बघेल के लिए चार अफसरों की वरिष्ठता दरकिनार

बघेल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में अफसरों की वरिष्ठता के कोई मायने नहीं रहते हैं। अगर सरकार और आला अफसरों की पसंद कोई जूनियर है तो, उसे वरिष्ठों को दरकिनार कर उच्च पद पर पदस्थ करने में कोई कोताही नहीं की जाती है। लगभग यही हाल संविदा पर आला अफसरों की नियुक्ति के मामले में भी है। इसका ताजा उदाहरण लोक निर्माण विभाग है। विभाग में एक जूनियर अफसर को विभाग का मुखिया बनाने के लिए न केवल सीनियरों को दरकिनार कर दिया गया , बल्कि मंत्री के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया गया है। विभाग के प्रमुख अभियंता यानि की ईएनसी के पद पर अधीक्षण यंत्री शालिगराम बघेल को पदस्थ कर दिया गया है। उनकी नियुक्ति के आदेश बीते रोज जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही प्रभारी मुख्य अभियंता दीपक असाई को विभाग से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया है। उन्हें प्रतिनियुक्ति पर नीति आयोग में सलाहकार बना दिया गया है। असाई पर गंभीर आरोपों की जांच चल रही है। विभाग में यह पहला मौका है जब एक साथ चार-चार वरिष्ठों को दरकिनार कर किसी जूनियर अफसर को ईएनसी बनाया गया है।

बताया जा रहा है कि बघेल का नाम उच्च स्तर से तय किया गया है। विभागीय मंत्री द्वारा इस पद के लिए भेजे गए प्रस्ताव में बघेल का नाम ही नहीं था। भार्गव के प्रस्ताव में बघेल का नाम ही नहीं था। उनके भेजे प्रस्ताव में विभागीय अपर सचिव आरके मेहरा को ईएनसी (पीआईयू) बनाने के लिए पहले स्थान पर नाम रखा गया था। वे विभाग में एक मात्र अफसर हैँ , जो नियमित ईएनसी हैं। इसके बाद जीपी मेहरा का नाम था। इस प्रस्ताव में एसई बीपी बोरासी को अपर सचिव पीडब्ल्यूडी पदस्थ करने का प्रस्ताव था। खास बात ये कि पहली बार अधीक्षण यंत्री को यह चार्ज मिला है, इससे पहले तक मुख्य अभियंता या प्रमुख अभियंता स्तर के अफसर को ही प्रमुख अभियंता बनाया जाता रहा है। उनसे वरिष्ठों में जीपी मेहरा (1985 बैच), दीपक असाई (1985 बैच) और रूप सिंह भील (1985 बैच) शामिल हैं। इस समय पीआईयू के प्रभारी ईएनसी जीपी मेहरा हैं जो 1985 बैच के हैं। इनका स्थापना ईएनसी पीडब्ल्यूडी के अधीन रहती है। यानि, 1985 बैच के जीपी मेहरा की शाखा 1992 बैच के बघेल के अधीन ही रहेगी। प्रमुख अभियंता (ईएनसी) बनने की दौड़ में प्रमुख अभियंता व सचिव आरके मेहरा, मुख्य अभियंता जीपी मेहरा, अधीक्षण यंत्री शालिगराम बघेल, एआर सिंह, केपीएस राणा, संजय खांडे व संजय कुमार मस्के शामिल थे। इनमें शालिगराम अधीक्षण यंत्रियों में सबसे वरिष्ठ हैं, लेकिन उनसे वरिष्ठ आरके मेहरा व जीपी मेहरा हैं।

नहीं मिलता प्रस्ताव को महत्व
विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव के प्रस्ताव को हर बार उच्च स्तर पर दरकिनार कर दिया जाता है। अब तक ऐसा तीन बार हो चुका है। उनके द्वारा पूर्व में भी आरके मेहरा को ईएनसी बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था , लेकिन तब सीपी अग्रवाल को ईएनसी बना दिया गया था। इसी तरह से जब नरेंद्र कुमार को प्रभारी ईएनसी बनाया गया था , उसके पहले भी मंत्री की ओर से मेहरा को आरडीसी में भेजे जाने का प्रपोजल था, लेकिन तब भी उनके प्रस्ताव की अनदेखी कर दी गई थी।

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