घोटाला: महालेखागार की रिपोर्ट से जागे कलेक्टर

  • एक दर्जन जिलों में गड़बड़झाले की फाइलें तक कर दी गायब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सरकारी अमले को जहां पर भी मौका मिलता है, घोटाला करने से नहीं चूकते हैं फिर मामल आपदा का हो या किसी अच्छे अवसर का। ऐसे मामलों में सरकार से लेकर शासन तक ठोस कार्रवाई नहीं करता है , जिसकी वजह से ऐसे मामलों पर रोक नहीं लग पा रही है।
ऐसा ही एक मामला है, किसानों की दी जाने वाली फसल क्षतिपूर्ति का। फसल नष्ट होने की वजह से जब प्रदेश का किसान गहरे संकट में था, तब जिम्मेदारों ने उनकी मदद के नाम पर जमकर मौज काटी। इस मामले का  जब महालेखागार ने खुलासा किया तो पता चला कि इस घोटाले से संबंधित फाइलें ही गायब हैं। यह पूरा मामला एक दर्जन जिलों में 18 करोड़ का है। अहम बात यह है कि अधिकांश जिलों में जांच के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। इस पूरे में मामले में अब तक महज देवास जिले में कुछ ही आरोपियों पर कार्रवाई की गई है। दरअसल इसका खुलासा पिछले साल महालेखाकार की रिपोर्ट में हुआ था। इसके बाद कलेक्टरों ने जांच शुरु करवाई। इसका खुलासा उस समय हुआ, जब बीते साल महालेखाकार द्वारा विभिन्न जिलों से किसानों की क्षति पूर्ति के लिए आई राशि का ऑडिट किया गया। जिन किसानों के खातों में राशि डालनी थी, उनकी जगह दूसरों के बैंक खातों में राशि डाली गई। ऑडिट रिपोर्ट सामने आने के बाद राजस्व विभाग में हडक़ंप मच गया। आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में 200 से ज्यादा पटवारी एवं अन्य कर्मचारियों को निलंबित किया गया था, जो बाद में बहाल कर दिए गए।
रिपोर्ट में यह हुआ खुलासा
प्रदेश 12 जिलों में फसल क्षतिपूर्ति की राशि में घोटाले  का मामला महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में उजागर  हुआ था। ऑडिट में पता चला कि सीहोर, विदिशा, रायसेन, शिवपुरी, सतना, दमोह, देवास, छतरपुर, खंडवा, सिवनी, मंदसौर, आगर और श्योपुर में गबन किया गया है। इन जिलों में करीब 18 करोड़ की राशि का गबन किया गया था। कुछ जिलों में एफआईआर भी कराई गई, लेकिन आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई। सबसे बड़ी कार्रवाई देवास कलेक्टर ने एक साथ 39 पटवारियों को निलंबित कर की थी। बाद में 2 पटवारी एवं 2 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है।
 रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा
फसल क्षतिपूर्ति मामले में नाजिर शाखाओं से रिकॉर्ड गायब होने का मामला भी सामने आया है। शिवपुरी में दो दिन पहले कलेक्टर कार्यालय में लगाई गई आग में भी फसल क्षतिपूर्ति का रिकॉर्ड भी जल गया। अन्य जिले सीहोर, दमोह, मंदसौर, छतरपुर, खंडवा, रायसेन और विदिशा में भी रिकॉर्ड नहीं मिलने पर जांच नहीं हो पाई है।

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