एमपी में निवेश के लिए उमड़ी कंपनियां

एमपी

-मप्र में विकास को मिली निर्णायक गति

सपने को किस तरह साकार किया जाता है, यह मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बेहतर कोई नहीं जानता है। उन्होंने 2005 में मुख्यमंत्री बनने के साथ ही मप्र को इंडस्ट्री का हब बनाने का सपना देखा था और उसे साकार भी कर दिखाया है। फिर उन्होंने मप्र को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया, जिससे मप्र में विकास को निर्णायक गति मिली है। इससे प्रभावित होकर एक बार फिर से मप्र में निवेश के लिए कंपनियां उमड़ पड़ी है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में मप्र में अब तक छह इन्वेस्टर्स समिट हुई हैं। छठी समिट इस साल जनवरी में आयोजित की गई। इस समिट के बाद से ही प्रदेश में निवेश करने के लिए देशी-विदेशी कंपनियां लगातार आ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिशा-निर्देश पर कंपनियों को सारी सुविधाएं तत्काल मुहैया कराई जा रही है। सरकार को उम्मीद है कि मप्र में निवेश का नया इतिहास लिखेगी। पहली बार ऐसी तैयारी की गई है कि निवेशकों को जहां की भूमि पसंद आ रही है, सरकार वहां की भूमि आवंटित कर रही है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि पहले मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने में निवेशकों की रुचि नहीं थी। इसकी वजहें कई थीं। हमने धीरे-धीरे नियमों को निवेशकों के अनुकूल बनाया, उनका विश्वास जीता, तब कहीं अब देश-दुनिया के निवेशक मप्र खुद रुचि लेकर आ रहे हैं। दरअसल, उद्योगों की स्थापना के लिए झंझट मुक्त प्रदेश है मप्र। सिंगल विंडो से यहां उद्योग स्थापना संभव है। स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज की अवधारणा लागू है। अब नया उद्योग लगाने के लिए आठ विभागों की 44 सेवाओं की अनुमति 30 दिन के भीतर उपलब्ध कराने की सुविधा देने वाला यह एकमात्र प्रदेश है।
गौरतलब है की पिछली पांच इन्वेस्टर्स समिट में एक लाख सात हजार करोड़ का निवेश आया और दो लाख 40 हजार युवाओं को रोजगार मिला। प्रदेश में फिलहाल 320 बड़ी औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। वहीं छोटे और मध्यम उद्योगों की संख्या 26 लाख तक पहुंच गई है। पहली समिट अक्टूबर 2007 में हुई, 102 एमओयू हुए, 17,311.19 करोड़ का निवेश आया और 49 हजार 750 को रोजगार मिला। दूसरी समिट अक्टूबर 2010 में हुई, 109 एमओयू हुए, 26,879.23 करोड़ का निवेश आया और 25 हजार को रोजगार मिला। तीसरी समिट अक्टूबर 2012 में हुई, 425 एमओयू हुए, 26,054.85 करोड़ का निवेश आया और 31 हजार 530 को रोजगार मिला। चौथी समिट अक्टूबर 2014 में हुई, 3,160 एमओयू हुए, 49,272.5 करोड़ का निवेश आया और 38 हजार 750 को रोजगार मिला। पांचवीं समिट अक्टूबर 2016 में हुई, 2,635 एमओयू हुए, 32,597.66 करोड़ का निवेश आया और 92 हजार 700 को रोजगार मिला। छठवीं समिट के बाद तो प्रदेश में निवेश की बहार आ गई है। प्रदेश में रेडीमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। आटोमोबाइल के क्षेत्र में अनेक कंपनियां यहां काम कर रही हैं। कोविड के दौरान मध्यप्रदेश के फार्मा सेक्टर ने विदेशों में दवाइयों का एक्सपोर्ट किया है। मप्र में आटोमोबाइल सेक्टर पहले से है, अब इथनाल पॉलिसी भी बनाई गई है। मप्र में कई तरह के खनिज हैं। कोयला, मैंग्नीज़, कापर हैं, इससे जुड़े उद्योग की स्थापना लक्ष्य है। भोपाल में सिंगापुर के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर की कौशल प्रशिक्षण सुविधाओं वाला ग्लोबल स्किल पार्क बनाया गया है, ताकि यहां से उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप मानव संसाधन प्राप्त हो सके। अलग-अलग सेक्टर्स के लिए अलग-अलग पालिसी है। कई इंजीनियरिंग कालेज हैं, आइटीआइ को अपग्रेड किया गया है।

उद्योगों को बढ़ाने का मेगा प्लान
