ग्वालियर-चंबल पर अब भाजपा का विशेष फोकस

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  • सभी बड़े नेताओं के हो रहे प्रवास

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। जिस ग्वालियर एवं चंबल अंचल में बेहद खराब प्रदर्शन की वजह से भाजपा को 2018 में हार मिलने के बाद सत्ता से बाहर बैठना पड़ा था, अब उसी अंचल पर भाजपा ने विशेष फोकस करना शुरू कर दिया है। यह वो इलाका है जहां, पर पार्टी के नेताओं में न केवल असंतोष बना हुआ है,बल्कि अब भी एस्ट्रोसिटी एक्ट को लेकर लोगों में नाराजगी बनी हुई है। इसी वजह से इस अंचल के कई प्रभावशाली नेता लंबे समय से पार्टी संगठन से दूरी बनाकर चल रहे हैं। चुनावी समय पास में होने की वजह से अब ऐसे नेताओं को मनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। यही वजह है कि अब पार्टी के बड़े नेता किसी न किसी बहाने से इस अंचल में प्रवास कर रहे हैं। दरअसल यह प्रदेश का वो अंचल है, जहां से भाजपा के कई दिग्गज चेहरे आते हैं। इनमें स्वयं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और श्रीमंत तो हैं ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से लेकर प्रदेश सरकार के करीब एक दर्जन मंत्री भी इसी अंचल से हैं। इसके अलावा निगम मंडलों में भी इसी अंचल के नेताओं की भरमार है। इसके बाद भी पार्टी की हालत इस अंचल में अच्छी नहीं बताई जा रही है। शायद यही वजह है कि अब पार्टी द्वारा इस अंचल में अपने दूसरे सबसे बड़े नेता अमित शाह को लाया जा रहा है। इसके अलावा पार्टी ग्वालियर में चुनाव के पहले प्रदेश कार्यसमिति की बैठक भी करने जा रही है। इसी कड़ी में बीते रोज भाजपा की संभागीय बैठक की गई, जिसमें नाराज चल रहे नेताओं को मनाने पर लंबा चौड़ा मंथन किया गया। इसमें  तय किया गया कि नाराज नेताओं को भाजपा कार्य विस्तारित बैठक में आमंत्रित कर उनसे वन-टू-वन चर्चा की जाएगी। इस दौरान बैठक में मप्र चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने संभाग के नेताओं के साथ ग्वालियर व चंबल अंचल की सभी 34 विधानसभा सीटों को लेकर भी विचार विमर्श किया। इसमें तय किया गया कि कार्य विस्तारित बैठक में प्रदेश के 5 हजार पार्टी कार्यकर्ताओं को बुलाया जाए।
मांगी गई नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं की सूचियां
बैठक में पार्टी के सभी सहयोगी संगठनों व जिलों के पदाधिकारियों से उनके क्षेत्रों के ऐसे वरिष्ठ नेताओं और युवा कार्यकर्ताओं की सूची मांगी गई है, जो बीते कुछ समय से नाराजी के चलते पार्टी की गतिविधियों से दूर हैं। सभी से सूचियां 10 अगस्त तक देने को कहा गया है। बैठक में बताया गया कि कार्य विस्तारित बैठक में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। जिनकी स्वीकृति मिलते ही बैठक की तारीख घोषित कर दी जाएगी।
अंसतोष की वजहें
दरअसल इस अंचल में असंतोष की दो सबसे बड़ी वजहें, अब तक सामने आयी हैं। इनमें एक है श्रीमंत और उनके समर्थकों की पूछ परख मूल कार्यकर्ताओं से अधिक होना और दूसरी वजह है एस्ट्रोसिटी एक्ट के बाद आया माई के लाल वाला बयान। इस बयान के बाद ही इस अंचल में वर्ग संघर्ष  की स्थिति बन गई थी। दरअसल श्रीमंत और उनके समर्थकों के भाजपा में आने के बाद सरकार में श्रीमंत समर्थकों का बोलबाला हो गया है, जिसकी वजह से मूल भाजपा कार्यकर्ता अपने आप को उपेक्षित पा रहे हैं। दरअसल सत्ता व संगठन में भी मूल कार्यकर्ताओं को कोई नहीं पूछ रहा है।
यह रहा था बीते आम चुनाव में प्रदर्शन
2018 के विधानसभा चुनावों में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की जीत के पैमाने ने मध्य प्रदेश में कई दशकों बाद लोगों को  आश्चर्यचकित कर दिया था। अंचल की  34 में से 26 सीटें तब कांग्रेस जीती थीं, जबकि भाजपा को महज सात सीटें ही मिल सकी थीं। यह बात अलग है कि बाद में हुए उपचुनाव में भाजपा ने कई सीटों पर जीत दर्ज कर अपने विधायकों की संख्या 16 कर ली थी। इसकी वजह से कांग्रेस की सीटें कम होकर 17 रह गईं। इस अंचल में मुरैना, ग्वालियर, भिंड, शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, अशोकनगर और गुना जिले आते हैं। 

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