पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर भी भारी पड़ रहे हैं इनामी बदमाश

पुलिस कमिश्नर प्रणाली

चार संभागों की वजह से बिगड़ रहा है फरारी का आंकड़ा

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ लगातार अपराध बढ़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ बदमाश पुलिस के हाथ नहीं लग रहे हैं। इस मामले में पुलिस कमिश्नर प्रणाली वाले दोनों महानगरों वाले संभागों में स्थिति प्रदेश में सबसे अधिक खराब है। अब यह स्थिति पुलिस के लिए बेहद कठिन होने वाली है , क्योंकि अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में महज चार माह का ही समय रह गया है। ऐसे में पुलिस पर इनामी और आदतन फरार बदमाशों की गिरफ्तारी का बेहद दबाव रहने वाला है। अगर आंकड़ों में देखें तो भोपाल के बाद इस मामले में सागर और उसके बाद इंदौर संभाग का नाम आता है। बेहद अहम बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या में ऐसे भी बदमाश हैं, जिनकी तलाश पुलिस को कई सालों से बनी हुई है। इसके अलावा प्रदेश में स्थाई वारंटियों की संख्या भी 12 हजार से अधिक बनी हुई है। इन स्थाई वारंटियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के मामले में भी इंदौर पुलिस सर्वाधिक फिसड्डी बनी हुई है। अकेले इंदौर संभाग में ही स्थायी वारंटियों की संख्या 2505 हैं।  इसका खुलासा भी उस रिपोर्ट से हुआ है, जिसे खुद डीजीपी द्वारा तैयार कराया गया है। माना जा रहा है कि इस स्थिति के बाद अब मैदानी स्तर पर पुलिस ऐसे बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान शुरु कर सकती है।
डीजीपी लगातार कर रहे समीक्षा
इस स्थिति की वजह से ही बीते कुछ समय से डीजीपी सुधीर सक्सेना द्वारा हर माह अब अपराध और अपराधियों पर की जाने वाली कार्रवाई की समीक्षा की जा रही है। इसके अलावा हर सप्ताह इस मामले में उनके द्वारा रेंजों में पदस्थ आईजी स्तर के अफसरों के साथ बैठक भी की जा रही है। इस मामले में थाना स्तर से लेकर डीआईजी स्तर तक से पूरी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय द्वारा तलब की जा रही है। लगभग यही स्थिति जीआरपी में भी बनी हुई है। जीआरपी को भी अपराधियों की गिरफ्तारी में कोई खास सफलता नहीं पा रही है। जीआरपी में 56 अपराधियों पर इनाम है, लेकिन इसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है। दरअसल इसकी वजह है पुलिस की मुखबिरी का कमजोर होना और लगातार एक ही जगह पर आरक्षकों से लेकर उपनिरीक्षकों तक की पदस्थापना।
डीजीपी के निर्देश भी बेअसर
इस स्थिति को देखते हुए ही डीजीपी द्वारा अप्रैल, मई में वीसी कर फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आईजी स्तर के अफसरों को जिम्मेदारी दी गई थी , लेकिन इसके बाद भी प्रभावी कार्रवाई होती अब तक नहीं दिख रही है। डीजीपी ने इसी तरह से कहा था कि आईजी की जिम्मेदारी है, कि हाईकोर्ट में लंबित वारंट के मामलों की तामीली में कोई लापरवाही नहीं बरती जाए। हर हाल में तय समय के अंदर फरार आरोपियों की गिरफ्तारी हो। इसके लिए आईजी खुद डीजीआई और एसपी के साथ हर सप्ताह बैठक करेंगे। जिससे आरोपियों की तलाश के लिए पुलिस पूरी तरह से सक्रिय बनी रहे। इन निर्देशों पर कितना अमल हुआ है, इसका खुलासा स्वयं आंकड़े कर रहे हैं।

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