पंचायतों की बैठक में प्रतिनिधियों की रूचि नहीं

पंचायतों
  • कैग की रिपोर्ट में खुलासा

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावों के दौरान ग्रामीण विकास की बड़े-बड़े दावे करने वाले नेता जब जीत कर प्रतिनिधि बन जाते हैं तो वे पंचायतों की बैठकों में रूचि नहीं लेते हैं। इस कारण पंचायतों के विकास की कार्ययोजना अधूरी रह जाती है। इसका खुलासा भारत के महालेखाकार रिपोर्ट (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ है। महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम पंचायते वार्षिक लेखों को अंतिम रूप देने, बजट के अनुमोदन, प्रशासनिक प्रतिवेदन और जीपीडीपी तैयार करने जैसे अनिवार्य कार्य को पूरा करने में भी विफल रही है। जहां एक ओर सरकार ग्रामीण जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने पंचायतों को शक्ति संपन्न बनाने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर ग्राम स्वराज का पर्याय बनी ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि बैठकों में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वे जनहित और ग्राम विकास के लिए आयोजित की जाने वाली इन बैठकों को ठेंगा दिखाकर इनसे दूरी बना रहे हैं।
    भारत के महालेखाकार रिपोर्ट (सीएजी) में चिंता जताते हुए कहा गया है कि ग्राम विकास के फैसले राज्य की अधिकांश ग्राम पंचायतों में बिना गणपूर्ति (पंचायत प्रतिनिधियों) के लिये जा रहे हैं। आंकलन इसी से किया जा सकता है कि सीएजी द्वारा लेखा परीक्षण के लिये चयनित 20 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2016-21 के बीच हुई किसी भी बैठक में आवश्यक गणपूर्ति की जरूरत नहीं समझी गई। इसके अलावा इन ग्राम पंचायतों ने अधिनियम के तहत सुनिश्चित बैठकें कराने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। जिससे 400 त्रैमासिक और 100 वार्षिक बैठकों के स्थान पर मात्र 229 और 82 बैठकें हो सकी। इन बैठकों को लेकर पंचायत कार्यालय कितने गंभीर हैं, उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंचायत कार्यालय सभी बैठकों और उपस्थित प्रतिनिधियों के विवरण तक यह मुहैया नहीं करा पाए हैं।
    त्रैमासिक हुई 229 और 82 वार्षिक बैठकों में से ये पंचायत कार्यालय 143 त्रैमासिक और 53 वार्षिक बैठकों के ही सदस्यों की उपस्थिति की जानकारी ही उपलब्ध करा पाए हैं। 73वां संविधान अधि. के अनुच्छेद 234-क के साथ पीआरआई अधि. की धारा-06-1 के अनुसार ग्राम सभा की बैठक त्रैमासिक (जनवरी-अप्रैल, जुलाई-अक्टूबर) आयोजित की जानी चाहिये। इसी अधिनियम के 5 धारा 07-2 में वित्तीय वर्ष की समाप्ति से तीन माह पूर्व वार्षिक बैठक का प्रावधान किया गया है। यह वार्षिक लेखा और आगामी वर्ष के लिये बजट पर चर्चा के लिये है। 18 बैठकों में महिलाओं की उपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक थी। शेष 178 बैठकों में एक से 40 प्रतिशत के बीच ही महिलाएं उपस्थित हो पाई। 82 वार्षिक बैठकों में से 64 वार्षिक बैठकें 7 से 276 दिनों के विलंब से कराई गई।

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