
- बड़ी-बड़ी कंपनियों को आउटसोर्स कर सौंपा जिम्मा
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब महज चार माह का ही समय बचा है। ऐसे में प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा व कांग्रेस ने चुनावी चौसर बिछाना शुरु कर दी है। इसी चौसर में एक ऐसा पांसा भी चला जा रहा है, जो इस तकनीक के समय में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह है सोशल मीडिया। इसके लिए दोनों दलों ने अभी से इंटरनेट पर इलेक्शन वॉर की तैयारी तेज कर दी है। मैदानी स्तर पर अभी भले ही बैनर, पोस्टर और कार्यकर्ताओं की हलचल नहीं दिख रही हो, लेकिन सियासी रणनीतिकार सोशल मीडिया पर जंग की पूरी बिसात बिछा चुके हैं। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने बड़ी-बड़ी कंपनियों की सेवाएं लेना शुरु कर दिया है। इनके रणनीतिकार कॉर्पोरेट कंपनी की तर्ज पर काम करते हैं। रोजाना सुबह असाइनमेंट मीटिंग होती है तो शाम को रिव्यू। भाजपा में यह हर दिन तय किया जाता है कि आज ट्विटर पर कौन सा हैशटेग ट्रेंड कराना है। इसका समय सुबह 9 बजे से शुरू होता है। वहीं कांग्रेस भी इसी तर्ज पर काम करती है। पार्टी के 2 हजार से ज्यादा वॉट्सएप ग्रुप हैं। ये ग्रुप्स हर जिले में हैं। हर बूथ पर 15 से 20 वॉलंटियर होने का दावा है। कांग्रेस इस मामले में भाजपा से पीछे नहीं रहना चाहती है। यही वजह है कि इसके लिए उसके सोशल मीडिया विभाग में काम करने वाले हर कार्यकर्ता की प्रॉपर ट्रेनिंग कराई जा रही है। इसके लिए समय -समय पर दिल्ली से टीमें आती हैं। जूम कॉल के जरिए महीने में 3-4 बार हर जिले की ट्रेनिंग होती है। कांग्रेस ने जिला रैंकिंग प्रणाली की शुरुआत भी की है। हर 4 महीने में टॉप 3 जिलों को ट्रॉफी और कमलनाथ द्वारा साइन सर्टिफिकेट भी दिया जाता है।
भाजपा का भी पूरा जोर
भाजपा दूसरी पार्टियों की तुलना में हमेशा सोशल मीडिया पर आगे रही है। साल 2014 में जब कोई सियासी पार्टी सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं थी, उसी समय बीजेपी ने इसकी ताकत को समझ लिया था और पार्टी सफल भी रही। इस बार मध्यप्रदेश चुनाव के लिए प्रदेश में एक अलग टीम का गठन किया गया है। यह टीम राज्य में सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की तैयारी में है। प्रदेश में भाजपा के 1.25 लाख डिजिटल योद्धा हैं। एक प्रोफेशन टीम भी है, जो सैलरी पर काम करती है। ये लोग ग्राफिक्स डिजाइनर, वीडियो एडिटर, रिसर्चर और कंटेंट राइटर हैं। इसके अलावा दोनों ही पार्टियों ने सोशल मीडिया तैयारियों में प्रमोशन, रिसर्च, अटैक, फीडबैक और क्रिएटिविटी जैसे डिपार्टमेंट बनाए हैं।
बैनर, पोस्टर और कार्यकर्ताओं की हलचल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब महज चार माह ही बचे हैं। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस में इंटरनेट पर इलेक्शन वॉर की तैयारी शुरू हो गई है। ग्राउंड पर भले ही बैनर, पोस्टर और कार्यकर्ताओं की हलचल नहीं दिख रही हो, लेकिन सियासी रणनीतिकार सोशल मीडिया पर जंग का मैदान सजा चुके हैं। आपके फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर अकाउंट और वाट्सएप ग्रुपों पर डिस्प्ले हो रहे राजनीतिक मैसेज इसी प्लानिंग की उपज हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने बड़ी-बड़ी कंपनियों को इस काम के लिए आउटसोर्स किया है।
क्या है रणनीति
आज सोशल मीडिया लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां भी अब सोशल मीडिया की ताकत को पहचान गई हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म का अपने -अपने पक्ष के लिए जमकर उपयोग कर रही है। साल के अंत में होने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे को घेरने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इसके लिए दोनों पार्टीयां मैदानी स्तर पर अपने -अपने कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय करने में लगी हुई हैं।