
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय व सरकार प्रदेश की लाइफ लाइन नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाने में बेहद लापरवाह बने हुए हैं। यह हालात तब है, जबकि इस मामले में कई बार एनजीटी द्वारा निर्देश दिए जा चुके हैं। यही वजह है कि अब इस मामले में एनजीटी को बेहद कड़ा रुख अपनाना पड़ रहा है। इस मामले में अब मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नौ नगरीय निकायों के खिलाफ आपराधिक मामला शुरु कर दिया है, जबकि अन्य इस मामले में दोषी पाए गए दस नगरीय निकायों पर 12 करोड़ रुपए की पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए भरी भरकम जुर्माना भी लगाया है। दरअसल यह कार्रवाई केन्द्रीय प्रदूषण मंडल बोर्ड की तरफ से की गई है। यही वजह है कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 उद्योगों को भी एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट समेत अन्य इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह से अमरकंटक, नर्मदापुरम, डिंडोरी और मंडला का सीवेज सीधे नर्मदा में मिल रहा है। इसकी वजह है इन स्थानों पर कोई ट्रीटमेंट प्लांट तक नही हैं। इसी तरह से जबलपुर में 143.68 एमएलडी सीवेज के मुकाबले 83.43 एमएलडी का ही निपटारा हो पा रहा है। बाकी सीवेज या अनुपचारित पानी नर्मदा में सीधे छोड़ा जा रहा है। ट्रिब्यूनल ने आठ दिसंबर को होने वाली सुनवाई में इन पांचों शहरों को वास्तविक आंकड़ों के साथ ही सीवेज ट्रीटमेंट उपायों के बारे में बताने के आदेश दिए साथ ही पीसीबी के रीजनल ऑफिसर्स को पर्यावरण क्षतिपूर्ति का आंकलन कर संबंधित निकाय या कलेक्टर को नोटिस जारी करने को भरी कहा है। सीवेज व प्रदेषित पानी की बात की जाए तो हालात यह हैं कि अमरकंटक से 0.98 एमएलडी सीवेज निकलता है, लेकिन ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था ही नहीं हैं। अब यहां पर एसटीपी निर्माणाधीन हैं।
भयाभय हैं हालात
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि नर्मदा 14 शहरों से होकर करीब 1077 किमी के इलाके में बहती है। इन शहरों से रोजाना 200 मिलियन लीटर सीवेज निकलता है, जबकि महज 87 एमएलडी के ट्रीटमेंट का ही अब तक इंतजाम है। स्थानीय स्तर पर 60 एमएलडी का जैविक तरीके से ट्रीटमेंट किया जाता है। इनके लिए ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है। बाकी 51 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के नर्मदा नदी में सीधे जा रहा है। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक नर्मदा नदी का मंडला से भेड़ाघाट तक 160 किमी और सेठानी घाट से नेमावर तक 80 किमी हिस्सा अत्याधिक प्रदूषित है। नर्मदा में 102 नालों की गंदगी सीधे मिल रही है।