प्रदेश में गौमाता बनेंगी चुनावी मुद्दा

 गौमाता
  • वचन पत्र जारी होने से पहले कांग्रेस ने खेला दांव

भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। इस बीच जनता से लोक-लुभावन वादे भी किए जा रहे हैं। मप्र में चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनता से बड़ा वादा किया है। कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जनता से वादा किया कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो सरकार गाय के गोबर को खरीदने वाली स्कीम लाएगी। बता दें कि कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में यह स्कीम पहले से चल रही है। अब दिग्विजय सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की ही तर्ज पर एमपी में भी सरकार गोबर 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से खरीदेगी। कांग्रेस 16 अक्टूबर को अपना वचन पत्र जारी करेगी। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा की गौमाता बचाओ यात्रा के समापन कार्यक्रम के दौरान ऐलान किया कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे छत्तीसगढ़ सरकार की तर्ज पर 3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से गाय का गोबर खरीदेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश की सियासत में हर बार गाय को मुद्दा बनाया जाता है। गाय और गौशाला को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन इस बार चुनावी परिदृश्य से गौमाता नदारद है। न तो भाजपा ने गौमाता संरक्षण को लेकर कोई बात की और न ही कांग्रेस ने कोई वादा किया। अब उज्जैन में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के एक बयान ने इस मुद्दे को हवा दे दी है। प्रदेश में गौपालन और पशु संवर्धन बोर्ड के अंतर्गत 1792 अनुदान प्राप्त गौशालाएं संचालित हैं। इनमें करीब 2 लाख 92 हजार गाय रखी गई हैं। गौशाओं के संचालन के लिए हर साल करीब 210 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। प्रदेश में निराश्रित पशुओं की संख्या करीब 10 लाख है।
गायों का संरक्षण बनेगा प्रमुख मुद्दा
माना जा रहा है कि कांग्रेस निराश्रित गायों के संरक्षण और गोबर खरीदी को प्रमुख मुद्दे के तौर पर प्रचारित करेगी। कांग्रेस इस मुद्दे को अपने वचन पत्र में भी शामिल करेगी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कुछ साल पहले तक गौमाता पर भाजपा का पेटेंट रहा है। मप्र की भाजपा सरकार ने गौमाता के संरक्षण को लेकर वादे खूब किए, लेकिन वह जमीन पर इस दिशा में खास काम नहीं कर पाई। मजेदार बात यह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मई में गाय का गोबर खरीदी की घोषणा की थी, पशुपालन विभाग के अफसरों ने इस दिशा में तेजी से कार्रवाई की। छत्तीसगढ़ का दौरा कर रिपोर्ट तैयार की गई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश में गोबर की खरीदी की शुरुआत नहीं की जा सकी । देखने वाली बात यह है कि क्या भाजपा भी आगामी विधानसभा चुनाव में गाय के गोबर खरीदी का वादा किसानों व पशुपालकों से करेगी?
कांग्रेस ने की थी गौधन न्याय योजना की घोषणा
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में गौशाला के निर्माण का वादा किया था। कांग्रेस सरकार बनने पर एक हजार गौशालाओं का निर्माण शुरू किया गया था। कमलनाथ सरकार ने अनुदान प्राप्त गौशालाओं में प्रतिदिन प्रति गाय पर दी जाने वाली राशि डेढ़ रुपए से बढ़ाकर 20 रुपए की थी। सभी गौशालाओं का निर्माण पूरा होने से पहले मार्च, 2020 में कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस ने 2020 के उपचुनाव के वचन पत्र में गौधन न्याय योजना लागू करने की घोषणा की थी। इसके तहत पशुपालकों से गोबर खरीदकर खाद बनाने की बात कही गई थी, लेकिन उपचुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में आ गए। बहरहाल सिंह ने अपने चुनावी संबोधन में यह भी दावा किया कि 1994 में कांग्रेस ने सबसे पहले गौ सेवा कमीशन बनाया था। उन्होंने यह कहते हुए बीजेपी पर निशाना साधा कि बीजेपी गाय की सेवा नहीं करती है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि एक मूलभूत बात यह है कि हमें गाय बचाना है, क्योंकि यह दूध, गोमूत्र और गोबर देती हैं। आज पूरे देश में गायों की स्थिति काफी खराब है। कुछ लोग हमेशा धर्म के ठेकेदार बनते हैं और गायों की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ राजनीति करते हैं, लेकिन गायों की सेवा नहीं करते हैं।
शिवराज सरकार ने गौ कैबिनेट का गठन किया
चौथी बार सत्ता में आने पर सीएम शिवराज ने अक्टूबर, 2020 को देश की पहली गौ- कैबिनेट का ऐलान किया था। गौ-कैबिनेट में पशुपालन, वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विभाग को शामिल किया गया था। इसकी पहली बैठक में गौ संरक्षण को लेकर कई फैसले किए गए थे, लेकिन उन पर ठीक से अमल नहीं किया जा सका। मई में सीएम शिवराज ने गाय का गोबर खरीदी की घोषणा की थी। जून में सरकार ने कुल 407 पशु एबुंलेंस हर ब्लॉक स्तर पर शुरू की। इस एंबुलेंस की सेवा लेने के लिए पशुपालकों को टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल करना होगा। आपको बता दें कि जुलाई 2020 में छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई थी। इस स्कीम के तहत 2 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सरकार गोबर खरीदती है। इस गोबर का इस्तेमाल ऑर्गेनिक खाद बनाने में किया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार के मुताबिक जुलाई 2022 तक गोधन न्याय योजा के तहत 155 करोड़ 58 लाख रुपये पशुपालकों को दिए गए हैं।

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