प्रदेश की सियायत में अब रिश्तों का तडक़ा

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मतदाता असमंजस में, किस रिश्ते को दें महत्व

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। हमारी संस्कृति में रिश्तों का बेहद अहम महत्व होता है। जिससे जैसा रिश्ता होता है, उसे वैसा ही महत्व आमतौर पर मिलता है। शायद यही वजह है कि अब प्रदेश में तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश की सियासत में रिश्तों का तडक़ा नेताओं द्वारा जमकर लगाने का काम शुरु कर दिया गया है। प्रदेश में किस रिश्ते को मतदाता कितना महत्व देते हैं, इसका खुलासा तो मतगणना के दिन ही हो पाएगा , लेकिन यही रिश्तेे अब लोगों के लिए चटकारे लेने का विषय बन चुका है। इन रिश्तों और नातों को अब चुनावी बेला में गढऩे का काम जोर- शोर से जारी है। इसमें मामा और चर्चा से लेकर दादा तक का रिश्ता शामिल है। इनमें से कौन सा रिश्ता किस पर भारी पड़ता है, इस पर सभी की नजर लगी हुई है। चुनावी समय होने की वजह से माना जा रहा है कि, इन तीनों ही रिश्तों के बीच जमकर टकराव देखने को मिलेगा। दरअसल भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मामा कहा जाता है। वे भी खुद को आमजन के बीच मामा ही कहलाना पसंद करते हैं। उनके बाद अब प्रदेश की राजनीति में चाचा का प्रवेश हुआ तो दादा भी कहां पीछे रहने वाले हैं। भाजपा के शिवराज मामा के बाद, आम आदमी पार्टी के केजरीवाल चाचा आ गए हैं, ऐसे में कांग्रेस ने भी दादा को दमदार बताने का दांव चल दिया है। दो दिन पहले प्रदेश के प्रवास पर आए अरविंद केजरीवाल ने इस दौरान शिवराज सिंह चौहान के सामने स्वयं को चाचा बताते हुए चुनावी ताल ठोक दी है। ऐसे में कांग्रेस भी कहां पीछे रहने वाली है, तो उसके नेताओं का कहना है कि मामा और चाचा नहीं, बल्कि मप्र रूपी परिवार को संभालने के लिए दादा यानी कमलनाथ की ही जरूरत है। दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी सभा को संबोधित करने आए तो जमकर वादों का पिटारा खोलने में पीछे नहीं रहे। इस दौरान उनके द्वारा एक के बाद एक शिक्षा, स्वास्थ्य,  बिजली, रोजग़ार और भ्रष्टाचार को लेकर जनता के सामने वादों की वारिस कर डाली। असल में केजरीवाल को पता है कि मप्र में उनका मुकाबला मामा की छवि वाले शिवराज सिंह चौहान से है लिहाजा, आम आदमी पार्टी के नेता ने जनता के सामने खुद को चाचा के रुप में पेश करना शुरु कर दिया है। केजरीवाल ने खुद को चाचा बताते हुए कहा, मैंने सुना है यहां एमपी में मामा है, आप उनको भूल जाओ अब चाचा आ गया है। अब चाचा स्कूल-कॉलेज खोलेगा। आप को एक मौका दो। अब चुनावी प्रचार में  केजरीवाल के निशाने पर भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी है। मप्र आए केजरीवाल ने कहा कि यहां आप को एक मौका दो, कांग्रेस और भाजपा दोनों को भूल जाओगे। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन में शामिल है। इसके बाद भी उनके द्वारा जिस तरह से कांग्रेस पर हमला किया गया, वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पसंद नहीं आ रहा है। भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा कि केजरीवाल को कांग्रेस पर हमला करना बंद कर देना चाहिए।  आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक राज करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मामा के नाम से जाने जाते हैं। शिवराज हर बार जनता से संवाद करते समय बकायदा इसका करना भी नहीं भूलते हैं। प्रदेश में शिवराज की मामा के रूप में लंबे समय से छवि बनी हुई है। यहां तक कि माफियाओं और अपराधियों की संपत्तियों पर जब बुलडोजर चला तो उसे भी मामा का बुलडोजर नाम दिया गया। लेकिन एमपी की पॉलिटिक्स में चाचा केजरीवाल की एंट्री हुई तो बीजेपी ने पूछ लिया कि केजरीवाल दिल्ली और पंजाब में किस नाम से पुकारे जाते हैं? जनता सिर्फ मामा को जानती है। प्रदेश के एक मंत्री का कहना है कि  केजरीवाल खुद को यहां चाचा बता रहे हैं, लेकिन वो ये बताएं कि दिल्ली और पंजाब में उन्होंने जो बेड़ा गर्क किया है, वहां उन्हें किस नाम से बुलाया जाता है? केजरीवाल के झूठे मॉडल की पोल खुल चुकी है, यहां तो जनता सिर्फ मामा को जानती है।
जनता को चाहिए दादा
बीजेपी के पास मामा हैं तो आम आदमी पार्टी के पास चाचा आ गए हैं, ऐसे में भला कांग्रेस क्यों पीछे रहती। कांग्रेस ने भी दम भर दिया कि जनता को मामा या चाचा नहीं बल्कि दादा चाहिए, जो परिवार के मुखिया की तरह प्रदेश को भी संभाले । दरअसल कांग्रेस में यह दादा और कोई नहीं बल्कि कमलनाथ हैं। इस मामले में पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि जनता ने मामा और चाचा दोनों का झूठ पकड़ लिया है। इसलिए जनता ने इन दोनों को ठुकराने का मन बना लिया है। अब तो जनता को दादा ही चाहिए। जिस प्रकार से दादा परिवार के मुखिया होते हैं और परिवार का नेतृत्व करते हैं, वैसे ही कमलनाथ जी प्रदेश का नेतृत्व करेंगे।

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