
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सेडमैप द्वारा चाइल्ड हेल्पलाइन के लिए की जाने वाली भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। गौरतलब है कि केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इन भर्तियों पर आपत्ति जताई थी। गौरतलब है कि सेडमैप द्वारा महिला बाल विकास के लिए यह भर्ती ऑनलाइन आवेदन बुलाकर की जा रही थी। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी इस भर्ती पर अपनी गंभीर आपत्ति दर्ज कराई थी।
केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री की आपत्ति के बाद चाइल्ड हेल्पलाइन सेवा के लिए करीब 500 पदों के लिए जारी विवादित भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है। सेडमैप द्वारा महिला बाल विकास के लिए यह भर्ती ऑनलाइन आवेदन बुलाकर की जा रही थी। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी इस भर्ती पर अपनी गंभीर आपत्ति दर्ज कराई थी। मप्र के सभी 52 जिलों में ऐसे सेंटर बनाये जाने हैं। अभी तक यह काम मुंबई से चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन अपने पार्टनर एनजीओज के माध्यम से कर रहा है। नई व्यवस्था में एनजीओज बाहर कर दिए गए हैं। मप्र के महिला बाल विकास मुख्यालय में ऐसे अधिकारियों का एक वर्ग हावी है, जिनके परोक्ष हित बदनाम शुदा एनजीओज के साथ जुड़े हैं। नई गाइडलाइंस की खुली अनदेखी कर आयुक्त महिला बाल विकास के कुछ अधिकारियों द्वारा कारित इस खेल की जानकारी जब बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को लगी तो उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज की। इस आशय के साथ मुख्यमंत्री को भी सूचित किया।
जारी हुआ निर्देश
9 जुलाई को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के समक्ष भी यह मामला उठाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयुक्त कार्यालय ने आनन-फानन में 11 जुलाई की तारीख में आज एक पत्र सेडमैप को जारी कर भर्ती निरस्त करने को कहा। विभाग के संयुक्त संचालक विशाल नाडकर्णी ने केंद्रीय मंत्री के दौरे के दो दिन बाद ही इस आशय का पत्र सेडमैप को जारी कर दिया, जिसके बाद अब सेडमैप इस भर्ती को नहीं कर पायेगा। बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका भी इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा था। लंबी कवायद के बाद केंद्र सरकार ने बच्चों के लिए चलने वाली आपातकालीन हेल्पलाइन सेवा 1098 का काम मुंबई की एनजीओ चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन से हटाकर राज्य सरकारों के हवाले करने का निर्णय लिया है। अब 1098 देशव्यापी इमरजेंसी कॉल 112 में मर्ज कर दिया गया है, जिसका परिचालन गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इसके लिए राज्य सरकारें राजधानी में एक कमांड सेंटर एवं हर जिले में कलेक्टर के अधीन एक हेल्पलाइन काउंटर का संचालन करेंगी।