दो अरब का चूना लगाने वाली कंपनी पर अफसर दिखा रहे मेहरबानी

कंपनी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस पर जितना बड़ा आरोप उसे उतना ही अफसरों का साथ मिलता है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि कई विभागों की कार्यप्रणाली इन आरोपों की पुष्टि करती है। ऐसा ही एक और नया मामला सामने आया है पशुपालन विभाग में। इस विभाग में सालों से एक दवा कंपनी द्वारा सप्लाई की जाने वाली दवाओं को विभाग के चिकित्सक नकली बता रहे हैं। इसके बाद भी विभाग के आला अफसर इस कंपनी पर कार्रवाई करने की जगह उसे प्राश्रय देते आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि बीते एक दशक में नकली दवाओं की सप्लाई कर करीब दो अरब रुपए का चूना कंपनी द्वारा लगाया जा चुका है।  हद तो यह है कि विभाग के पशु चिकित्सक जहां ब्लैक लिस्टेड करने की लगातार मांग कर रहे हैं ,वहीं के शीर्ष अधिकारी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। वे इस मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। इसकी वजह से अब तो विभाग के ही कुछ अधिकारी कह रहे हैं कि विभाग ने लगता है सरकार की लुटिया डुबोने का बीड़ा उठा लिया है। वेटरनरी चिकित्सकों से जुड़ी एक अग्रणी संस्था आईवीए एमपी जहां इस मामले में दो वर्षों से मुखर रहते हुए सरकार का ध्यानाकर्षित कर रही है वहीं, इस मामले में एक अन्य अग्रणी संस्था इंडियन वेटरनरी काउंसिल ने (आईवीसी) ने मौन धारण कर रखा है। इस विषय में जहां आईवीसी के अध्यक्ष डॉ. उमेश शर्मा ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया वहीं सूत्रों से पता चला कि पशुपालन विभाग के पूर्व विवादित डायरेक्टर डॉ. रोकड़े भी इसी संस्था के सदस्य हैं। इंडियन वेटरनरी एसोसिएशन एमपी चैप्टर (आईवीए एमपी) ने हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं पशुपालन विभाग के मंत्री को इस संदर्भ में एक ज्ञापन भी सौंपा  है।

ज्ञापन में पशुपालन विभाग में विगत 10 वर्षों में दवाईयां खरीदने में कथित तौर पर दवा एवं अन्य खरीदी में हुई अनियमितताओं, भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए नकली दवा वितरण के आरोपों से घिरी विवादित शील कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग की गई। सीएम के साथ ही पशुपालन एवं डेयरी मंत्री एवं सचिव को सौंपे गए ज्ञापन में पशुपालन विभाग में विगत 10 वर्षों से दवाईयां खरीदने में कथित तौर पर अनियमितता एवं भ्रष्टाचार कर रहे अधिकारी के खिलाफ जांच एवं कार्रवाई के साथ शील कंपनी एवं इस तरह की अन्य कंपनियों को भी ब्लैक लिस्टेड किए जाने की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा गया कि पशुपालन विभाग में कुछ कंपनियों द्वारा दवाई खरीदी जा रही हैं। उनकी गुणवत्ता तो खराब है ही साथ में उनके लेवल पर भी दवाई देने का रूट, कंपोजीशन और नहीं हो पाया ) इनग्रेडियेट के नाम तक गलत लिखे हुए हैं जिसका मुद्दा पूर्व में कुछ संगठनों द्वारा उठाया गया था , लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई है।

दवाएं नहीं  करती काम
ज्ञापन में कहा गया है शील कंपनी की दवाइयों में खामियां हैं, जिस बीमारी बचाव के लिए दवा दी जाती है वह बचाव दवा नहीं कर पाती। आईवीए एमपी ने कहा कि शील कंपनी की जो पशुओं में कृमि खत्म करने की दवा ह,ै वह तक कृमि खत्म करने का कार्य नहीं करती। ज्ञापन में कहा गया है कि विचार करने योग्य बात बात यह है कि जो कंपनी दवाईयों के कंटेट का नाम भी सही नहीं लिख सकती वह इसकी गुणवत्ता कैसे मैंटेन करती होगी। संगठन ने  कहा कि वर्तमान में शील कंपनी द्वारा जो दवाईयां सप्लाई की गई हैं, उसमें फंगस लगी हुई है। शिकायत में पूर्व संचालक डॉ. आर के रोकड़े पर सभी जिलों के उप संचालकों को दर सूचियाँ प्रदत्त कर लागू कराने का आरोप लगाया गया है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि विगत 10 वर्षों से शासन के किस आदेश के तहत पूर्व डायरेक्टर डॉ. आर के रोकड़े ने कथित तौर पर मृगनयनी एंपोरियम, ग्वालियर और रीवा से सिर्फ मप्र पशुपालन विभाग के लिए सर्जिकल इंस्ट्रूमेंटस एलोपैथिक फीड सप्लीमेंट्स व आयुर्वेदिक दवाइयों की खरीदी कथित तौर पर अवैध रूप से सभी जिलों के माध्यम से करवाने का लगाया गया है।  लगाया गया।

सरकार का उद्देश्य  पूरा हो सके
हमारा संगठन चाहता है कि सरकार का पशुओं की उत्कृष्ट सेवा और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकेगा जब अच्छी गुणवत्ता की दवाओं की खरीदारी हो। हमारी मंशा है कि सरकार का महत्वाकांक्षी उद्देश्य पूरा हो और गौ माता का उत्थान हो ।
 -डॉ. बबीता त्रिपाठी अध्यक्ष, आईवीए

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