- विनोद उपाध्याय

मप्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची सामने आने के बाद कांग्रेस भी एक्टिव हो गई है। पार्टी ने सभी 230 सीटों के दावेदारों के नामों पर कई स्तरों पर मंथन कर लिया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि प्रत्याशी चयन का काम 70 प्रतिशत पूरा हो चुका है। ये वे सीटें हैं, जो कांग्रेस की परंपरागत सीट हैं या फिर भाजपा की। इसको लेकर आज होने वाली बैठक में नामों का चयन हो सकता है। संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस इसी माह 60 से 66 सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। पार्टी नेताओं की नजर भाजपा में बगावत पर भी है, पर पार्टी जल्द ही अपनी कब्जे वाली 60 से 66 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर सकती है। गौरतलब है कि भाजपा ने 39 विधानसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है। इनमें से अधिकांश सीटें वे हैं, जहां पर कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर वहां चुनावी तैयारी पर काम करेगी। इस पर कांग्रेस की नजर है।
भाजपा की सूची घोषित होने के बाद कांग्रेस ने भी अपना प्रभारी बदल दिया। गांधी परिवार के नजदीकी रणदीप सिंह सुरजेवाला को कांग्रेस ने प्रभारी की जवाबदारी भी सौंप दी है। इसके बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित कर सकती है। अब सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ ने जो सर्वे करवाया था, उसको ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी चयन का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और जल्द ही पहली सूची आने वाली है। जानकारों के अनुसार, टिकट वितरण के मामले में बसपा और सत्ताधारी दल भाजपा से पीछे चल रही कांग्रेस बड़ा धमाका करने की तैयारी में है। कांग्रेस देर आए दुरस्त आए के फार्मूले पर चलकर जीतने वाले चेहरों की तलाश में है।
कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक
भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी गई है। इसके बाद कांग्रेस पर उम्मीदवार घोषित करने पर दबाव आ गया है। इसे देखते हुए कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की एक बैठक आज भोपाल में बुलाई गई है। इस बैठक में कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होगी। यह भी संभव है कि बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ को टिकट तय करने के लिए अधिकृत कर दिया जाए। कांग्रेस नेताओं की राय है कि उन सीटों पर उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिए जाएं, जहां कांग्रेस हारती आ रही है। उम्मीदवार पहले ही घोषित करने का मकसद उम्मीदवारों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय देना है।प्रदेश में ऐसी 66 सीटें हैं। इनके अलावा आदिवासियों के लिए आरक्षित कुछ सीटों पर भी पहले ही उम्मीदवार घोषित किए जा सकते हैं। प्रदेश में विधानसभा की ऐसी 66 सीटें हैं, जहां कांग्रेस कमजोर स्थिति में रहती है। इन सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर चुके हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने इन सीटों पर तीन दौर का सर्वे भी कराए हैं। कांग्रेस इन हारी हुई सीटों पर नए चेहरों को मौका देना चाहती है। कांग्रेस के जिला प्रभारी और केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने भी प्रत्याशी बदलने पर जोर दिया है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सितंबर में पहली सूची जारी कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा तीन-चार चरण में करेगी। पहली सूची की तैयारी लगभग पूरी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी भी बनी है। इसकी पहली बैठक सितंबर में प्रस्तावित है।
100 सीटों के प्रत्याशियों के नामों पर मंथन
जानकारों की मानें तो कांग्रेस किसी बड़े धमाके की तैयारी में है। पार्टी भाजपा के किसी बड़े कद्दावर नेता को दल में लाकर उन्हें चुनावी जंग में उतार सकती है। इधर कांग्रेस की तैयारी है कि वह इसी माह लगभग 60 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी कर दे। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने 100 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों पर मंथन कर लिया है और इन पर लगभग सहमति भी बना ली गई है, किंतु पहले चरण में 60 नामों वाली प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी जाएगी। इनमें से अधिकांश वे ही क्षेत्र होंगे, जहां भाजपा के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। सूत्रों की माने तो कांग्रेस अपनी पहली सूची में आदिवासी बाहुल्य उन सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान करेंगी, जहां पिछले चुनाव में उसे जीत हासिल हुई थी और वहां उसे जयस जैसे संगठन का साथ मिला था। ऐसा माना जा रहा है कि इनमें कांग्रेस अपने मौजूदा विधायक को फिर से टिकट दे सकती है। अध्यक्ष प्रदेश मीडिया विभाग मप्र केके मिश्रा का कहना है कि भाजपा ने अपने 39 पराजित होने वाले प्रत्याशियों को होली के नारियल के रूप में चुना है। यदि भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है, तो उसने इन 39 उम्मीदवारों में एक ऐसा चिकित्सक क्यों शामिल है, जिसे नौकरी छोड़ने के चार घंटे बाद टिकट दिया और उसके बाद उसने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसी तरह आम आदमी पार्टी के एक उम्मीदवार को टिकट दिया गया। यानी इतनी बड़ी पार्टी में उम्मीदवारों का टोटा है। जहां टिकट फाइनल हुए है, उनमें से एक दर्जन ऐसे क्षेत्र है, जहां सिर फुटौव्वल हो रही है। ऐसे में चुनाव परिणाम क्या होंगे, यह स्पष्ट हो रहा है।