मप्र में इंडस्ट्री सेक्टर में क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने और हजारों की संख्या में रोजगार पैदा करने के लिए एमएसएमई विभाग 100 एमएसएमई क्लस्टर विकसित करने के प्लान पर काम कर रहा है। हर जिले में कम से कम एक क्लस्टर होगा, जिसमें एक ही तरह के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग होंगे। एक जिला-एक उत्पाद के तहत बनाए जा रहे इन एमएसएमई क्लस्टर में दो लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से 13 क्लस्टरों को स्वीकृति मिली है। 11 और क्लस्टर भी स्वीकृत किए जाएंगे। वहीं राज्य सरकार 76 क्लस्टर विकसित करेगी। इनमें से 31 क्लस्टर को स्वीकृति मिल चुकी है। जानकारी के अनुसार मप्र का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 100 औद्योगिक क्लस्टर स्थापित करेगा। सरकार का अनुमान है कि इन क्लस्टरों से दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। फिलहाल 95 क्लस्टर चिह्नित किए जा चुके हैं। राज्य सरकार के तय 76 में से 27 क्लस्टर स्वीकृत हो चुके है और 27 स्वीकृति के लिए प्रक्रियाधीन है। शेष क्लस्टर के प्रस्ताव प्राप्त हुए है और भूमि का चिह्नांकन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा क्लस्टर का उद्घाटन कराने की तैयारी की जा रही है। क्लस्टरों के माध्यम से प्रदेश में स्टार्टअप को भी बढ़ावा मिलेगा। केंद्र की एमएसई सीडीपी योजना के तहत कुल 13 क्लस्टर्स प्रदेशभर में स्वीकृत हो चुके हैं।
प्रदेश में अब तक औद्योगिक विकास चुनिंदा क्षेत्रों जैसे इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, देवास, पीथमपुर के आसपास होता रहा है, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन रहा है, नए क्लस्टर खुलने से दूरदराज और छोटे शहरों, ब्लॉक तथा तहसील तक उद्योगों का विकास होगा। प्रगति की समीक्षा हर 15 दिनों में होती है। विभाग के पास एमएसएमई अधोसंरचना के लिए 129 करोड़ का बजट उपलब्ध है। भोपाल में 2 निजी क्लस्टर्स को मंजूरी मिल चुकी है। खाद्य प्रसंस्करण (बैरसिया) और मल्टी स्टोरी मेडिकल डिवाइस क्लस्टर (गोविंदपुरा) शामिल है। जबलपुर का रेडीमेड गारमेंट, शिवपुरी में नेहरू जैकेट, छतरपुर में 2 फर्नीचर क्लस्टर, इंदौर-रतलाम में कई नमकीन क्लस्टर, सागर-विदिशा में कृषि उपकरणों सहित कई जिलोंं में फूड प्रोसेसिंग के क्लस्टर शामिल हैं। सेक्रेटरी एंड कमिश्नर, एमएसएमई इंडस्ट्रीज पी. नरहरि का कहना है कि एमएसएमई पॉलिसी के तहत 100 क्लस्टर विकसित हो रहे हैं। इनसे हजारों नौकरियां पैदा होंगी। प्रदेश का औद्योगिक परिदृश्य बदल जाएगा। उद्घाटन जून या जुलाई में संभावित है।’ सागर के सिद्धगुवा फर्नीचर क्लस्टर, जबलपुर के भटौली में फर्नीचर क्लस्टर और कुद्वारी में नवीन गारमेंट क्लस्टर, भोपाल के ग्राम अगरिया छापर में फर्नीचर क्लस्टर, मुरैना के ग्राम हिंगोना खुर्द में खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर, बैतूल के कोसमी में बहुमंजिला औद्योगिक परिसर, नीमच के सगराना में फर्नीचर क्लस्टर, मनासा और बामनबरडी में बहु उत्पाद क्लस्टर, इंदौर मालीखेड़ी में बहुत उत्पाद क्लस्टर, हातोड़ के ग्राम मोरखेड़ा में फूड पार्क प्रालि, देवास के कालूखेड़ी में इंजीनियरिंग और बहु उत्पाद क्लस्टर, उज्जैन के नीमनबासा में इंजीनियरिंग क्लस्टर, मुरैना के मलखानपुर बानमोर में फर्नीचर और बहु उत्पाद क्लस्टर, छिंदवाड़ा के सौंसर में फर्नीचर और खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर, पन्ना के जनकपुर में डायमंड क्लस्टर, धार के सरदारपुर ग्राम अमझेरा में बहु उत्पाद क्लस्टर, बदनावर ग्राम भोइंदा में बहु उत्पाद क्लस्टर, मंदसौर के पानपुर में बहु उत्पाद क्लस्टर, धार के लम्हेरा बुजुर्ग में बहु उत्पाद क्लस्टर, भोपाल के अचारपुरा में प्लास्टिक क्लस्टर, भिंड के छीमका में बहुउत्पाद क्लस्टर।

