कांग्रेस ने चलाए जमावट के तीर, अब सभी खेमों को साधा

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  • स्क्रीनिंग कमेटी में पचौरी, अरुण और अजय को मिली जगह

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र कांग्रेस के बारे में यह ख्यात है कि यहां जितने बड़े नेता है, उतने खेमे हैं। चुनावी साल में खेमों में बंटी कांग्रेस के हर गुट को साधना आलाकमान के लिए कठिन चुनौती है। इस कड़ी में प्रत्याशी चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली स्क्रीनिंग कमेटी का कांग्रेस ने विस्तार कर दिया है। इसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी, अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को कांग्रेस की कार्यसमिति का सदस्य बनाए जाने की संभावना थी, लेकिन उनके स्थान पर विंध्य क्षेत्र से आने वाले पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को स्थान दिया गया। पिछड़ा वर्ग से आने वाले पटेल को चुनाव समिति, चुनाव अभियान समिति और स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य बनाकर महत्व दिया गया। इससे यह माना गया कि पटेल को कांग्रेस ओबीसी नेता के तौर पर आगे बढ़ा रही है। उल्लेखनीय है कि खंडवा और बुरहानपुर जिला व ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष की नियुक्ति में भी उनकी पसंद को महत्व नहीं मिला था, जिससे यह माना गया था कि उनकी कमल नाथ से पटरी नहीं बैठ रही है। उधर, समिति में प्रदेश से ब्राह्मण नेता के तौर पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी को शामिल किया है। पार्टी उनके अनुभव का लाभ भी लेना चाहती है। अजय सिंह को स्क्रीनिंग कमेटी में लेकर संदेश दिया गया है कि विंध्य ब क्षेत्र में उनकी भूमिका वैसी ही रहेगी, जैसी अब तक रही है। दरअसल, कमलेश्वर पटेल को आगे बढ़ाने से कार्यकर्ताओं में यह संदेश जा रहा था कि अजय सिंह कमजोर हो रहे हैं, पर ऐसा नहीं है। उन्हें चुनाव से संबंधित सभी समितियों में रखकर यह संदेश दिया गया है कि वे पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी निर्णयों में उनकी राय ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को विंध्य क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान हुआ था। अजय सिंह स्वयं अपनी परंपरागत विधानसभा सीट चुरहट से चुनाव हार गए थे और विंध्य क्षेत्र में पार्टी को केवल सात सीटें ही मिली थीं।
केंद्रीय चुनाव समिति में मरकाम
उधर, विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए विधायक ओमकार सिंह मरकाम को केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किया है। मध्य प्रदेश से समिति में केवल मरकाम को रखा है। वे महाकौशल अंचल के डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार के विधायक हैं। कमल नाथ ने उन्हें जनजातीय कार्य विभाग का  मंत्री बनाया था। 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। इसके अलावा 32 सीटें ऐसी हैं, जिनमें 25 हजार से अधिक आदिवासी मतदाता हैं, जो परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए थे। इसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ओमकार सिंह मरकाम को जनजातीय कार्य विभाग का मंत्री बनाकर आदिवासियों को संदेश देने का काम किया था। सत्ता परिवर्तन के बाद मरकाम को आदिवासी कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए उन्होंने पदमुक्त करके बैतूल के रामू टेकाम को अध्यक्ष बनाया। अब मरकाम को चुनाव की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाकर स्पष्ट संदेश दिया है कि आदिवासी कांग्रेस की प्राथमिकता में हैं। यह समिति प्रत्याशी चयन को अंतिम रूप देने का काम करेगी। संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस के प्रत्याशियों की पहली 15 सितंबर के बाद कभी भी जारी हो सकती है। भाजपा का भी विधानसभा चुनाव के बाद से फोकस आदिवासी मतदाताओं पर है, इसलिए पेसा का नियम लागू करने के साथ कई कार्यक्रम किए जा चुके हैं।
संतुलन बनाने की कवायद
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशी चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली स्क्रीनिंग कमेटी में आंतरिक गुटबाजी के चलते तीन वरिष्ठ नेता बाहर बैठाए गए थे, जिन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उन्हें जगह देकर संतुलन बनाने की कवायद की है। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी के चलते एक समय गुटीय राजनीति में जगह रखने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह इन दिनों हाशिये पर चले गए हैं। पचौरी तो फिर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की कोर कमेटी में जगह रखते हैं, लेकिन यादव और अजय सिंह तो बिल्कुल अलग-थलग से कर दिए गए हैं। विंध्य की राजनीति में अपना स्थान रखने वाले नेता अजय सिंह के कद को कमजोर करने के लिए अर्जुन सिंह के विश्वस्त रहे इंद्रजीत पटेल के पुत्र पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को आगे बढ़ाने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया के अलावा एकमात्र नेता के रूप में शामिल किया गया है। उसके साथ ही एआईसीसी के वर्किंग कमेटी में मप्र से उन्हें लिया गया है। गौरतलब है कि पूर्व में स्क्रीनिंग कमेटी में दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया के अलावा पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को शामिल किए जाने से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं में काफी असंतोष जैसी स्थिति बन गई थी। सोशल मीडिया से लेकर कई अन्य माध्यमों में कांग्रेस के इस राजनीतिक फैसले की आलोचना भी हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, अरुण यादव व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को नजरअंदाज करके कमलेश्वर पटेल को स्थान मिल जाने के एक महीने बाद अब शामिल किया गया है।

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