोजगार देने का शासन का प्रावधान है, लेकिन मनरेगा योजना में सबसे अधिक धांधली होती है, जिसकी वजह से यहां लोगों को रोजगार नसीब नहीं होता है। प्रदेश की सरकार ने पलायन पर प्रतिबंध लगाने के लिए गांवों में मनरेगा के तहत काम तो खोला और लोगों को काम देने का वादा भी किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र ने मजदूरों से काम न कराकर मशीनों से काम कराया जाता है और मजदूर फिर से बेरोजगार होकर पलायन कर बाहर जाने को मजबूर हो जाते है।
100 दिन का रोजगार दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा
मप्र में मनरेगा में फर्जीवाड़ा की सारी हदें पार की जा रही है। मनरेगा में मजदूरों को साल में सौ दिन का रोजगार दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है। शिवपुरी जिले की बदरवास जनपद की ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों ने तो फर्जीवाड़े की सारी हदें पार कर दीं। सरकारी अस्पतालों में जिस दिन महिलाओं के प्रसव हुए, उसी तारीखों में इन महिलाओं से पंचायतों में मनरेगा के तहत अमृत सरोवर के गड्ढे खुदवाना बता दिए। इतना ही नहीं, सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक की मिलीभगत से इन दिनों की मजदूरी भी निकाल ली गई। गौरतलब है कि ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत जॉब कार्डधारी परिवारों की महिलाओं को प्रसव होने पर प्रसूति सहायता का प्रावधान है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा श्रम कार्ड के आधार पर 45 दिन की मजदूरी का भुगतान स्वास्थ्य विभाग के जरिए कराया जाता है।
प्रसव वाले दिन भी तालाब की खुदाई
मनरेगा में फर्जीवाड़े का आलम यह है कि कागजों पर जिन लोगों को मजदूरी करते दिखाया गया है उसमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जिनका उसी दिन प्रसव हुआ है। यानी जब प्रसूता उठ-बैठ नहीं सकती, उन दिनों में भी मजदूरी करना बताया गया है।  शिवपुरी जिले के बारई गांव की फूला बाई पत्नी नवलसिंह कुशवाह ने 22 मार्च 2023 की दोपहर 1.50 बजे बदरवास अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। ग्राम पंचायत बारई में मनरेगा के तहत चरनोई की जमीन पर मिनी पर्कोलेशन टैंक निर्माण कार्य में 21 मार्च से 27 मार्च तक मजदूरी दर्ज कर दी। फूला बाई के संग उसके पति को भी छह-छह दिन की मजदूरी का भुगतान ग्राम पंचायत ने अपने रिकार्ड में किया है। वहीं मांगरोल पंचायत के ईश्वरी गांव की निवासी पूनम यादव पत्नी रूपेश यादव ने बदरवास अस्पताल में 16 अप्रैल 2023 की दोपहर 1:50 बजे बच्चे को जन्म दिया। ग्राम पंचायत मांगरोल ने अमृत सरोवर नवीन तालाब निर्माण भजुआ नाला बरखेड़ाखुर्द में 14 अप्रैल 2023 से 20 अप्रैल 2023 के बीच पूनम को मजदूरी करना भी दर्ज कर दिया। 19 अप्रैल की अनुपस्थिति छोडक़र 6 दिन का भुगतान 1326 रु. किया। प्रसव की वजह से जिस दिन पूनम की हालत बैठने की भी नहीं थी, उस दिन भी मजदूरी करना बता दिया। वहीं बरखेड़ाखुर्द सचिव नरेश सोनी का कहना है कि आरईएस का काम है, पंचायत का कुछ नहीं है। बडोखरा पंचायत की निकिता धाकड़ पत्नी दीपक धाकड़ ने 13 अप्रैल 2023 को बदरवास अस्पताल में सुबह 7:30 बजे बेटे को जन्म दिया। ग्राम पंचायत बडोखरा ने मनरेगा के तहत गीदखेड़ा गांव पहाड़ी के पास डग पॉइंट निर्माण कार्य में मजदूरी करना दर्ज कर दिया। प्रसूता निकिता धाकड़ को 9 अप्रैल 2023 से 15 अप्रैल 2023 तक 6 दिन की मजदूरी दर्शाई है। निकिता 15 अप्रैल की गैर हाजिरी काटकर प्रतिदिन 221 रु. के हिसाब से 6 दिन की कुल 1326 रु. भुगतान हुआ है।  कलेक्टर शिवपुरी रवींद्र कुमार चौधरी का कहना है कि जिला पंचायत सीईओ से मामले की जांच कराएंगे जिन ग्राम पंचायतों में प्रसूताओं को भी मजदूर बनाया है, ऐसे मामलों का पता लगाएंगे। जिला पंचायत सीईओ से बोलकर जांच करवाता हूं। जांच के आधार पर संबंधितों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। सीईओ जनपद पंचायत बदरवास शिवपुरी  अरविंद शर्मा का कहना है कि यदि मामले हमारे बदरवास ब्लॉक के हैं तो जांच कराएंगे जिस दिन प्रसव हुआ, उसी दिन प्रसूता से मजदूरी कराना संभव ही नहीं। यदि मामले हमारे बदरवास ब्लॉक के हैं तो जांच कराएंगे।

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