दो लाख को मिलेगा रोजगार
एक जिला-एक उत्पाद के तहत 100 से अधिक क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। इससे 2 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। जबलपुर में मिष्ठान एवं नमकीन क्लस्टर में 1900 को रोजगार मिलेगा। वहीं गोविंदपुरा (भोपाल) में इंजीनियरिंग क्लस्टर में 2250, सनावद (खरगोन)में कृषि आधारित औद्योगिक संस्थान में 350, बैतूल में इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल औद्योगिक संस्थान में 350, अकोड़ी (बालाघाट) में लाख (राल) औद्योगिक संस्थान में 260, कचनारिया (राजगढ़) में खाद्य प्रसंस्करण औद्योगिक संस्थान में 300, मोहम्मदपुरा औद्योगिक क्षेत्र (बुरहानपुर) में 10,000, अशोक नगर में औद्योगिक क्षेत्र में 151, देवास में औद्योगिक क्षेत्र क्रमांक 1 में 150, उज्जैन में औद्योगिक क्षेत्र मक्सी रोड में 138, छतरपुर में औद्योगिक क्षेत्र चंद्रपुरा में 290, सतना में औद्योगिक क्षेत्र मटेहना में 100, भोपाल में औद्योगिक क्षेत्र गोविंदपुरा में 100 लोगों को रोजगार मिलेगा। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार 76 क्लस्टर विकसित करेगी। इनमें से 31 क्लस्टर को स्वीकृति मिल चुकी है। 1623.89 हेक्टेयर में विकसित किए जाने वाले राज्य सरकार के क्लस्टर में 14,217 करोड़ 87 लाख रुपये का निवेश किया जाएगा। इनमें 3,109 औद्योगिक इकाइयां होंगी। निजी विकासक द्वारा 19 क्लस्टर और शासकीय भूमि पर 12 क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में 17 क्लस्टरों के नए प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं इनमें भूमि का चिह्नांकन किया जा चुका है। इंदौर में फार्मा पार्क, खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर रंगवासा, प्लास्टिक क्लस्टर धन्नड, धार सरदारपुर बहु उत्पाद क्लस्टर, नीमच में चार बहु उत्पाद क्लस्टर सगराना, भिंड के अटेर, अशोक नगर के दियाधार, दतिया के घरावा, रतलाम के बिलपांक, मंदसौर के खजूरिया, शाजापुर के धतुरिया, खरगोन के डाबरिया, सिवनी के करहैया, आगर मालवा के जोगपुरा में बहु उत्पाद क्लस्टर के प्रस्ताव आए हैं।
उधर, देश की तीन प्रतिष्ठित कंपनी मध्य प्रदेश में 13 सौ करोड़ रुपये का निवेश करेगी। टेकफैब इंडिया, गुलशन पालिओल्स और ग्रीनको ग्रुप के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मंत्रालय में भेंट कर निवेश की इच्छा जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश में उद्योगों और निवेश के लिए स्वस्थ वातावरण विद्धमान है। राज्य सरकार का उद्योगों के प्रति हर संभव सहयोग और स्वागत का भाव है। मुख्यमंत्री से टेकफैब इंडिया के प्रबंध संचालक अनंत कनोई, गुलशन पालीओल्स की आरुषि जैन और ग्रीनको ग्रुप के प्रबंध संचालक अनिल चलमलसेट्टी ने भेंट की। टेक्सटाईल इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग फेब्रिकेशन में विशेषज्ञता रखने वाली टेकफैब इंडिया कंपनी मंडीदीप में 100 करोड़ रुपये के निवेश से सडक़ निर्माण में उपयोगी सामग्री की इकाई प्लग एंड प्ले आधार पर स्थापित करने की इच्छुक है। यह समूह भोपाल के पास वेयरहाउसिंग यूनिट भी स्थापित करना चाहता है। इसी तरह 40 वर्षों से अनाज और खनिजों से विशेष रसायन बना रहा 1200 करोड़ रुपये के टर्न ओवर वाला गुलशन पालिओल्स छिंदवाड़ा में डिस्टलरी प्लांट संचालित है। गुलशन पालिओल्स 200 करोड़ के निवेश से प्रदेश में रासायनिक विनिर्माण इकाई स्थापित करने का इच्छुक है, जिसमें लगभग एक हजार से अधिक व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। समूह ने इकाई के लिए नरसिंहपुर जिले में जमीन चिन्हित की है। इसी तरह नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य कर रहा ग्रीनको ग्रुप के प्रबंध संचालक चलमलसेट्टी ने नीमच जिले में 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित 1920 मेगावाट क्षमता की पम्प स्टोरेज परियोजना की क्षमता वृद्धि के संबंध में चर्चा की।

