यूके की कंपनी का प्रदेश के महुआ से हो रहा है मोह भंग

महुआ

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। यूके की कंपनी से महुआ खरीदी के करार से उत्साहित लघु वनोपज संघ की खुशियां अब काफूर होती दिख रही हैं। इसकी वजह है यूके की कंपनी का मोहभंग होना। कंपनी अब महुआ ले जाने से बचने के लिए तमाम तरह के बहाने बना रही है। इसकी वजह से करीब 680 क्विंटल महुआ नागपुर के एक गोदाम बेकार पड़ा हुआ है।
दअरसल यूके की एक कंपनी ने लघु वनोपज संघ से दो हजार क्विंटल महुआ खरीदी का अनुबंध किया था। यूके की जिस कंपनी ने 2000 क्विंटल महुआ खरीदने का समझौता किया था, जिसकी वजह से महुआ की खरीदी कर उसे कंपन को सौंप दिया गया था ,लेकिन कंपनी ने उसे यूके ले जाने की जगह नागपुर में डंप कर दिया है और अब उसके द्वारा ऑर्गेनिक होने, केमिकल रहित और फूड ग्रेड होने का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है। इससे परेशान अफसरों ने अब कंपनी से पत्र लिखकर कहा है, कि वह एक साथ बता दें कि उसे कौन -कौन से प्रमाण चाहिए हैं। इसके बाद से माना जा रहा है कि अब इसको लेकर किया गया समझौता अधिक दिन नहीं चल पाएगा। यही नहीं कंपनी के साथ इस साल के लिए होने वाला समझौता भी अब तक नहीं हो सका है। गौरतलब है कि यूके की कंपनी और लघु वनोपज संघ से 2000 क्विंटल महुआ 100 रुपए प्रति किलो की दर खरीदने का समझौता किया था, जिसमें से 680 क्विंटल महुआ 110 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से भुगतान कर उमरिया जिला यूनियन और अलीराजपुर जिला यूनियन से परिवहन कर नागपुर भेज दिया गया था। इसकी राशि का भुगतान भी महुआ संग्राहकों को कर दिया गया था।
महुआ की ब्रांडिंग पर लाखों खर्च
महुआ की ब्रांडिंग पर लाखों रुपए खर्च कर दिए। इसके लिए एक दिन का वर्कशॉप रखा गया। इसमें गोवा गुजरात सहित कई बड़े शहरों से प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। वर्कशॉप में बताया गया कि महुआ के अंतरराष्ट्रीय बाजार में जाने से जनजातीय परिवारों को अच्छी कीमत मिलेगी। प्रदेश में महुआ का समर्थन मूल्य 35 रुपये किलो है। जबकि यूरोप में महुआ की खपत होने से उन्हें 100 से 110 रुपये प्रति किलो का मूल्य मिलेगा। प्रदेश में महुआ बहुतायत में होता है। एक मौसम में प्रदेश में करीब 7 लाख 55 हजार क्विंटल तक का उत्पादन होता है।  

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