
- महिला बाल विकास विभाग का एक और कारनामा
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का महिला बाल विकास विभाग ऐसा महकमा बन चुका है, जिसमें लगभग हर साल कोई न कोई बड़ा घोटाला सामने आता ही रहता है। इन घोटालों को लेकर जब बहुत ही हो हल्ला होता है तो उसकी जांच शुरु हो जाती है , लेकिन उसके क्या परिणाम निकले और दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई कोई नहीं जान पाता है। इसके बाद भी विभाग इस तरह की मनमानी करने में पीछे नही रहता है। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है। इसमें जो सामग्री खरीदी जानी है, उसके लिए 75 फीसदी अधिक भुगतान करने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए आयुक्त कार्यालय द्वारा केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाई गई है, जबकि यह काम जिला स्तर पर कलेक्टर के माध्यम से भी किया जा सकता है। आयुक्त कार्यालय की इस कार्रवाई की शिकायत भाजपा नेता कप्तान सिंह सहसारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी से की है। इसमें कहा गया है कि खरीदी जाने वाली सामग्री की कीमत करीब 20 करोड़ रुपए है , जिसे 35 करोड़ में खरीदने की तैयारी कर ली गई है। यह हाल तब हैं, जबकि इसी तरह से विभाग द्वारा पहले भी खरीदी का काम किया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो चुका है। इससे न केवल विभाग की बदनामी हुई , बल्कि सरकार की भी छवि खराब हो चुकी है। दरअसल नया मामला एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम (आईसीडीएस) योजना का है। जिसके अंतर्गत प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के वजन, लंबाई एवं विकास को नापने के लिए मशीनों की खरीदारी की जानी है। जो हर आंगनबाड़ी केन्द्रों में भेजी जानी हैं। इस खरीदी का जिम्मा आयुक्त कार्यालय ने खुद ही उठाने का तय कर लिया र्है। इस मामले में चौकाने वाली जानकारी यह है कि इस खरीदी के लिए केंद्रीयकृत व्यवस्था के लिए जरुरी अनुमोदन तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से नहीं लिया गया है, जबकि उनके पास ही यह विभाग है।
इस तरह से किया जा रहा खेल
35 करोड़ 54 लाख की इस खरीदी के लिए बिड ऑफर जैम पोर्टल पर जारी किए गए हैं। इस बिड में ऐसी शर्तें रखी गई हैं, जो केवल चंद आपूर्तिकर्ता ही पूरा कर सकते हैं। मसलन, आपूर्तिकर्ता के पद न्यूनतम 15 करोड़ राशि का समान कार्य/वस्तु आपूर्ति का अनुभव होना चाहिए। बताया जाता है कि प्रदेश में ऐसे महज दो चार आपूर्तिकर्ता ही हैं जिन्हें इतनी बड़ी मात्रा में आंगनबाड़ी में सामग्री आपूर्ति का आर्थिक अनुभव है।
इस तरह से है दामों में अंतर
इस आपूर्ति निविदा में 43894 इंफेटोमीटर, 44215 स्टेडियोमीटर, 41006 बेंजिंग स्केल इंफेंट, 47205 डिजिटल ग्रोथ मीटर आयुक्त कार्यालय द्वारा खरीदे जा रहे है। यह सभी सामग्री बच्चों के वजन, लंबाई मापने के लिए प्रयुक्त होते हैं। ये सभी उपकरण खुले बाजार में स्थानीय स्तर पर भी सहज उपलब्ध है। ऑनलाइन ई कॉमर्स प्लेटफार्म पर इंफेंटोमीटर 1300 से 1900 रुपए में, स्टेडियोमीटर 900 से 1300 रुपए, वेइजिंग स्केल 1200 से 1700 रुपए, डिजिटल वेइजिंग स्केल 300 से 700 रुपये में उपलब्ध हैं। इन सभी मशीनों की अधिकतम ऑनलाइन दरों से ही खरीदी जा रही समस्त मशीनों की गणना की जाए तो राशि 20 करोड़ के करीब होती है। जाहिर है, 35 करोड़ से अधिक का बिड प्रोविजन सप्लायरों अफसरों के लिए फायदा पहुचानें की तैयारी है। बीते साल एकाउंटेंट जेनरल की 36 पन्नों की एक गोपनीय रिपोर्ट में भी इस विभाग का एक बड़ा घोटाला उजागर किया गया था। इस रिपोर्ट में सामने आया था करोड़ों का पोषण आहार कागजों में ट्रक पर आया है लेकिन, जांच में वो मोटरसाइकिल, ऑटो पाया गया है। लाखों ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जाते उनके नाम पर भी करोड़ों का राशन बांट दिया गया। साथ ही इस विभाग में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, लाभार्थियों की पहचान में अनियमितता, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना के वितरण और गुणवत्ता नियंत्रण में गड़बड़ी बताई गई थी।