छह कंपनियां करेंगी 1920 करोड़ का निवेश
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद मध्य प्रदेश में निवेश प्रस्ताव आना शुरू हो गए हैं। जिससे बेरोजगार युवाओं में रोजगार मिलने की संभावना जगेगी। 24 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फार्मा लॉजिस्टिक पार्क खाद्य प्रसंस्करण, आयरन एंड स्टील और प्लास्टिक के क्षेत्र में कार्यरत उद्योग समूह ने मंत्रालय में मुलाकात की। मध्य प्रदेश में निवेश और इकाइयों के विस्तार के संबंध में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन उद्योगपतियों से चर्चा की है। देश की छह बड़ी कंपनियों में टीवीएस इंडस्ट्रीज एंड लाजिस्टिक्स पार्क के सीईओ रामनाथ सुब्रमण्यम और रीजनल हेड कुशल मोतियानी, इप्का लेबोरेट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर अजित कुमार जैन, सात्विक एग्रो प्रोसेसिंग के नीलेश गर्ग और माणिक गर्ग, सर्वा फोम के कुणाल ज्ञानी, हिन्दुस्तान अर्बन इंफ्रा-स्ट्रक्चर के राघवेन्द्र मोदी और बैरलोकर इंडिया ऐडिटिव्स के ज्येन मोदी एवं अंकुर कुमार ने मुख्यमंत्री के समक्ष मध्य प्रदेश में 1920 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव रखें। इससे प्रदेश में 2850 लोगों के लिए नए रोजगार सृजित होंगे। जो छह कंपनियां मप्र में निवेश करेंगी, उनमें टीवीएस देवास व पीथमपुर में 250 करोड़ रुपये की लागत से इंडस्ट्रियल व लाजिस्टिक्स पार्क स्थापित करेगी। एक हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इप्का लेबोरेट्रीज देवास में 470 करोड़ रुपये की लागत से फार्मा इकाई स्थापित कर रही है। 700 लोगों को रोजगार मिलेगा। सात्विक एग्रो मुरैना जिले के सीतापुर में नई खाद्य प्र-संस्करण इकाई स्थापित करेगी। 284 करोड़ रुपये के शुरूआती निवेश के साथ एक लाख 44 हजार मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता की नई इकाई स्थापित कर रही है। कंपनी द्वारा इसके लिए भूमि अधिग्रहण कर लिया गया है। सर्वा फोम रायसेन जिले के तामोट प्लास्टिक पार्क में 100 करोड़ रुपये के निवेश के साथ रिबांडेड फोम और पालियोरेथेन फोम के लिए बुनियादी कच्चा माल बनाने की इकाई की स्थापना करेगा। हिन्दुस्तान अर्बन इंफ्रा-स्ट्रक्चर मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में 500 करोड़ के निवेश और लगभग 1000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखने वाली रेलवे वैगन निर्माण इकाई स्थापित करेगी। बैरलोकर इंडिया ऐडिटिव्स देवास में 316 करोड़ रुपये के निवेश से पीवीसी स्टेबलाइजर इकाई की स्थापना करेगी। 150 लोगों को रोजगार मिलेगा। रिलायंस, हेतिच इंडिया और पेप्सिको करेंगी निवेश। मुख्यमंत्री से उद्योगपतियों ने की भेंट, बायो गैस, फर्नीचर फिटिंग्स और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां होंगी स्थापित।
मुख्यमंत्री चौहान से मुलाकात के दौरान टीवीएस इंडस्ट्रीज एंड लॉजिस्टिक्स पार्क के सीईओ रामनाथ सुब्रमण्यम और रीजनल हेड कुशल मोतियानी ने देवास और पीथमपुर में 250 करोड़ रुपये की लागत से इंडस्ट्रियल व लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की। पार्क से लगभग 1000 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रदेश में फार्मा क्षेत्र में 1300 करोड़ रुपये की लागत से तीन इकाइयां स्थापित कर चुकी इप्का लेबोरेट्रीज के मेनेजिंग डायरेक्टर अजित कुमार जैन ने मुख्यमंत्री चौहान से भेंट कर देवास में 470 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित हो रही फार्मा इकाई के बारे में बातचीत की। इस इकाई में लगभग 700 लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री से सात्विक एग्रो प्रोसेसिंग के नीलेश गर्ग और माणिक गर्ग ने