
- सेवानिवृत्ती की आयु 65 वर्ष करने की कवायद …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शिवराज सरकार में शुरू की गई नई परंपरा को अब मोहन सरकार में भी आगे बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इससे प्रदेश के युवा बेरोजगारों की मुश्किलें बेहद बढऩे वाली हैं। दरअसल प्रदेश सरकार सेवानिवृत्ति की आयु में तीन साल की वृद्धि करने की रणनीति बना रही है। इससे लाखों युवाओं की नौकरी की आयु ही निकल जाएगी। दरअसल पूर्व में शिव सरकार ने 60 साल की आयु की जगह 62 कर दी थी, जिसकी वजह से युवाओं के लिए सरकारी नौकरी की बची कुची संभावनाएं भी समाप्त हो गई थीं। यह कदम शिव सरकार में कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के द्वारा बंद होने से उनमें फैली नाराजगी दूर करने के लिए उठाया गया था। अब मोहन सरकार इसमें तीन साल की वृद्धि कर उसे 65 वर्ष करना चाहती है। मप्र ऐसा राज्य है, जहां पर सरकारों की मंशा कर्मचारियों को समय पर पदोन्नत करने की कभी नहीं रही है। इसके उलट आला और रसूखदार पूर्व अफसरों को जरुर युवाओं की जगह तरजीह देते हुए उन्हें जमकर उपकृत किया जाता रहा है। अब इस मामले में कर्मचारी सवाल खड़े करते हुए कह रहे हैं कि सरकार को बेरोजगार युवाओं से अधिक बुजुर्ग अधिकारी-कर्मचारियों की चिंता सता रही है। जबकि इसके बाद बेरोजगारी ही नहीं भविष्य में बढ़ते अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों के कारण शासकीय सेवा मात्र कुछ कर्मचारी परिवारों तक सीमित रह जाएगा। दरअसल राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने मंत्रालयीन संवर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव सरकार को दिया है। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने आवश्यक कार्रवाई के लिये 11 जनवरी को सौंपे गए इस प्रस्ताव को मात्र 11 दिन में ही आवश्यक कार्रवाई के लिये वित्त विभाग को भेज दिया। जिस पर प्रदेश का युवा ही नहीं समाज का प्रबुद्ध और कर्मचारी वर्ग इसके विरोध में खड़ा हो गया है। इनका कहना है कि जब करीब 42 लाख युवा शासकीय भर्तियों के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्त आयु बढ़ाकर सरकार युवाओं के लिये रास्ते बंद कर रही है। औसत आयु पूरी कर चुके बुजुर्ग कर्मचारियों पर काम का बोझ डालने से कार्यालयों की कार्यक्षमता पर पूरी तरह से बुरा असर पड़ना तय है। इससे सरकार के सुशासन के लिए भी नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।
दिग्विजय के बाद शिव सरकार ने बढ़ाई आयु
राजनैतिक फायदे के लिए दिग्विजय सिंह से लेकर शिवराज सरकार तक सेवानिवृत्त आयु में वृद्धि करने से पीछे नहीं रहे हैं। 1998 में सबसे पहले दिग्विजय सिंह सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्त आयु में दो साल की वृद्धि करते हुए 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई थी। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 2018 विधानसभा चुनाव के पहले इसमें भी दो साल की वृद्धि कर दी गई, जिससे 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दिया गया। इसके अलावा प्राध्यापक, चिकित्सक और स्टाफ नर्स संवर्ग की सेवाओं में सेवानिवृत्ति की आयु सीमा पहले से ही 65 साल है।
इनका कहना है
भविष्य की चिंता करते हुए बेरोजगारों को आगे आने की जरूरत है। यह कहना है तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी का। कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि को अनुचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि आयु बढ़ाने से रोजगार के अवसर खत्म होंगे। युवाओं को अवसर देने सरकार को कर्मचारियों की सेवा वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। उधर, राजधानी में रहकर शासकीय सेवा की तैयारी कर रहे भूपेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि सेवानिवृत्त आयु में बढ़ोत्तरी के कारण युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं रह जाएगा। क्योंकि जो इस साल सेवानिवृत्ति हो रहे हैं अब वह तीन साल और सेवा देंगे। ऐसे में न पद ही रिक्त होंगे और ना ही उनमें भर्तियां ही करनी पड़ेगी। इसका नुकसान तो युवाओं को भर्ती आयु सीमा समाप्ति के रूप में उठाना पड़ेगा ।