यस एमएलए/कांग्रेस व भाजपा के बीच रोचक मुकाबला

कांग्रेस व भाजपा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल की मध्य विधानसभा सीट पर इस बार जोरदार मुकाबले की संभावना है। क्योंकि इस बार भाजपा ने पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह पर दांव लगाया है। ध्रुव नारायण 2008 में मध्य विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक भी रह चुके है। मध्य विधानसभा सीट भोपाल जिले की ऐसी सीट है, जिसका क्षेत्र भोपाल के सेंट्रल इलाके में फैला हुआ है। जिसकी सीमा में मुख्यमंत्री आवास से लेकर विधानसभा और मंत्रालय तक आता है। इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 2 लाख 20 हजार 64 है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्रनाथ सिंह ने 70696 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी आरिफ मसूद को 6981 वोटों के अंतर से हराया था। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में 76,647 वोट हासिल करके कांग्रेस के आरिफ मसूद ने भाजपा के सुरेंद्र सिंह को हराकर बदला ले लिया था। वहीं इस बार भाजपा ने ध्रुव नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है , तो वहीं कांग्रेस से आरिफ मसूद के प्रत्याशी बनाए जाने की शत प्रतिशत संभावना है। इस वजह से इस सीट पर इस बार बेहद रोचक मुकाबला होना तय माना जा रहा है। बता दें मध्य विधानसभा सीट 2008 में बनी थी तब भाजपा ने ध्रुव नारायण सिंह को मौका दिया था। उन्होंने नासिर इस्लाम को हराया। एक विवाद के बाद 2013 में टिकट कटने के बाद वे नेपथ्य में चले गए। अब उनको कांग्रेस के पाले से इस सीट को खींचकर लाना होगा। इसके लिए जनता का विश्वास जीतना होगा। भोपाल की मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद और भाजपा के पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह के बीच मुकाबला लगभग तय है। भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र के लिए ध्रुव नारायण सिंह का नाम सबसे उपयुक्त नाम है। ध्रुव नारायण सिंह का प्रभाव इस विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले अरेरा कॉलोनी में काफी है। यह भोपाल का वो इलाका है, जहां अभिजात्य वर्ग रहता है। इनमें उद्योगपति भी है और रिटायर्ड अफसर भी है। ध्रुव नारायण सिंह इसी क्षेत्र के रहवासी हैं और उनका संपर्क भी व्यापक है। जो मुस्लिम बस्तियां इस विधानसभा क्षेत्र में आती है। वहां भी ध्रुव नारायण सिंह के मजबूत संपर्क हैं।
तीन चुनाव में से दो भाजपा जीती
भोपाल मध्य विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं। इसमें से भाजपा दो बार और कांग्रेस एक बार चुनाव जीती है। भोपाल मध्य सीट 2008 में परिसीमन के बाद अतिस्व में आई थी। ध्रुवनारायण सिंह यह चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने कांग्रेस के नासिर इस्लाम को पराजित किया था। 2013 में विवादों में घिरने के कारण पार्टी ने उनका टिकट काटकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी सुरेंद्रनाथ सिंह को मैदान में उतारा था। उन्होंने आरिफ मसूद को पराजित किया था। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने आरिफ मसूद पर फिर भरोसा जताया। वहीं, भाजपा ने सुरेंद्रनाथ सिंह को ही फिर से मैदान में उतारा। मसूद ने पिछली हार का बदला लेते हुए सिंह को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। धु्रवनारायण सिंह काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय हैं और उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन प्राप्त है। ध्रुव नारायण सिंह को मध्य विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए जाने से भारतीय जनता पार्टी को दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी लाभ मिलेगा। दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार उमाशंकर गुप्ता कांग्रेस के उम्मीदवार पीसी शर्मा से चुनाव हार गए थे। धुव नारायण सिंह का दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी प्रभाव है।
सीट से प्रमुख दावेदार
भोपाल मध्य सीट से भाजपा के पास दावेदारों की लंबी कतार थी, लेकिन पार्टी ने 2008 में इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके ध्रुव नारायण सिंह का नाम तय कर दिया है। ध्रुव नारायण को एक मामले के कारण लंबा इंतजार करना पड़ा है। इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कृष्ण घाडग़ेे भी दावेदारी में लगे थे, लेकिन पार्टी ने इन सब को दरकिनार कर ध्रुव नारायण सिंह पर ही दांव लगाया है। जिन प्रत्याशियों द्वारा दावेदारी की जा रही थी। फिलहाल उनमें से कोई इतना बड़ा नेता नहीं है, जो खुलकर बगावत कर सके, क्योंकि सुरेंद्र सिंह भाजपा के जिला अध्यक्ष रहने के साथ विधायक भी रहे हैं और सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी भी हैं। ऐसे में यदि वे विरोध करते हैं, तो सवाल शिवराज सिंह चौहान के ऊपर उठेंगे। राहुल कोठारी दिल्ली से जुड़े हैं, तो सुमित पचौरी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खासम खास हैं।
जातिगत समीकरण
भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद एक लाख के आसपास है। इसके बाद पिछड़ा वर्ग एवं दलित वर्ग के मतदाता है। मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ताकत है तो पिछड़ा वर्ग भाजपा की दलित-पिछड़े मतदाताओं की संख्या क्षेत्र में 50 हजार से भी ज्यादा बताई गई है। हालांकि इस क्षेत्र का चुनाव हिंदू-मुस्लिम में भी तब्दील हो जाता है। भाजपा में इस बार भी मितरघात का खतरा है। भाजपा ने इस पर काबू पा लिया तो नतीजा उसके पक्ष में आ सकता है।
समस्याओं की भरमार
भोपाल मध्य सीट चूंकि शहरी क्षेत्र है, इसलिए यहां महंगाई एवं बेरोजगारी जैसे राष्ट्रीय मुद्दों का असर रहेगा। लोगों के बीच दलबदल कर बनी सरकार भी मुद्दा है। इसके अलावा यहां कई सारे स्थानीय मुद्दे भी प्रभावी रहेंगे। जैसे, भाजपा सरकार द्वारा कराए गए और कराए जा रहे काम गिनाएगी तो कांग्रेस बताएगी कि शहर में किस तरह ट्रैफिक की समस्या है। ओवर ब्रिज और मेट्रो को भाजपा मुनाना चाहेगी तो कांग्रेस काम की धीमी रफ्तार एवं इससे होने वाली परेशानी पर फोकस करेगी।

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