मुरैना जिले के सीतापुर में नई खाद्य प्र-संस्करण इकाई स्थापित करने के संबंध में चर्चा की। सात्विक एग्रो 284 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ एक लाख 44 हजार मीट्रिक टन की उत्पादन क्षमता के साथ नई इकाई स्थापित कर रही है। कंपनी द्वारा इसके लिए भूमि अधिग्रहण कर लिया गया है। सर्वा फोम के कुणाल ज्ञानी रायसेन जिले के तामोट प्लास्टिक पार्क में 100 करोड़ रुपये के निवेश के साथ रिबांडेड फोम और पालियोरेथेन फोम के लिए बुनियादी कच्चा माल बनाने की इकाई की स्थापना के प्रस्ताव और अपेक्षाओं पर चर्चा की। मुख्यमंत्री चौहान से हिन्दुस्तान अर्बन इंफ्रा-स्ट्रक्चर के राघवेंद्र मोदी ने मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में 500 करोड़ के निवेश और लगभग 1000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखने वाली रेलवे वेगन निर्माण इकाई स्थापित करने के संबंध में बातचीत की। इसी क्रम में बैरलोकर इंडिया ऐडिटिव्स के ज्येन मोदी और अंकुर कुमार ने देवास में 316 करोड़ रुपये के निवेश से पीवीसी स्टेबलाइजर इकाई की स्थापना पर बातचीत की। इकाई से लगभग 150 लोगों को रोजगार मिलेगा।

रिलायंस 1970 करोड़ का निवेश करेगी
वहीं रिलायंस, हेतिच इंडिया और पेप्सिको प्रदेश में चार हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगा। गत दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, हेतिच इंडिया और पेप्सिको इंडिया उद्योग समूह के प्रतिनिधियों ने भेंट की तथा प्रदेश में बायो गैस, फर्नीचर फिटिंग्स और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के संबंध में चर्चा की। रिलायंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष फरहान अंसारी तथा उपाध्यक्ष विवेक तनेजा ने बताया कि उनका समूह प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगभग 1970 करोड़ रुपये के निवेश से 10 कम्प्रेस्ड बायो गैस और 15 बायो गैस सघनीकरण संयंत्र स्थापित कर जैव ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश का इच्छुक है। इसी तरह फर्नीचर हार्डवेयर उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञता रखने वाली जर्मन कंपनी हेतिच इंडिया के प्रबंध संचालक आंद्रे अकोल्ट ने भेंट कर पीथमपुर में 700 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित हो रही कंपनी की नई इकाई की जानकारी दी। इकाई में लगभग 500 लोगों के लिए रोजगार सृजित होगा। कंपनी द्वारा पीथमपुर में वर्ष 2020 में 300 करोड़ रुपये के निवेश से एक इकाई स्थापित की जा चुकी है, जिससे लगभग 600 लोगों के लिए रोजगार सृजित हुआ है। हेतिच इंडिया इस इकाई का भी 270 करोड़ रुपये के निवेश के साथ विस्तार कर रही है। कब्जे (हिंज) बनाने की इस इकाई से भी लगभग 600 लोगों के लिए रोजगार सृजित होगा। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पेप्सिको इंडिया के प्रेसिडेंट अहमद अल शेख, चीफ फाइनेंशियल आफिसर किशोर मित्रा और चीफ कारपोरेट अफेयर्स गरिमा सिंह ने भेंट की। पेप्सिको इंडिया लगभग एक हजार 155 करोड़ रुपये के निवेश के साथ विक्रम उद्योगपुरी उज्जैन में खाद्य प्रसंस्करण (कार्बोनेटेट पेय) इकाई स्थापित करने की इच्छुक है, जिसमें लगभग 150 लोगों के लिए रोजगार सृजित होंगे।

मप्र में प्रति व्यक्ति आय 1,40,583 हुई
