‘बोर्डों’ से सामाजिक समीकरण साधेगी भाजपा

भाजपा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव में सामाजिक और जातीय समीकरणों को साधने के लिए प्रदेश सरकार ने विभिन्न बोर्ड का गठन किया था। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इन बोर्डों के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा फायदा पहुंचा है। अब लोकसभा चुनाव में भी पार्टी इन बोर्डों से सामाजिक समीकरणों को साधेगी। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने इन बोर्डों को भंग नहीं किया है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड, मप्र रजक कल्याण बोर्ड, मप्र स्वर्णकला कल्याण बोर्ड, मप्र तेलघानी कल्याण बोर्ड, मप्र कुश कल्याण बोर्ड, मप्र वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड, मप्र महाराणा प्रताप कल्याण बोर्ड, परशुराम कल्याण बोर्ड, जय मीनेश कल्याण बोर्ड, मां पूरी बाई कीर कल्याण बोर्ड, मप्र देवनारायण बोर्ड, सहरिया विकास प्राधिकरण, भारिया विकास प्राधिकरण और कोल जनजाति विकास प्राधिकरण का गठन किया था। पार्टी का मानना है की इससे इन समाजों के लोग भाजपा के साथ आ गए। इसका असर चुनाव परिणाम में भी दिखा और भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। दरअसल, विधानसभा चुनाव से पूर्व विभिन्न समाजों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। राजधानी में अलग- अलग समाजों के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन आयोजित गिए थे। अधिकतर सम्मेलनों में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। इन सम्मेलनों में समाज की ओर से की गई चुनिंदा मांगे पूरी करने की घोषणा के साथ ही बड़े वोट बैंक को साधने के लिए आनन-फानन में अलग-अलग समाजों के 14 बोर्डों का गठन का ऐलान किया गया था। बोर्डों का गठन तो कर दिया गया, लेकिन इन बोर्डों के पास न तो कोई ऑफिस है और न ही अधिकारी-कर्मचारी। बोर्ड के अध्यक्षों को भी गाड़ी, बंगला आदि की सुविधा नहीं दी गई है। वे सिर्फ नाम के अध्यक्ष हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन बोर्डों के गठन का फायदा भी मिला। भाजपा 163 सीटें जीतकर पांचवीं बार सत्ता में आ गई। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा समाजों को साधने पर पूरा फोकस कर रही है। हाल में छिंदवाड़ा में साहू समाज का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया था।
14 बोर्ड से बड़े लक्ष्य पर नजर
शिवराज सरकार ने जो 14 बोर्ड गठित किए थे, उसके सहारे भाजपा लोकसभा में बड़े लक्ष्य पर नजर बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि मप्र सरकार पिछले महीने एक आदेश जारी कर 45 निगम, मंडल व प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां निरस्त कर चुकी है। इन सभी अध्यक्ष-उपाध्यक्षों की नियुक्तियां शिवराज सरकार के समय हुई थीं। खास बात यह है कि निगम, मंडलों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तो हटा दिए गए, लेकिन तत्कालीन शिवराज सरकार में समाज के अलग-अलग वर्गों को साधने के लिए बनाए गए 14 बोर्डों को भंग नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा बोर्डों को खत्म कर लोकसभा चुनाव में समाजों को नाराज करने का रिस्क नहीं लेना चाहती, यही वजह है कि इन बोर्डों को खत्म नहीं किया गया। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद इन बोडों को खत्म कर इनका नए सिरे से गठन पर विचार किया जाएगा। इसमें बोर्ड के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों को पॉवरफुल बनाया जाएगा।

Related Articles