यस एमएलए- इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के बने आसार

एमएलए

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे प्रदेश के निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में इस बार बेहद ही रोचक मुकाबला होने के आसार अभी से बन गए हैं। कभी कांग्रेस का गढ़ रह चुकी यह सीट फिलहाल भाजपा के कब्जे मे है। इस सीट पर बीत दो बार से बतौर भाजपा प्रत्याशी अनिल जैन निर्वाचित होते आ रहे हैं। इस बार भी माना जा रहा है कि इस सीट पर भाजपा एक बार फिर से जैन पर ही दांव लगाएगी, तो वहीं उनको चुनौती देने के लिए उप्र के सपा नेता दीपक यादव अपनी पत्नी को सपा के टिकट पर चुनाव लड़ाने के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं। उधर, बीते चुनाव की ही तरह कांग्रेस ने भी पड़ोसी जिले झांसी के नेता डमडम महराज को बतौर प्रत्याशी उतारे जाने की तैयारी कर ली है। इसकी वजह से ही माना जा रहा है कि इस सीट पर इस बार बेहद रोचक मुकाबला देखने को मिलना तय है। उप्र से सटा होने की वजह से इस सीट पर सपा के साथ ही बसपा का भी प्रभाव रहता है। सपा का प्रभाव इससे ही समझा जा सकता  है कि निवाड़ी जिले में विधानसभा की दो सीटें हैं। इसमें निवाड़ी और पृथ्वीपुर शामिल हैं। इन सीटों पर लगातार विजयी प्रत्याशी को सपा ही चुनौती देते आ रही है। परिसीमन के पहले तक निवाड़ी और पृथ्वीपुर मिलाकर एक विधानसभा सीट हुआ करती थी, जिस पर कांग्रेस का प्रभाव रहा है। यही वजह है कि इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर चुनाव जीतते रहे हैं। परिसीमन के बाद बदले सियासी समीकरणों के बाद निवाड़ी विधानसभा सीट पर बीते दो चुनाव से भाजपा जीतती आ रही है। इस जीत में बेहद अहम भूमिका निवाड़ी को नया जिला बनाने की रही है। उधर, कांग्रेस को नवगठित निवाड़ी सीट पर सबसे बड़ा नुकसान स्थानीय गुटबाजी ने पहुंचाया है। रही सही कसर पार्टी द्वारा बाहरी प्रत्याशी उतारे जाने ने पूरी कर दी । इसकी वजह से हालात यह बन चुके हैं कि बीते दो चुनावों से कांग्रेस यहां जमानत तक नहीं बचा पा रही है। निवाड़ी जिले के 2018 चुनाव वोट शेयर  बताता है कि निवाड़ी विधानसभा में मतदाताओं ने कभी भी जातिगत आधार पर मतदान नहीं किया है और न ही कोई प्रत्याशी जातिगत आधार पर जीत सका है। अभी तक विजयी हुए सभी प्रत्याशियों को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हुआ है। इसके बाद भी सपा व कांग्रेस प्रत्याशी जातिगत गणना करके अपने समीकरण बना रहे हैं व अपने-अपने मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रत्याशी जातिगत आधार पर समीकरण जरुर बना रहे हैं, लेकिन ब्राह्मण मतदाता किस ओर जाएंगे, इसका आभास किसी को भी नहीं है। निवाड़ी विधानसभा में करीब 22 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। इसलिए सभी पार्टियां ब्राह्मणों को रिझाने में लगी हुई हैं। क्योंकि अब ब्राह्मण मतदाता ही निर्णायक भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। इस बार अनिल जैन अपने दस वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर उत्साहित हैं। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव और उनके पति पूर्व विधायक दीपक यादव अभी से जनता के मध्य पहुंचना शुरू हो गए हैं। वे हर हाल में इस बार अपना राजनैतिक वनवास समाप्त करना चहते हैं। इसकी वजह है बीते चुनाव में मीरा यादव को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि उनके पति दीपक भी उप्र की गुरसराय सीट पर चुनाव हार गए थे। एक समय था जब दोनों पति पत्नी अलग-अलग प्रदेश से विधायक थे। इस सपाई यादव दम्पति का अपना अलग प्रभाव है। यही वजह है कि बीते तीन चुनावों से मीरा यादव लगातार चुनावी मुकाबले में मजबूती से बनी रहती हैं। यही नहीं इस पुराने कांग्रेसी गढ़ में अब सपा व बसपा से भी कांग्रेस पिछड़ गई है। इसकी वजह है यहां पर कांग्रेस ने दूसरी लाइन पनपने ही नही दी है।
इस तरह के रह चुके हैं परिणाम
निवाड़ी व पृथ्वीपुर सीट  परिसीमन के पहले एक हुआ करती थी। जिस पर लंबे समय तक कांग्रेस के पूर्व मंत्री स्व बृजेन्द्र सिंह राठौर कई बार  जीतते रहे हैं। इसके पहले जनता पार्टी के लक्ष्मीनारायण नायक भी यहां से दो बार जीत चुके हैं।  परिसीमन के बाद यहां के सियासी समीकरण बदले तो पहली बार भाजपा का यहां से खाता 2013 में अनिल जैन की जीत के साथ खुला। इसके पहले यहां सपा की मीरा यादव ने जीत दर्ज की थी। तब उनके द्वारा अनिल जैन को वर्ष 2008 में 15 हजार से अधिक मतों से हराया था। इसके बाद चुनाव में अनिल जैन ने मीरा यादव को हराकर पिछली हार का बदला ले लिया था। उन्होंने मीरा यादव को 2013 में 27 हजार से अधिक मतों से हराया था। बीते चुनाव में एक बार फिर से भाजपा के अनिल जैन व सपा की मीरा यादव के बीच मुकाबला हुआ, लेकिन तब निवाड़ी को जिला बनाए जाने का फायदा जैन को मिला और वे दोबारा जीतेे। यह बात अलग है कि इस बार उनकी जीत का अंतर महज 8837 मतों का रह गया था।  इस बीच इन तीनों चुनाव में कांग्रेस ने हर बार अपना प्रत्याशी बदला लेकिन कोई भी चुनावी मुकाबले में नहीं रह सका ,बल्कि दो बार से तो उसका प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा सका।
यह हैं जातिगत समीकरण
निवाड़ी सीट को यादव बाहुल्य माना जाता है। इसका फायदा सपा प्रत्याशी मीरा यादव को हर चुनाव में मिलता है। उसके बाद कुशवाहा समाज और ब्राह्मण आते हैं। कुशवाहा और दलित वर्ग का रुझान बसपा की तरफ रहता है। इसकी वजह है बसपा कुशवाहा समाज को प्रत्याशी बनाया जाना है। उधर, अन्य वर्गों में वैश्य, पिछड़ा वर्ग और ब्राह्मणों का रुझान भाजपा की तरफ रहने से अनिल जैन की जीत तय हो जाती है, लेकिन इस बार समीकरण बदल सकते हैं। इसकी वजह है कांग्रेस द्वारा ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारना तय कर लिया जाना है। उधर, पार्टी के अंदर फैली गुटबाजी का नुकसान भी भाजपा को हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय पदों में परिवारवाद भी कार्यकर्ताओं में असंतोष की वजह है, जिसका नुकसान भी भाजपा को हो सकता है।

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