आज से करीब 18-20 साल पहले मप्र की गणना देश के बीमारू और गरीब राज्यों के रूप में होती थी। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों, नीयत और योजनाओं के कारण आज मप्र न केवल गरीबी से मुक्त प्रदेश बना है, बल्कि आर्थिक प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है। इस तथ्य पर केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय कर रिपोर्ट ने मुहर लगाई है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ मप्र में आज की प्रचलित दरों के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि निश्चित ही आर्थिक प्रगति का एक शुभ संकेत है। मप्र की प्रति व्यक्ति आय विगत तीन वर्षों में एक लाख तीन 654 रुपए से बढक़र एक लाख 40 हजार 583 रुपये हो गई है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि मप्र में 15 फीसदी से ज्यादा लोगों की गरीबी खत्म हो गई है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी कुछ वर्षों में मप्र पूरी तरह गरीबी से मुक्त हो जाएगा। वहीं केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय कर रिपोर्ट ने यह संकेत दिया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मप्र का जो अभियान शुरू किया है, उसके प्रभावशाली परिणाम सामने आने लगे हैं। भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प में मप्र की ओर से 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश इस लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। प्रदेश के बजट का आकार भी वर्ष 2001-02 की तुलना में पंद्रह गुना बढक़र वर्ष 2023 में 2.47.715 करोड़ रुपए हो गया है। राज्य की ओर से लगातार राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन करने से वर्ष 2005 का ऋण जीएसडीपी अनुपात जो वर्ष 2005 में 395 प्रतिशत था, वह घटकर 22.6 प्रतिशत रह गया है, यानी कर्ज का भार कम हुआ है।
केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार पिछले तीन साल में मप्र की प्रति व्यक्ति आय में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यानी मप्र की प्रति व्यक्ति आय पिछले तीन वर्षों में 1,03,654 रुपए से बढक़र 1,40,583 हुई है। देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ मप्र में आज की प्रचलित दरों के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि निश्चित ही आर्थिक प्रगति का एक शुभ संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति शुद्ध आय प्रचलित एवं स्थिर (2011-12) भावों पर मप्र के स्थिर भावों (वर्ष 2011-12) के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 (त्वरित) में 61 हजार 534 रुपये थी, जो बढक़र वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में रुपये 65,023 हो गई है। यह गतवर्ष की तुलना में 5.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। प्रचलित भावों के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 में एक लाख 21 हजार 594 रुपये से बढक़र वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में एक लाख 40 हजार 583 हो गई, जो 15.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। जानकारों का मानना है कि मप्र में डबल इंजन सरकार के प्रयासों का असर दिखने लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत अभियान की दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मप्र लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर, निरंतर सभी वर्गों के विकास और आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री चौहान लगातार इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहे हैं कि राज्य की अर्थ-व्यवस्था के प्रमुख घटकों को कैसे बेहतर से बेहतर बनाया जाए। वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 (त्वरित) की तुलना में प्रचलित भावों पर 16.43 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 7.06 प्रतिशत की वृद्धि रही है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में स्थिर भावों पर वर्ष 2022-23 अग्रिम के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 5.24 प्रतिशत, द्वितीयक एवं तृतीय क्षेत्र में क्रमश: 5.42 प्रतिशत एवं 9.99 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि रही है।

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