
बड़े नेताओं को संभालना पड़ रहा है मोर्चा…
हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। समय से पहले औचक पार्टी द्वारा 39 प्रत्याशियों की घोषणा करते ही भाजपा के कुनबे में कलह मच गई है। हालात यह हैैं कि जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिला है वे विरोध का झंडा बुलंद करने में लग गए हैं। बीते दो तीन दिन से चल रहे विरोध के बाद आखिरकार पार्टी के बड़े नेताओं को अब विरोध शांत करने के लिए मोर्चा सम्भालना पड़ रहा है। दरअसल बगावती सुर दिखा रहे यह नेता अब पूरी तरह से निर्दलीय रूप से मैदान में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। यह बात अलग है कि उनके पास कई दूसरे दलों में जाने का विकल्प मौजूद है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पर्दे के पीछे से उनकी क्षेत्रीय दलों से भी बात चल रही है। दरअसल हाल ही में भाजपा की जारी सूची में 39 प्रत्याशियों की घोषणा की गई है, जिसमें से लगभग एक दर्जन सीटों पर असंतोष के स्वर तेजी से सुनाई दे रहे हैं। टिकट घोषित होने के बाद से ही छतरपुर, सोनकच्छ, झाबुआ, चाचौड़ा और महेश्वर से असंतोष की खबरें आम हो चुकी हैं। इसके बाद ही सत्ता-संगठन के नेताओं द्वारा इन क्षेत्रों में डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी गई है। टिकट के मामले में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा पहले ही कह चुके हैं, टिकट नहीं बदले जाएंगे। पार्टी ने जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों का ही ऐलान किया है। चाचौड़ा सीट पर पार्टी ने इस बार प्रियंका मीणा को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व विधायक ममता मीणा ने पार्टी के निर्णय पर सवाल उठाते हुए प्रियंका को पैराशूट प्रत्याशी तक करार दे दिया। सोमवार को उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे साथ धोखा हुआ है। कार्यकर्ता कहेंगे तो चुनाव लडूग़ीं। उधर, झाबुआ में भाजपा ने जिलाध्यक्ष भानू भूरिया को टिकट दिया है, पिछले चुनाव में उन्हें वरिष्ठ नेता कांतिलाल भूरिया ने हराया था। यहां पूर्व नपा अध्यक्ष धन सिंह बारिया ने बगावत का झंडा उठा रखा है। उनके समर्थकों ने बीते रोज एक रैली भी निकाली है। इसी तरह से महेश्वर में भितरघात की आशंका बन चुकी है। महेश्वर में भाजपा ने पिछले चुनाव के बागी राजकुमार मेव को प्रत्याशी बनाया है। चुनाव में उनकी मौजूदगी से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी भूपेंद्र आर्य भारी अंतर से चुनाव हार गए थे। इसकी वजह से ही मेव की उम्मीदवारी का विरोध हो रहा है।
निर्दलीय उतरने की तैयारी
टिकट न मिलने की वजह से जिस तरह से बीते चुनाव में कई सीटों पर बागियों ने चुनावी समीकरण बिगाड़ दिए थे, वैसे ही स्थिति अभी से बनते दिखने लगी है। लिहाजा इस बार वरिष्ठ नेताओं को डैमेज कंट्रोल में लगाया गया है। इसके बाद भी कई जगहों पर असंतुष्टों ने निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी कर ली है। इसकी अपनी वजहें भी हैं। इसमें प्रमुख रूप से बीते चुनाव में बगावत कर चुके और पार्टी को अलविदा कहने वाले नेताओं को इस बार प्रत्याशी बनाया जाना प्रमुख रुप से शामिल है। गुना जिले की चांचौड़ा विस सीट पर टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व विधायक ममता मीणा ने बीते रोज बीनागंज में कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई और इसके बाद रैली भी की। उन्होंने कहा, पैराशूट से आया प्रत्याशी नहीं चलेगा। भाजपा एक बार फिर विचार करे। उन्होंने कहा, किसी भी कार्यकर्ता को टिकट दे दें, उसके लिए जी जान से काम करेंगे। उनका कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने बिना कार्यकर्ताओं से पूछे और बिना रायशुमारी के टिकट दिया है। यह भाजपा की कार्यशैली कभी नहीं रही है। स्पीच के दौरान उनका गला भर आया। बोलीं, मेरे साथ अन्याय हुआ है। जिस तरह द्रौपदी की मुसीबत के समय भगवान कृष्ण उनकी रक्षा के लिए आए थे, उसी तरह आप सब कार्यकर्ताओं को मेरी रक्षा करनी है। वे अब निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी मे हैं।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष का ऑडियो वायरल
भले ही कांग्रेस ने अभी कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है , लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस में असंतोष के स्वर सुनाई देना शुरु हो गए हैं। हाल ही में छतरपुर जिलाध्यक्ष का एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसमें वे, कांग्रेस विधायकों को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। इसमें छतरपुर के कांग्रेस जिलाध्यक्ष लखनलाल पटेल बातचीत में किसी के साथ कांग्रेस विधायकों पर नाराजगी जता रहे हैं। उनकी बातचीत से लगता है कि कुर्मी समाज इन तीनों विधायकों से नाराज हैं। ऑडियो में लखन पटेल कहते हैं कि जिले की 80 फीसदी जनता इनके खिलाफ नहीं रही तो मैं मूंछ मुड़वा दूंगा। वे महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित पर अधिक नाराज प्रतीत हो रहे हैं। ऑडियो में वे कह रहे हैं कि नीरज का टिकट सबसे पहले कटेगा। उन्होंने दीक्षित को बेईमान तक कह दिया। छतरपुर जिले में कांग्रेस के तीन विधायक हैं।
श्रीमंत व तोमर हुए सक्रिय
भाजपा की पहली सूची में पिछली बार चुनाव लड़ चुके 16 लोगों के नाम नहीं हैं। इन सीटों पर ही सबसे अधिक असंतोष दिख रहा है। इन प्रत्याशियों को लेकर तीन अंचलों में नाराजगी दिख रही है। इन्हें शांत कराने के लिए अब संगठन की ओर से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सक्रिय कर दिया गया है। इनमें से कुछ ने तो खामोशी ओढ़ ली है। वो मान गए हैं या फिर समय के इंतजार में हैं, इसे लेकर पार्टी आशंकित है। लगभग यही स्थिति भोपाल में भी बन रही है। भोपाल उत्तर में भाजपा ने इस बार पूर्व महापौर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। शर्मा के टिकट को लेकर संघ से जुड़े भाजपा नेता मांगीलाल बाजपेई कहते हैं कि आलोक महापौर का चुनाव लड़ते हैं और विधानसभा का चुनाव भी वही लड़ते हैं। पार्टी में प्रदेश पदाधिकारी भी उन्हें ही बनाया जाता है। जबकि पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। पन्ना के गुन्नौर में भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा का विरोध बीजेपी नेत्री अमिता बागरी द्वारा किया जा रहा है।
सरला को लेकर एक धड़ा नाराज
मुरैना की सबलगढ़ सीट से पार्टी ने पिछली बार तीसरे स्थान पर रहीं सरला विजय रावत को प्रत्याशी बनाया है। इसे लेकर भाजपा के प्रदेश महामंत्री रणवीर सिंह रावत के बेटे आदित्य की पीड़ा भी सामने आ चुकी है। लगभग यही हाल महराजपुर सीट पर भी बनी हुई है।