यस एमएलए/रोजगार और पानी की समस्या बरकरार

 आलोक चतुर्वेदी

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। छतरपुर विधानसभा से कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी मौजूदा विधायक हैं। पिछले कई चुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो यहां जनता भाजपा का साथ देती नजर आती थी, लेकिन 2018 में जनता ने मध्यप्रदेश में सत्ता का परिवर्तन किया तो वहीं छतरपुर विधानसभा से कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी पर भी भरोसा जताया। आलोक चतुर्वेदी को कांग्रेस ने 2013 में पहली बार टिकट दिया था। उस चुनाव में आलोक चतुर्वेदी भाजपा के ललिता यादव से 2217 वोटों से चुनाव हर गए थे। 2018 में कांग्रेस ने एक बार फिर चतुर्वेदी पर भरोसा जताया और आलोक ने भाजपा प्रत्याशी अर्चना गुड्डू सिंह को 3501 वोटों से हरा दिया।
भाजपा द्वारा कराए गए विकास के कार्य और कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी द्वारा कराए गए कार्य इस चुनाव में मुख्य मुद्दा बनेंगे। सरकार ने छतरपुर में विश्वविद्यालय खोला है, भाजपा इसका लाभ लेगी लेकिन, इसमें पुराने महाराजा महाविद्यालय का संविलियन कर दिया गया है, यह कांग्रेस का मुद्दा होगा। भाजपा मेडिकल कॉलेज की घोषणा का लाभ लेना चाहेगी तो कांग्रेस कहेगी कि पांच साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ। भाजपा नगर पालिका के जरिए किए कामों को भुनाएगी तो विधायक अपने द्वारा किए गए काम गिनाएंगे। दोनों दलों की ओर से गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई, हालांकि शुरुआत आलोक ने चाचा की रसोई शुरू कर की थी।
जातिगत समीकरण
जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो छतरपुर विधानसभा में सबसे ज्यादा एससी और ब्राह्मण समाज के वोटर हैं। दोनों वर्ग चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। छतरपुर में जातीय लेकिन ज्यादा वोट दलीय आधार पर मिलते हैं। छतरपुर में सामान्य वर्ग के 54 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 18 फीसदी, अजा 16, अजजा 2 और मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 8 फीसदी है। मतदाता अपने समाज के प्रत्याशी को वोट करता है और यादव अपने समाज के व्यक्ति को मुस्लिम वोट कांग्रेस के पाले में जाते है। हालांकि छतरपुर में भाजपा के प्रति प्रतिबद्ध मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा है।
कई बड़े मुद्दे अधर में लटके
छतरपुर विधानसभा क्षेत्र 1951 में तत्कालीन विंध्य प्रदेश राज्य के 48 विधानसभा क्षेत्रों में से एक के रूप में अस्तित्व में आया। यह निर्वाचन क्षेत्र छतरपुर नगर पालिका और जिले की छतरपुर तहसील के कुछ हिस्से को कवर करता है। छतरपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी संग्राम, राजनीति सच में कैसे लोगों के रंग बदलती है। यह चुनाव में देखने को मिलता है। बीते 4 वर्ष 6 माह से छतरपुर जिले में कुछ नेताओं को छोडक़र किसी भी जनप्रतिनिधि के द्वारा कोई भी जनता की समस्याओं के समाधान हेतु ठोस प्रयास नहीं किया गया और ना ही किसी प्रकार से रोजगार उपलब्ध हो सके इसके लिए प्रयास किया गया जिले से विकास तो वास्तविक कोसों दूर है, लगातार जिले की जनता महानगरों की ओर पलायन कर रही है। वहीं छतरपुर शहर के भी कई बड़े मुद्दे अधर में ही लटके हुए हैं। मेडिकल कॉलेज से लेकर यूनिवर्सिटी बिल्डिंग तक नहीं बन पाई है। राजनेताओं के द्वारा कोरी घोषणा की गई। अमलीजामा के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया। अब चुनाव इसी वर्ष होना है तो छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से दावेदार लोग गांव-गांव में लोगों की चरण वंदना कर रहे हैं। इसके पूर्व यह नेता अपने धंधे बिजनेस में लगे रहे जनता समस्याओं से कराहती रही इन जनप्रतिनिधियों का जनता से कोई सरोकार नहीं रहा, औपचारिकता पूरी करने के लिए मीडिया में बयानबाजी जरूर की जाती रही है।
रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
मुद्दों की बात की जाए तो छतरपुर विधानसभा में यूं तो कई मुद्दे हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा मेडिकल कॉलेज और रोजगार है, जिसको लेकर 2017 में एक जन आंदोलन किया गया था, जिसमें हर पार्टी और समाजसेवियों ने हिस्सा लिया था। जिसके बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष में 15 अगस्त 2018 को लाल परेड ग्राउंड से छतरपुर में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। अक्टूबर 2018 में प्रशासकीय स्वीकृति भी मिली, लेकिन आज तक निर्माण की जगह के अलावा कुछ भी छतरपुर वासियों के हाथ नहीं लगा, जिससे छतरपुर की जनता काफी नाराज है और इस चुनाव में जो भी पार्टी इस विषय को लेकर जनता का मन जीतेगी, वहीं चुनाव में जीत हासिल कर पाएगी। इसके अलावा रोजगार के अवसर ना होने के कारण इस जिले से लोग पलायन करने को भी मजबूर रहते हैं। इस जिले में कम बारिश होने से और पानी के सही संसाधन ना होना भी पलायन की एक बड़ी वजह मानी जाती है।
टिकट के दावेदार
छतरपुर विधानसभा पर दावेदारी की बात की जाए तो कांग्रेस से मौजूदा विधायक आलोक चतुर्वेदी टिकट की मांग रहे हैं ,तो वहीं भाजपा में पूर्व प्रत्याशी अर्चना गुड्डू सिंह के अलावा पूर्व राज्य मंत्री और 2013 तक छतरपुर भाजपा प्रत्याशी ललिता यादव, जिला अध्यक्ष मलखान सिंह और पूर्व सांसद स्वर्गीय जितेंद्र सिंह बुंदेला की पत्नी वंदना बुंदेला टिकट के लिए लाइन में खड़ीं हैं।

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