
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। छतरपुर जिले में 6 विधानसभा हैं, जिनमें से चंदला विधानसभा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मात्र यहां से भाजपा के प्रत्याशी को जीत मिली थी, वह भी मात्र हजार वोटों के अंतर से। चंदला विधानसभा क्षेत्र में गौरिहार, सरवई, रामपुर जैसे क्षेत्र आते हैं जहां रेत का कारोबार सर चढ़कर बोलता है लेकिन चंदला के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति जस की तस है।
यहां पर चंदला के बस स्टैंड पर लगी चुनावी चौपाल में लोगों ने साफ तौर पर बिजली की समस्या से लेकर किसानों की खेती को चौपट करने वाले आवारा पशुओं की बात तक यह डाली और यह भी आरोप लगाया कि पूर्व में चुनाव जीतने के लिए जनप्रतिनिधियों ने आवारा पशुओं से किसानों की खेती को नुकसान न पहुंचे , इसकेे लिए कुछ व्यापक उपाय करने की बात कही थी जो अब ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके अलावा यह रेत के बड़े स्तर पर चल रहे उत्खनन को लेकर भी क्षेत्रीय लोगों ने बड़े सवाल उठाए हैं और क्षेत्रीय नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत पर भी नाराजगी जाहिर की है। चंदला के लोगों ने स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं को व्यवस्थित ना करने के आरोप लगाए हैं। चंदला क्षेत्र में पलायन एक बड़ी समस्या है, क्योंकि किसानों और खेती दोनों चौपट हो चुके हैं । कारण मौसम ही कारण आवारा पशु है जो खेतों में घुसकर खड़ी फसल को चौपट कर देते हैं, लेकिन इसके लिए आज तक कोई उपाय नहीं किया गया है जिसको लेकर जनता में काफी नाराजगी है और कहीं ना कहीं भाजपा से नजर हटाकर आप कांग्रेस की तरफ जनता का झुकाव समझ में आ रहा है।
जातीगत समीकरण
चंदला विधानसभा सीट में ब्राह्मण और अजा वर्ग के मतदाता निर्णायक है। इनकी संख्या लगभग 40- 40 हजार के आसपास है। अजा वर्ग कुछ ज्यादा मी हो सकता है। इसके बाद क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के पटेल, यादव और पाल समाज के मतदाता भी लगभग बराबर हैं। इनकी तादाद 18-18 हजार के आसपास बताई गई है। इनके अलावा अंचल में लगभग सभी जातियां है लेकिन हार-जीत ही करते है।
अधर में अटका चंदला हथौंहा से अजयगढ़ मार्ग
चंदला से पन्ना जिले के अजयगढ़ को जोडऩे वाली यह सडक़ अंचल के लोगों के लिए जीवन रेखा सडक़ है। जो लंबे समय से अधूरी पड़ी है। अभी तक चंदला विधानसभा के वाशिंदों को अजयगढ़ या उस क्षेत्र में जाने के लिए एक तरफ खजुराहो, पन्नाा होकर जाना पड़ता है। दूसरा रास्ता उत्तर प्रदेश के बांदा जिला के गिरवां, नरैनी होकर 150 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। क्षेत्र के लोगों को सड़क अधूरी होने की वजह से अभी भी बारिश के दिनों में लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में जब यह सड़क मंजूर हुई तो क्षेत्र वासियों को उम्मीद बंध गई थी कि अब अजयगढ़ जाने के लिए 22 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक घंटे में पहुंचने की सुविधा मिल जाएगी। लेकिन क्षेत्र वासियों की खुशी व उम्मीद पर इस काम में लगी कंपनी मैसर्स एबीसी एसोशिएट सतना ने काम बंद करके पानी फेर दिया। इसी को लेकर पूर्व में चंदला समाज कल्याण समिति के साथ मिलकर नगर के युवाओं ने ईई पीडब्ल्यूडी को मुख्यमंत्री के नाम आवेदन सौंपा था। जिसमें चंदला अजयगढ़ मार्ग व चंदला बाईपास रोड निर्माण व लवकुश नगर बाईपास रोड निर्माण को अति शीघ्र बनाने की मांग की गई है।
सियासी समीकरण
चंदला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 1951 में तत्कालीन विंध्य प्रदेश राज्य के 48 विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक के रूप में अस्तित्व में आया था, लेकिन 1956 में इसे समाप्त कर दिया गया था। यह 1976 में फिर से अस्तित्व में आया। विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद 2008 से अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। 2018 में चंदेला में कुल 31 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में भारतीय जनता पार्टी से राजेश प्रजापति ने कांग्रेस के हरिप्रसाद अनुरागी को 1,177 वोटों के मार्जिन से हराया था। चंदला विधानसभा सीट पर ना तो लम्बे समय तक कांग्रेस राज कर पाई है और ना ही भाजापा। हालांकि, 2013 के चुनाव में यहां भाजपा जीतकर आई। उनके पहले 2008 में राम दयाल अहिरवार जीतकर आए थे। भाजपा और कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी भी इस सीट से जीतकर आई थी। 1998 और 2003 में विजय बहादुर सिंह बुंदेला यहां से लगातार जीतकर आए थे। मालूम हो कि वर्तमान विधायक आरडी प्रजापति यहां काफी लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने उन्हें मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जीत दिलवाई थी।
सीट पर प्रमुख दावेदार
पिछला चुनाव कम मतों के अंतर से जीतने और पिता पूर्व विधायक आरडी प्रजापति द्वारा भाजपा के खिलाफ झंडा उठाने के कारण इस बार विधायक राजेश प्रजापति का टिकट कटना तय माना जा रहा है। हालांकि वे प्रमुख दावेदार अब भी है। यदि उनका टिकट कटा तो पार्टी के जिला उपाध्यक्ष दिलीप अहिरवार को मौका मिल सकता है। कांग्रेस में दावेदारों की संख्या ज्यादा है। कम वोटों से हारने वाले हर प्रसाद अनुरागी तो मुख्य दावेदार है ही और उन्हें ही फिर टिकट मिलने की संभावना है। इनके अलावा बसपा से चुनाव लड़ चुके पुष्पेंद्र अहिरवार और सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी अनित्या सिंह प्रमुख दावेदार है। कांग्रेस में देवी दयाल अहिरवार, राजू प्रजापति और देवेंद्र अहिरवार भी दावेदारी कर रहे है। लेकिन टिकट हर प्रसाद, अनित्या में से किसी एक को मिलने की संभावना है।